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हताश हो चुके रोगी के लिए डॉक्टर ही सबसे बड़ी उम्मीद – डॉ नीरू यादव

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हताश हो चुके रोगी के लिए डॉक्टर ही सबसे बड़ी उम्मीद – डॉ नीरू यादव

दवाइयां से भी अधिक डॉक्टर पर ही होता है रोगी का भरोसा

डॉक्टर की हल्की सी मुस्कुराहट रोगी के लिए सबसे बेहतर दवाइयां

डॉक्टर्स डे के मौके पर एसएमओ और एम ओ को समृति चिन्ह भेंट

फतह सिंह उजाला 

पटौदी । अपनी बीमारी से परेशान और हताश हो चुके किसी भी रोगी अथवा व्यक्ति के लिए भगवान जितना ही भरोसा डॉक्टर पर किया जाता है। डॉक्टर एवं  चिकित्सक निश्चित रूप से किसी भी रोगी के लिए स्वस्थ होने की एक विश्वास के साथ गारंटी भी माना जाता है। एक डॉक्टर अपने प्रोफेशन के प्रति हमेशा ईमानदार ही होता है और होना भी चाहिए। आपात स्थिति में दुर्घटनाग्रस्त किसी भी व्यक्ति का जटिल से जटिल ऑपरेशन या शल्य चिकित्सा करते हुए जीवनदान प्रदान किया जाने में डॉक्टर अपना हर प्रकार का जो भी उसका अनुभव हो उसे रोगी को स्वस्थ करने में पूरी तरह लगा देता है। यह बात पटौदी सामान्य नागरिक अस्पताल की सीनियर मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर नीरू यादव ने मंगलवार को डॉक्टर डे के उपलक्ष के मौके पर कही।

मंगलवार को डॉक्टर्स डे के उपलक्ष पर पटौदी सामान्य नागरिक अस्पताल की सीनियर मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर नीरू यादव, मेडिकल ऑफिसर आई सर्जन डॉक्टर सुशांत शिव प्रकाश शर्मा, नेत्र सहायक चिकित्सक पूजा भारद्वाज, नर्सिंग सिस्टम राजबाला सहित अन्य स्वास्थ्य कर्मचारियों को स्मृति चिन्ह भेंट कर शुभकामनाएं और बधाई दी गई । इस मौके पर मुख्य रूप से आईटीआई एक्टिविस्ट मुकेश गुप्ता, योगेश गुप्ता, किसान नेता संजय शर्मा, मनीराम, बालकिशन , मुकेश मोजाबादी सहित अन्य प्रबुद्ध व्यक्ति भी मौजूद रहे।

मेडिकल ऑफिसर आई सर्जन डॉक्टर सुशांत शिव प्रकाश शर्मा ने कहा अपनी बीमारी या रोग से परेशान और दुखी किसी भी रोगी को डॉक्टर को मुस्कुराते हुए ही देखना चाहिए। हल्की सी मुस्कुराहट के साथ किसी भी रोगी को देखना और उसकी बीमारी अथवा रोग के विषय में पूछना निश्चित रूप से रोगी के लिए सबसे पहले दवाई और टॉनिक का काम करता है। इस प्रकार के व्यवहार से रोगी को निश्चित रूप से मानसिक शांति भी प्रदान होती है। डॉक्टरी एक ऐसा प्रोफेशन है, जिसमें अधिकांश विभिन्न प्रकार के रोग अथवा बीमारी से परेशान लोगों को ही देखना पड़ता है या उनका सामना करना पड़ रहा है। कोई भी रोगी अथवा पीड़ित हो वह एक अटल विश्वास और भरोसे के साथ सरकारी या प्राइवेट अस्पताल में अपना उपचार करवाने के लिए पहुंचता है। दवाई से अधिक किसी भी डॉक्टर का व्यवहार और रोगी के साथ की गई बातचीत रोगी के स्वस्थ होने में दवाई से अधिक काम करती है।

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