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गुरू नानक देव जी के प्रकाश पर्व पर नमाज के लिए खुले गुरूद्वारे के द्वार

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गुरू नानक देव जी के प्रकाश पर्व पर नमाज के लिए खुले गुरूद्वारे के द्वार

शुक्रवार को ही गुरू नानक देव जी के प्रकाश पर्व और मुस्लिमों का जुम्मा

खुले में नमाज पर का हिंदू संगठनों के विरोध के बीच सिखों का बड़ा फैसला

गुरुद्वारों में नमाज की रजामंदी पर टिकीं शासन-प्रशासन सहित सभी की नजर

कितनी संख्या में नमाज अता करने गुरुद्वारे में मुस्लिम पहुंचेंगे आज पता चलेगा

फतह सिंह उजाला
गुरुग्राम। गुरु नानक देव जी का प्रकाश पर्व निश्चित ही एक ऐसे विवाद के बीच सौहार्द की नई रोशनी लेकर आया है, जिसकी मिसाल बहुत कम ही देखने को मिलती है । गौरतलब है कि बीते कई माह से दक्षिणी दिल्ली के साथ लगते साइबर सिटी गुरुग्राम में मुस्लिम समुदाय के द्वारा विभिन्न खुले स्थानों पर नमाज अदा किए जाने और विभिन्न सनातनी और हिंदू संगठनों के द्वारा इसके विरोध का मुद्दा गरम बना हुआ है । बीते दिनों ही जिला प्रशासन के द्वारा मुस्लिम समुदाय को शुक्रवार जुम्मा की नमाज नमाज अदा किया जाने के लिए कुछ निर्धारित स्थानों पर इसकी स्वीकृति प्रदान की गई। लेकिन जैसे ही शुक्रवार अथवा जुम्मा के दिन मुस्लिम समुदाय के द्वारा नमाज आता के लिए संबंधित स्थानों पर पहुंचना आरंभ होता है , तो इसके साथ ही विरोध में भी सनातनी और हिंदुत्व समर्थक अपने अपने तरीके से विरोध जताना आरंभ करते हैं। दीपावली के बाद उसी स्थान पर गोवर्धन पूजन भी किया गया , जहां उससे पहले मुस्लिम समुदाय के द्वारा नमाज अदा की गई थी। ऐसे में कथित तनाव बढ़ने की संभावना को देखते हुए गुरुग्राम की सिंह सभा के द्वारा कुछ गुरुद्वारों में कथित सशर्त नमाज अदा किया जाने के लिए गुरुद्वारों के द्वार खोलने का ऐलान कर दिया गया है।

गुरुग्राम में नमाज को लेकर काफी समय से चल रहे विवाद के बीच अब यहां सिख समुदाय के द्वारा कदम बढ़ाया गया है। हालांकि उनका कदम नमाज के विरोध में नहीं है, बल्कि उनके द्वारा गुरुद्वारा में नमाज पढऩे का न्यौता देते हुए नमाजियों का स्वागत किया है। साथ ही यह भी कहा गया है कि कोरोना के नियमों का पालन करते हुए गुरू के घर गुरुद्वारे में नमाज अता की जा सकती है। अब देखना है कि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा लिए गए इस निर्णय पर मुस्लिम समुदाय नमाज अता करने गुरुद्वारा पहुंचते हैं या नहीं।  पूर्व में जिला प्रशासन ने शहर के विभिन्न क्षेत्रों में नमाज अता करने के लिए कुछ स्थान निश्चित किए थे, लेकिन हिंदू धार्मिक संस्थाओं ने इनका भी विरोध किया था। जिसके कारण जिला प्रशासन ने भी दी हुई अनुमति वापिस ले ली थी। खुले में नमाज को लेकर काफी आरोप-प्रत्यारोप चलते रहे हैं। दोनों समुदायों के बीच खींचतान चल रही है। हालांकि दोनों समुदायों के साथ बैठक करके प्रशासन ने भी मामले को सुलझाने के प्रयास किए हैं। अब इस मामले में सिख समुदाय ने भी पहल कर दी है। हालांकि सिखों ने नमाज का विरोध नहीं किया है, बल्कि गुरुद्वारे में आकर नमाज अता करने को कहा है। हालांकि अंदरखाने हिंदू संगठनों में गुरुद्वारा प्रबंधक के खिलाफ नाराजगी है। हिंदू इस निर्णय का कोई विरोध करेंगे या नहीं, इस पर अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है।

सभी गुरुद्वारों के द्वारा सदा खुले  
गौरतलब है कि गुरू सिंह सभा के अध्यक्ष शेर दिल सिंह सिद्धू के द्वारा घोषणा की गई है कि किसी भी धर्म के लोगों के पूजा-पाठ के लिए गुरुद्वारों के द्वार सदैव खुले हैं। यदि मुस्लिम समुदाय चाहता है कि शुक्रवार यानि कि जुम्मे की नमाज गुरुद्वारों में अता की जाए तो उनके लिए शहर के पांचों गुरुद्वारे खुले हैं। वे वहां पर भी नमाज अता कर सकते हैं। मुस्लिम समुदाय के लोगों ने भी उनकी घोषणा को एक सराहनीय सौहार्दपूर्ण पहल बताया है। मुस्लिम समुदाय के लोगों का कहना है कि सिखों की इस घोषणा से उन लोगों के लिए एक बड़ा संदेश है, जो सार्वजनिक स्थान पर नमाज पढऩे से मना कर रहे थे।

दुकान व सर्विस स्टेशन में नमाज की दी अनुमति
इससे पूर्व सेक्टर-12 के एक युवा कारोबारी राव अक्षय ने भी  अपने खाली पड़़ी दुकान व सर्विस स्टेशन परिसर में नमाज अता करने की अनुमति दे दी थी। सिख समाज की इस घोषणा का स्वागत तो मुस्लिमों ने किया है, लेकिन वे जुम्मे की नमाज अता करने गुरुद्वारों में पहुंचेंगे या नहीं, इस पर सबकी नजर टिकी हुई हैं। सिखों द्वारा की गई इस घोषणा के बाद समाचार लिखे जाने तक पुलिस और प्रशासन ने इस मामलेमें कोई निर्णय नहीं लिया था।

इतिहास को भी जरूर देखे सिख समुदाय
सिखों द्वारा गुरुद्वारे में नमाज अता करने के लिए निर्णय पर हिंदू संगठनों का नेतृत्व करने वाले भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष , गुरूग्राम बार के पूर्व  अध्यक्ष एडवोकेट कुलभूषण भारद्वाज का कहना है कि ऐसा निर्णय लेने से पहले सिख समुदाय को एक बार इतिहास पर भी जरूर नजर डाल लनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हिंदू संगठनों के द्वारा मुस्लिम समुदाय की खुले में नमाज का विरोध है और वह जारी भी रहेगा।

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