शिक्षा और संस्कार
शिक्षा और संस्कार(19)।।🙏🌹
✍️कहते है कि शिक्षा व्यक्तित्व निर्माण की मुख्य धुरी है। शिक्षा व्यक्ति को मानवीय मूल्यों से ओतप्रोत बनाने और बुद्धि,विवेक और समझ बढ़ाने में महत्ती भूमिका निभाती है लेकिन हम वर्तमान समय में उसका उलट प्रभाव देख रहे हैं।राष्ट्र-समाज में शिक्षा के स्तर में वृद्धि होने के साथ व्यक्ति के सांस्कृतिक मूल्य और सामाजिक प्रतिमान गिर रहे हैं।आज के युवा संस्कारहीन होते जा रहे हैं।आज के युवा हमारी महान सनातन संस्कृति,सभ्यता के आदर्शों और श्रेष्ठ परम्पराओ से कटते जा रहे हैं और इनमें हमारी दूरी दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।वे पाश्चात्य संस्कृति के प्रभावों से संस्कारो का नाश कर रहे हैं। आज हम अच्छी-अच्छी डिग्रीधारी युवक-युवतियों को मात-पिता और परिवार से विमुख होते देख रहे हैं।आज की युवा पीढ़ी बहुत मनमानी कर रही है।वह किसी की सुनती नही है।दिशाहीन युवाओ की ऊर्जा,शक्ति और सामर्थ्य नकारात्मक दिशा की ओर जा रही है।आज के युवाओ में धैर्य,सहनशीलता एवं आत्मकेंद्रिता का अभाव नजर आ रहा है।उनके स्वभाव में नशा,लालच,कामुकता और अपराधी प्रवृत्ति अंग बनती जा रही है। यह एक चिंतनीय विषय है।यह एक विराट समस्या का रूप लेवे उससे पहले इसके समाधान की दिशा में ठोस प्रयास नही किए गए तो हम अपनी महान संस्कृति को अपने ही हाथों पतित कर केवल पश्चाताप ही करेंगे। संस्कृति का पतन,मानवीय श्रेष्ठ सद्गुणों का पतन ही है।ऐसे में हम सब इस दिशा में प्रयास करे।युवाओ के लिए आध्यात्म ज्ञान शिविर और संस्कार शाला का आयोजन करे।युवाओ को सांस्कृतिक विरासत के श्रेष्ठ आदर्शो और सामाजिक प्रतिमानों की महत्त्ता का ज्ञान कराए और उन्हें संस्कृति से दूर जाने से रोके। ऐसा करके ही हम युवाओं में अच्छे संस्कारो का निर्माण करने में सफल होंगे।आइये,आप और हम सभी युवा पीढ़ी को अपनी संस्कृति के आदर्शों,संस्कारो और जीवन मूल्यों के साथ जीने की नव अभिप्रेरणा देने का सार्थक प्रयास करने के साथ आप सभी परम आदरणीय सम्माननीय वन्दनीय महानुभावों को मुकेश आंगिरस मोहनपुरिया की ओर से सादर प्रणाम चरण वंदन अभिनंदन एवं सुबह का वंदन स्वीकार करें सा जय श्री राम,जय श्री ब्रह्म ऋषि अंगिरा स्वामी जी की सा।।🙏🙏👏🇮🇳
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