Publisher Theme
I’m a gamer, always have been.
Rajni

पटौदी बार के एडवोकेटस के द्वारा न्यायिक जांच की मांग

32

पटौदी बार के एडवोकेटस के द्वारा न्यायिक जांच की मांग

सिजेरियन ऑपरेशन में बाधा और पत्रकारों पर हमले की कड़ी निंदा

पटौदी बार के एडवोकेट जल्द ही न्यायिक जांच के लिए सौंपेंगे ज्ञापन

सिजेरियन ऑपरेशन में बाधा डालना अमानवीय औरं अक्षम्य कृत्य

स्थानीय व जिला के वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी की है जवाबदेही  

फतह सिंह उजाला
पटौदी । पटौदी मंडी नगर परिषद के पटौदी नागरिक अस्पताल में जो कुछ भी बीते शुक्रवार से लेकर गुरुवार तक घटनाक्रम हुआ है, उस मुद्दे को बेहद गंभीरता से लेते हुए पटौदी बार एसोसिएशन के ही सदस्य एडवोकेटस के द्वारा इस पूरे प्रकरण की न्यायिक जांच की मांग की गई है । एडवोकेटस का मानना है कि प्रशासनिक जांच केवल मात्र औपचारिकता बनकर रह सकती है, वास्तविक दोषियों को सजा मिलना संभव नहीं है। जिस प्रकार से सिजेरियन ऑपरेशन के दौरान अस्पताल के ही पैरामेडिकल स्टाफ सहित आउटसोर्स कर्मचारियों के द्वारा बाधा डालने की जानकारी मीडिया के माध्यम से सार्वजनिक हो रही है , यह सीधे-सीधे अपराधिक मामला महसूस किया जा रहा है ।

इस पूरे घटनाक्रम पर पटौदी बार एसोसिएशन के सदस्य एडवोकेट तरुण शर्मा, एडवोकेट राजकुमार यादव, एडवोकेट ईश्वर सिंह, एडवोकेट राहुल यादव, एडवोकेट आलोक यादव, एडवोकेट नवीन ढ़ांडी, एडवोकेट कोमल कुमार, एडवोकेट रचना यादव, और एडवोकेट पूनम यादव के द्वारा पूरे घटनाक्रम को बेहद ही निंदनीय और अमानवीय कृत्य ठहराया गया है । इस मामले में एडवोकेट राहुल यादव, एडवोकेट तरुण शर्मा , एडवोकेट कोमल कुमार के द्वारा तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा गया है कि सिजेरियन ऑपरेशन के दौरान जिस प्रकार से बाधा डालने की जानकारी सामने आई और मीडिया कर्मियों के साथ हाथापाई करते हुए मोबाइल फोन छीने गए, मीडिया के काम में बाधा डाली गई , यह सब कार्य हंगामा करने वाले उस समय मौके पर मौजूद सभी स्वास्थ्य कर्मचारियों के द्वारा अपने खिलाफ साक्ष्य मिटाने या एकत्रित करने रोकने के लिए कुप्रयास किया गया । संभवत यही कारण रहा शायद जो गुरुवार को मीडिया कर्मियों के द्वारा सांकेतिक धरना लिया गया । वह शासन-प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन से लेकर राज्य सरकार का ध्यान पूरे मामले की जल्द और निष्पक्ष कार्रवाई किए जाने के लिए आकर्षित करने के लिए ही था।

इसी कड़ी में एडवोकेट रचना यादव और एडवोकेट पूनम यादव ने बेहद विचलित होते हुए तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते कहा कि जिस समय कोई भी महिला या प्रसूता नवजात शिशु को जन्म दे रही हो। ऐसे में कथित योजनाबद्ध तरीके से और कथित पूर्व नियोजित हंगामा किया जाने को किसी भी कीमत पर क्षमा नहीं किया जा सकता और ना ही ऐसे घटनाक्रम की अनदेखी की जा सकती है। अपने शिशु को जन्म देना एक प्रसूता का मौलिक अधिकार सहित कुदरत का वरदान है । वही नवजात शिशु को खुली हवा में सांस लेने का भी उतना ही अधिकार है, जितना हम सभी आम आदमी, प्रशासनिक अधिकारी या फिर मंत्री या अन्य जीव प्रकृति की गोद में खुली सांस ले रहे हैं । इन महिला एडवोकेट के द्वारा बेबाक शब्दों में कहा गया कि जिस प्रकार से सिजेरियन ऑपरेशन में बाधा डाली गई , ऐसे में प्रसूता गर्भवती सहित जन्म लेने वाले नवजात शिशु की जान भी जा सकती थी , यह भी अपने आप में गंभीर अपराध की श्रेणी में गिना जाएगा ।

पत्रकारों के द्वारा पूरे घटनाक्रम की जांच के लिए सौपे गए ज्ञापन का समर्थन करते हुए एडवोकेटस ने यह भी कहा कि जल्द ही पटोदी बार के एडवोकेट के द्वारा भी पटौदी नागरिक अस्पताल परिसर में शुक्रवार और शनिवार को विशेष रूप से घटित पूरे घटनाक्रम को केंद्र में रखकर इसकी न्यायिक जांच के लिए ज्ञापन सौंपा जाएगा। जब तक इस पूरे घटनाक्रम की न्यायिक जांच नहीं होगी , तब-तक वास्तविक दोषियों का चेहरा सामने नहीं आ सकेगा । एडवोकेट के द्वारा यह भी आश्वासन दिलाया गया है कि पत्रकारों के साथ जो भी हाथापाई की गई, कार्य में बाधा डाली गई, मोबाइल फोन छीने गए, घटनाक्रम के सबूत मिटाने के प्रयास किए गए , इस प्रकार के मामले में हर तरह से कानूनी सहायता के लिए पूरी तरह से अपनी सेवाएं उपलब्ध करवाने को तैयार हैं ।

इसी कड़ी में सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर जिस प्रकार से पत्रकारों को टारगेट बना कर धंधेबाज ,ब्लैकमेलर ,झोलाछाप व अन्य प्रकार के प्रताड़ित करते सामाजिक प्रतिष्ठा को ठेस पहुचाते बदनाम किया गया , उस विषय में भी इनका कहना है कि अपने स्तर पर सभी साक्ष्य एकत्रित करके इस घटनाक्रम पर भी जल्द ही कोई ना कोई लीगल एक्शन लिया जाएगा । सभी एडवोकेट ने फिर से दोहराया कि पटौदी नागरिक अस्पताल में बीते शुक्रवार और शनिवार को जो कुछ भी घटित हुआ , यदि जिला के वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी और जिला प्रशासन दोषियों के खिलाफ कठोर कार्यवाही नहीं करते तो फिर इनके सामने इस पूरे मामले में एक ही विकल्प बचता है कि न्यायिक जांच किसी भी तरह से हो, उस न्यायिक जांच को अमल में लाने के लिए यथा संभव कार्यवाही की जाएगी।

Comments are closed.

Discover more from Theliveindia.co.in

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading