मृत्यु के 6 घंटे बाद तक नेत्रदान के लिए श्रेष्ठ समय- डॉ सुशांत शर्मा
नेत्रदान किया जाने के लिए कोई भी आयु सीमा का निर्धारण नहीं
भारत में कुल आबादी का लगभग 10 प्रतिशत लोग नेत्र रोग पीड़ित
पटौदी सामान्य नागरिक अस्पताल में विभिन्न नेत्र ऑपरेशन सुविधा
फतह सिंह उजाला
पटौदी । मृत्यु होने के 6 घंटे बाद तक नेतदान किया जाने का श्रेष्ठ समय होता है। इस दौरान किसी भी मान्यता प्राप्त आई हॉस्पिटल या फिर सरकारी अस्पताल में नेत्रदान किया या करवाया जा सकता है। आई डोनेशन के लिए किसी भी प्रकार की समय सीमा का दायरा नहीं है । जन्म से लेकर मृत्यु होने तक, ऐसा कोई भी व्यक्ति जिसकी आंखें पूर्णता स्वस्थ है , उसकी आंखें डोनेट की जा सकती हैं। लेकिन अधिकांश एक्सीडेंट केस या फिर सामान्य हालत में मृत्यु होने पर भी संबंधित व्यक्ति के नेत्रदान परिजनों की सहमति से किए जा सकते हैं । इस सुविधा के लिए विभिन्न सरकारी अस्पतालों के साथ-साथ सामाजिक संगठनों संस्थाओं और मान्यता प्राप्त आई हॉस्पिटल के द्वारा आई डोनेशन के फॉर्म भी एडवांस में भरवाए जाने की सुविधा उपलब्ध करवाई जा रही है। यह बात पटौदी सामान्य नागरिक अस्पताल के मेडिकल ऑफिसर एवं आई सर्जन डॉक्टर सुशांत शर्मा ने विश्व नेत्रदान दिवस के मौके पर विशेष बातचीत के दौरान कही।
उन्होंने बताया विभिन्न कारण से मृत्यु होने पर जिसमें की सामान्य और एक्सीडेंटल केस भी शामिल हैं । एक से दो प्रतिशत आई डोनेशन किया जाता है । आई डोनेशन का इस प्रकार के हादसे अथवा मामले में परसेंटेज बढ़ाया जाने के लिए विशेष जागरूकता अभियान की जरूरत महसूस की जा रही है। एक व्यक्ति की आंखें किसी भी जरूरतमंद दो व्यक्ति की जिंदगी को रोशन और रंगीन बनाने में सक्षम होती हैं। सबसे अधिक जरूरत और चुनौती रेटिना के लिए बनी हुई है । रेटिना के बिना किसी भी नेत्र रोग दोष पीड़ित की आंखों की रोशनी लौटाया जाना बहुत बड़ा चुनौती का काम है। उन्होंने बताया पटौदी अस्पताल में अभी तक लगभग विभिन्न प्रकार के 16000 आंखों के ऑपरेशन किया जा चुके हैं । इनमें एक दिन के बच्चे से लेकर व्योवृद्ध महिला और पुरुष भी शामिल है। पटौदी सामान्य नागरिक अस्पताल में ही आंखों के सराय से लेकर अल्ट्रासाउंड तक की सुविधा भी उपलब्ध है । पटौदी सामान्य नागरिक अस्पताल में सप्ताह में 3 दिन सोमवार ,बुधवार और शुक्रवार को आई ऑपरेशन का शेड्यूल फिक्स किया गया है।
मानव का सबसे संवेदनशील अंग आंख
आई सर्जन डॉक्टर सुशांत शर्मा के मुताबिक मानव शरीर का सबसे संवेदनशील अंग आंख ही है। सही मायने में आंख है ,तो हम सभी प्रकृति को देख और समझ भी सकते हैं। प्रकृति का तात्पर्य समाज, परिवार, राज्य, राष्ट्र, प्राकृतिक संपदा, पेड़ पौधे व अन्य सभी, जो कुछ इस ब्रह्मांड में उपलब्ध है । आंखों की हमें नियमित अंतराल पर विशेषज्ञ डॉक्टर से जांच करवाते रहना चाहिए । आंख में परेशानी महसूस होने पर किसी न किसी अनुभवी योग्य डॉक्टर को दिखाना ही प्राथमिकता होना चाहिए। अत्यधिक सर्दी और अत्यधिक गर्मी में आंखों को बचाने के लिए या सेफ्टी के लिए प्लेन या फिर सनग्लास का इस्तेमाल करना चाहिए। यदि आंख से कम दिखाई देने लगे या फिर किसी प्रकार का दृष्टि दोष महसूस हो तो उसका मौजूद चिकित्सा जगत में उपचार की सुविधा भी उपलब्ध है। धूल ,मच्छर , मिट्टी, रेत, बारिक कण कोई बारीक चीज इत्यादि आंख में गिरने पर आंख को बिल्कुल भी नहीं रगड़ना अथवा नहीं मसलना चाहिए। साफ पानी के साथ आंखों पर छपके मार कर आंखों को धोना चाहिए।