शिक्षा और संस्कार
शिक्षा और संस्कार(10)।।🙏
🌻 सुबह का वंदन स्वीकार करें सा🌻
✍️बच्चे के शिक्षा और संस्कार में मात-पिता के बाद सबसे महत्ती भूमिका शिक्षक-गुरुजन की होती है।शिक्षक-गुरुजन बच्चे को संस्कारित करने का दायित्व पूर्ण ईमानदारी से निभाए।शिक्षक-गुरुजन अपने सर्वश्रेष्ठ कर्तव्यकर्म से राष्ट्र के नव निर्माण में अपना सर्वोत्तम अर्पण करें।आज की वर्तमान परिस्थितियों में शिक्षक-गुरुजनों को चाहिए कि वे अपने बच्चों को कल की चुनौतियो के लिए तैयार करे।शिक्षक-गुरुजन बच्चो को धैर्यता-अनुशासन का पाठ पढ़ाये।वे बच्चों को विषम परिस्थितियों में उसे जूझना व संघर्ष करना सिखाए, उसे संकट काल में हँसना-मुस्कराना सिखाए।शिक्षक-गुरुजन अपने विद्यार्थियों को भारतीय ऋषि मनस्वियों के जीवन वृतांत ,उनके आध्यात्म ज्ञान और दर्शन के बारे में जानकारी समय-समय पर पाठ्यक्रम के साथ देते रहे।शिक्षक-गुरुजन अपने विद्यालय के प्रार्थना कार्यक्रम को विद्यार्थियों को संस्कार की शिक्षा देने का सर्वश्रेष्ठ सदुपयोग करे।भारत के संत-महात्माओं,ऋषिमनीषि,
महापुरुषों और आजादी के दीवानों के जीवन से जुड़े प्रेरक प्रसंग व नैतिक कहानियों के माध्यम से उन्हें अपनी संस्कृति के महान आदर्शो-मूल्यों की सीख देवे। प्रार्थना कार्यक्रम के श्रेष्ठ सदुपयोग से विद्यार्थियों को सांस्कृतिक आदर्श मूल्यों और प्रतिमानों की सीख मिलेगी और वे अपने जीवन में आत्मसात करेंगे।ऐसा होने से निश्चित ही हमारी युवा पीढ़ी संस्कारवान और चरित्रवान होगी।ऐसे विद्यार्थियों राष्ट्र के सुनागरिक बनेंगे और वे ही युवा राष्ट्र के नव निर्माण में अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान करेंगे। अतःआप सभी परम आदरणीय सम्माननीय श्रेष्ठ प्रबुद्धजनो को मुकेश आंगिरस मोहनपुरिया की ओर से सादर प्रणाम चरण वंदन अभिनंदन एवं सुबह का वंदन स्वीकार करना सा जय श्री सूर्य देवाय नमः,जय श्री ब्रह्म ऋषि अंगिरा स्वामी जी की सा।
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