Publisher Theme
I’m a gamer, always have been.
Rajni

रोग कारक ग्रहयोग

24

२👉 सूर्य यदि कुम्भ राशिगत हो तो धमनी में अवरोध उत्पन्न करता है। (सारावली, २२ । ११)

३👉 शुक्र यदि मकर राशिगत हो तो जातक हृदयरोगी होता है। (सारावली)

४👉 षष्ठेश सूर्य यदि चतुर्थ भावगत हो तो जातक हृदरोगी होता है। (जातकालंकार २।१६)

५👉 लग्नेश निर्बल राहु यदि चतुर्थगत हो तो हृच्छूल रोग होता है। (जा०पारि० ६ । १९)

६👉 सूर्य यदि चतुर्थ भावगत हो तो हृदय रोग उत्पन्न करता है। (जापारि० ८।६८)

७👉 चन्द्रमा शत्रुक्षेत्री होने पर हृदयरोग उत्पन्न करता है। (जापारि० ८।११२)

८👉 तृतीयेश यदि केतु से युक्त हो तो जातक हृदयरोगी होता है। (जा० पारि० १२।३६)

९👉 चतुर्थभाव में पापग्रह हो और चतुर्थेश पापयुक्त हो तो हृदयरोग उत्पन्न करता है। (सर्वार्थचिन्तामणि)

१०👉 मकर राशिगत सूर्य सामान्य हृदय रोग उत्पन्न करता है। (जा०सारदीप)

११👉 सूर्य वृष राशिगत हो तो जातक हृदयरोग से ग्रस्त होता है। (हो०प्र० १०। ४४)

१२👉 वृश्चिक राशिगत सर्य हृदयरोग उत्पन्न करता है। (शम्भु हो०, १० । ४६)

१३👉 चतुर्थ भावगत षष्ठेश की युति सूर्य-शनि के साथ होनेपर हृदयरोग होता है। (जा०५० ६।११)

१४👉 चतुर्थगत यदि शनि. भौम, गरु हो तो हृदयरोग होता है। (होरारल)

१५👉 तृतीयेश राहु-केतु से युक्त हो तो हृदयाघात होता है। (ज्यो०र०)

१६👉 यदि शनि निर्बल शयनावस्था में हो तो भी हृदयशूल रोग होता है। (ज्यो०र०)

१७👉 सूर्य यदि सिंह राशिगत हो तो जातक हृदयरोग से ग्रस्त होता है। (वी०वी० रमन)

१८👉 शनि यदि अष्टम भावगत हो तो हृच्छूल रोग उत्पन्न करता है। (गर्गवचन)

१९👉 मकर राशिगत सूर्य हृदय रोग प्रदान करता है। (मू०सू० ३।२।५)

२०👉 राहु यदि द्वादशस्थ हो तो हृच्छूल रोग देता है। (भाव०प्र०)

२१👉 चतुर्थेश चतुर्थ भावगत पापयुक्त हो तो हृदयरोग देता है। (गदावली २।२३)

२२👉 सिंह राशि के द्वितीय द्रेष्काण में यदि जन्म हो तो हृच्छूल रोग होता है। (गदावली २। २४)

Comments are closed.

Discover more from Theliveindia.co.in

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading