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डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की विचारधारा अमृत तुल्य: जरावता

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डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की विचारधारा अमृत तुल्य: जरावता

डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की विचारधारा को करें सभी करें आत्मसात

उन्होंने सभी को शिक्षा और मतदान का सबसे बड़ा अधिकार दिलाया

जात-पात की दीवार को बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर ने ही तोड़ा

फतह सिंह उजाला
गुरुग्राम । डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने अपने जीवन में जो कुछ भी शिक्षा ग्रहण की, वह पूरी तरह से समाज और राष्ट्र के लिए उन्होंने समर्पित कर दी। आज के दौर में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की विचारधारा अमृततुल्य है । जिस भी किसी व्यक्ति ने डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की इस विचारधारा को समझा और जीवन में आत्मसात किया, वह व्यक्ति हर क्षेत्र में सफल रहा है । यह बात पटौदी के एमएलए एडवोकेट सत्य प्रकाश जरावता ने सबसे बड़े गांव बोहड़ाकला में अनुसूचित वर्ग की चौपाल में आयोजित डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जयंती समारोह के मौके पर कही ।

इससे पहले यहां पहुंचने पर उन्होंने डॉ आंबेडकर के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करते हुए दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का विधिवत रूप से आरंभ किया । यहां आगमन पर 36 बिरादरी के लोगों ने सामूहिक रूप से एम एल ए जरावता को डॉक्टर अंबेडकर जयंती के उपलक्ष पर मेटल से बनी डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा भेंट की । इस प्रतिमा को प्राप्त कर एमएलए जरावत बेहद भावुक भी होते हुए दिखाई दिए। इस मौके पर विशेष रूप से गांव के सरपंच यादवेंद्र शर्मा गोगली, पूर्व एमएलए गंगाराम बोहड़ा, भाजपा नेता सुशील शीलू चौहान, मेहर सिंह गांधी, एसडीओ दयाराम, ब्रहम प्रकाश, प्रताप, सतवीर चौहान, बोहड़ाकला बावनी के प्रधान राजेश बब्बू चौहान, नरेश मेंबर, राजेश ठेकेदार, सूरजपाल, मुकेश , धर्मपाल बोहड़ा, उदय भान छोटू चौहान सहित अनेक गणमान्य व्यक्तियों ने पगड़ी पहना अभिनंदन किया।

इस मौके पर एमएलए जरावता ने कहा कि भारतीय संविधान को लिखने में दुनिया के सबसे अधिक पढ़े लिखे और डिग्री प्राप्त करने सहित अनेक भाषाओं के ज्ञाता-विद्वान डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने भारत का क्या स्वरूप हो और नागरिकों को क्या अधिकार प्राप्त हो ? इसी दूरगामी सोच का परिचय देते हुए संविधान में सबसे महत्वपूर्ण अधिकार प्रत्येक व्यक्ति के लिए शिक्षा और प्रत्येक बालिग होने पर मतदान का अधिकार उपलब्ध करवाया । शिक्षा वह हथियार है, जिसकी बदौलत किसी भी समस्या का समाधान संभव है। शिक्षित व्यक्ति समाज , परिवार और राष्ट्र के प्रति सदैव समर्पित रहते हैं । उन्होंने कहा बाबा साहेब ने जात-पात की दीवार को तोड़कर समाज को एकता के सूत्र में पिरोने का काम किया । लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि आजादी के इतने दिनों बाद भी कुछ स्वार्थी राजनीतिक दल और विचारधारा के लोग समाज को जात-पात में बांटने का काम करते आ रहे हैं ।

उन्होंने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि देश के पीएम नरेंद्र मोदी ने जब अपना दूसरा कार्यकाल आरंभ किया तो सबसे पहले उन्होंने संविधान को ही नतमस्तक होकर नमन किया था। इसके पीछे संदेश यही है की देश संविधान के मुताबिक ही चलता है, फिर वह चाहे न्यायपालिका हो ,कार्यपालिका हो या फिर विधायिका हो । संविधान के दायरे से बाहर निकलकर इन सभी के लिए कार्य करना संभव नहीं है। उन्होंने इस मौके पर आह्वान किया कि आज भी जो समाज के अनुसूचित वर्ग पर कथित रूप से पिछड़ेपन का और कम पढ़े लिखे होने का ठप्पा लगा है , ऐसे में संकल्प करना चाहिए कि अपने अपने बच्चों विशेष रुप से लड़कियों को उच्च से उच्च शिक्षा उपलब्ध करवाएंगे । उन्होंने कहा जितना अधिक समाज परिवार और देश में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के द्वारा रचित और लिखित विभिन्न पुस्तकों का अध्ययन किया जाएगा तो इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि भारत देश से जात पात ऊंच-नीच वह छोटे बड़े जैसी मानसिकता को पूरी तरह जड़ से उखाड़ कर बाहर फेंका जा सकता है। बाबा साहेब ने दलितों पिछड़ों महिलाओं अल्पसंख्यकों को समाज की मुख्यधारा में लाने का ऐतिहासिक कार्य भी किया है। उन्होंने कहा हमें समाज राज्य और राष्ट्र को मजबूत और अखंड बनाए रखना है, तो डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के जीवन आदर्शों को आत्मसात करने का संकल्प लेना चाहिए।

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