युवाओं में बढ़ा ई-सिगरेट का क्रेज, नशे की लत से फेफड़ों के साथ दिल और आँखों पर गहरा असर
सिगरेट का नशा किशोर से लेकर युवाओं में तेजी से बढ़ रहा है। स्कूली बच्चे भी इसका सेवन कर रहे हैं। ईं-सिगरेट या ऐसोरोल वेप और पफ़ के नाम से प्रचलित है इसका नशा आने वाली पीढ़ी के लिए घातक साबित होगा जैसे-जैसे यह लोग ई-सिगरेट के नशे की आदि हो जाएंगे । फेफ ड़ों के साथ-साथ हार्ट पर भी इसका गहरा असर पढऩा शुरू हो जाएगा। स्कूली बच्चे फ्लेवर के चक्कर मे ई सिगरेट का नशा करने से गुरेज नहीं कर रहे हैं। उनका यह शौक आने वाले 5-10 सालों बाद उनको मौत के मुंह में ले जाएगा है। क्योंकि देखने में आया है कि स्कूली बच्चे अपनी जेब या स्कूल बैग में वेप रखकर चलते हैं। इसका आसान इस्तेमाल मुंह से बदबू नहीं आती है क्योंकि यह कई तरह के फ्लेवर में मिलता है। लोग इसके प्रति जागरूक नहीं है आम लोगो को यह सामने पड़े होने पर भी नहीं पता लगता। कुछ स्कूलो के प्रिंसीपल से बात करने पर पता लगा कि स्कूल में यह निरंतर पकड़े जा रहे।
इस प्रोहाइबिशन ऑफ इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट,उत्पादन निर्माण आयात-निर्यात परिवहन बिक्री वितरण भंडारण और विज्ञापन निषेध विधेयक 2019 के तहत बैन है । इस संबंध में सिविल अस्पताल में छाती की माहिर डॉक्टर अश्मिता सिक्का सिंगला एमडी टीबी व श्वसन रोग ने बताया कि सिगरेट की बजाय ई-सिगरेट को उसका सब्सीट्यूट माना गया था। जिस पर अभी पूरी रिसर्च जारी है लेकिन इसका एडिक्शन सिगरेट से भी ज्यादा पाया जा रहा है। किशोर इस वेप को इम्प्रेसिव और कूल मानकर इसके आदि होते जा रहे है। ड्रग इंस्पेक्टर नवदीप संधु से बात हुई तो उन्होंने ने बताया कि ड्रग एक्ट में तभी वेप कवर होते है जब उनमे निकोटीन पाया जाये । अभी तक कोई सीधा शिकायत नही आयी है
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