हिमाचल के चंबा और कांगड़ा में भूकंप के झटके, घरों से बाहर निकले लोग, 3.6 दर्ज की गई तीव्रता
हिमाचल के चंबा और कांगड़ा में भूकंप के झटके, घरों से बाहर निकले लोग, 3.6 दर्ज की गई तीव्रता
हिमाचल प्रदेश के चंबा के डलहौजी और कांगड़ा जिला के कई क्षेत्रों में भूकंप के दो झटके महसूस किए गए हैं। सोमवार देर रात करीब 10:38 बजे आए भूकंप का मुख्य केंद्र चंबा जिले में जमीन के अंदर 10 किलोमीटर की गहराई पर था। भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 3.6 रही। भूकंप के झटकों को पठानकोट, पंजाब और जम्मू कश्मीर में भी महसूस किया गया। झटके महसूस होने पर कई लोग अपने घरों से बाहर निकल आए।
हालांकि, भूकंप से किसी तरह के नुकसान की सूचना नहीं है। बता दें कि हिमाचल भूकंप की दृष्टि से सिस्मिक जोन चार और पांच में आता है। कांगड़ा, चंबा, लाहौल, कुल्लू और मंडी भूकंप की दृष्टि से सबसे अति संवेदनशील क्षेत्र हैं। 1905 के भूकंप में 20 हजार से ज्यादा गईं थीं जानें बता दें हिमाचल भूकंप की दृष्टि से सिस्मिक जोन चार और पांच में आता है। कांगड़ा, चंबा, लाहौल, कुल्लू और मंडी भूकंप की दृष्टि से सबसे अति संवेदनशील क्षेत्र हैं। कांगड़ा में 4 अप्रैल, 1905 की अल सुबह आए 7.8 की तीव्रता वाले भूकंप में 20 हजार से ज्यादा इंसानी जानें चली गई थीं। भूकंप से एक लाख के करीब इमारतें तहस-नहस हो गई थीं, जबकि 53 हजार से ज्यादा मवेशी भी भूकंप की भेंट चढ़ गए थे
। कैसे आता है भूकंप? भूकंप के आने की मुख्य वजह धरती के अंदर प्लेटों का टकरना है। धरती के भीतर सात प्लेट्स होती हैं जो लगातार घूमती रहती हैं। जब ये प्लेटें किसी जगह पर आपस में टकराती हैं, तो वहां फॉल्ट लाइन जोन बन जाता है और सतह के कोने मुड़ जाते हैं। सतह के कोने मुड़ने की वजह से वहां दबाव बनता है और प्लेट्स टूटने लगती हैं। इन प्लेट्स के टूटने से अंदर की एनर्जी बाहर आने का रास्ता खोजती है, जिसकी वजह से धरती हिलती है
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