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काला मोतियाबिंद से प्रतिवर्ष सवा लाख लोगों की जिंदगी में अंधेरा

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काला मोतियाबिंद से प्रतिवर्ष सवा लाख लोगों की जिंदगी में अंधेरा

पटौदी नागरिक अस्पताल में ग्लूकोमा उपचार का अभियान आरंभ

45 वर्ष से पहले वर्ष में एक और बाद में दो बार आंखों की जांच कराएं

फतह सिंह उजाला
पटौदी ।
 ग्लूकोमा अर्थात काला मोतियाबिंद आंखों का एक ऐसा रोग अथवा बीमारी है, जिसके कारण भारत में प्रतिवर्ष औसतन सवा लाख लोगों की जिंदगी में अंधेरा छा जाता है अर्थात आंखों की रोशनी ही चली जाती है । यह बात पटौदी नागरिक अस्पताल में नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सुशांत शर्मा ने स्थानीय अस्पताल में काला मोतिया-ग्लूकोमा के विशेष साप्ताहिक आंखों की जांच और ऑपरेशन अभियान के मौके पर कहीं ।

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उन्होंने बताया की काला मोतियाबिंद किसी भी उम्र में किसी भी व्यक्ति को हो सकता है । काला मोतियाबिंद होने के कारण विभिन्न है, यह बढ़ती उम्र में, फैमिली हिस्ट्री, आंखों पर अत्यधिक दबाव, दूर या निकट की दृष्टि दोष अथवा रोग, डायबिटीज, आंख में चोट लगना या फिर लंबे समय तक स्टेरायड दवाओं का इस्तेमाल करना भी काला मोतियाबिंद का एक कारण हो सकता है। नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सुशांत शर्मा ने कहा कि नियमित अंतराल पर अपनी आंखों की जांच करवाते रहने से आंखों की बीमारियों-काला मोतियाबिंद या अन्य रोग से रोगी के लिए अंधता का भी कारण बन सकता है । उससे बचा रहा जा सकता है । उन्होंने कहा 45 वर्ष की उम्र के बाद प्रति वर्ष आंखों की एक बार अवश्य जांच करवा लेनी चाहिए । 45 वर्ष से अधिक की उम्र के लोगों को वर्ष में दो बार जांच करवानी चाहिए ।

जहां तक संभव हो सके ग्लूकोमा अर्थात काला मोतियाबिंद से बचने के लिए रूटेरियाड दवाओं का इस्तेमाल योग्य डॉक्टर की सलाह और देखरेख के बिना बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए । उन्होंने कहा काला मोतियाबिंद की जांच के लिए पटौदी के नागरिक अस्पताल में अत्याधिक आधुनिक उपकरण मौजूद हैं। यहां पर आंखों के उपचार के लिए लेजर टेक्निक की लेटेस्ट सुविधा उपलब्ध है । आम लोगों का पटोदी नागरिक अस्पताल और यहां हो रहे आंखों के उपचार के बाद आंखों की बीमारी से छुटकारा पाने का मुख्य कारण यही है कि अब औसतन आंखों के रोगियों की ओपीडी प्रतिदिन 300 के करीब है। इन रोगियों में जिला मुख्यालय गुरुग्राम, पटौदी क्षेत्र, रेवाड़ी, झज्जर, भिवानी, के साथ-साथ राजस्थान के झुंझुनू पिलानी अन्य स्थानों से भी आंखों के रोगी जांच और उपचार के लिए पहुंच रहे हैं ।

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डा. सुशांत शर्मा ने कहा कि उनका यह प्रयास रहता है कि ऐसा आंखों का रोगी जो अलग-अलग स्थानों पर अपना उपचार करा चुका हो और पटौदी नागरिक अस्पताल में आने के बाद उपचार प्रक्रिया आरंभ कि जाने के बाद अपने आंखों के रोग में सुधार की बात बताता है तो यह निश्चित ही किसी भी डॉक्टर अथवा चिकित्सक के लिए यह अलंकरण-पुरस्कार के बराबर है, जिसकी शब्दों में व्याख्या नहीं की जा सकती। डॉक्टर सुशांत शर्मा ने कहा की पटोदी नागरिक अस्पताल में या किसी भी अन्य योग्य नेत्र चिकित्सक के पास आंखों की जांच करवाते रहना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने यह भी अपील की है कि देश में करीब एक लाख लोग अथवा नेत्र रोगी जो देख नहीं सकते वह इस इंतजार में है कि नेत्रदान होता रहे तो दान किए गए नेत्रों से ऐसे रोगियों के जीवन में निश्चित रूप से रोशनी भी लौटना तय है। अधिक से अधिक लोग नेत्रदान करें, इस दिशा में भी जन जागरण अभियान की जरूरत है।

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