H3N2 वायरस के रोज 2700 से अधिक केस
H3N2 वायरस के रोज 2700 से अधिक केस:बच्चों के लंग्स 70% तक संक्रमित; वायरस का असर कोरोना जैसा
जयपुर
एडिनो वायरस, पेरा इन्फ्लुएंजा व रेस्पिरेटरी इंफेक्शन कर रहा बीमार, गनीमत है कि राजस्थान में अभी तक एक भी मौत नहीं हुई है।
बच्चों में बुखार सात से आठ दिन में भी पूरी तरह सही नहीं हो रहा है और उनके लंग्स भी प्रभावित हो रहे हैं। इसकी वजह है एच3एन2 वायरस। यूं तो यह वायरस फ्लू श्रेणी का माना जाता है, लेकिन इसका असर कोरोना की तरह देखा जा रहा है। संभवत: इसी वजह से बच्चों में लंग्स काफी अधिक संक्रमित हो रहे हैं और खांसी भी 20 दिन से अधिक समय तक बनी रहती है। पिछले सात दिन में 9 बच्चों को आईसीयू में रखा है।
गनीमत यह है कि यह जानलेवा नहीं है। डॉक्टर्स की मानें तो हर पांचवें वायरल केस में से किसी एक में यह बीमारी सामने आ रही है। इस वायरस के लिए अलग से टेस्ट नहीं हो रहे हैं, लेकिन डॉक्टर्स का मानना है कि एच3एन2 वायरस, एडिनो वायरस और पेरा इन्फ्लुएंजा और रेस्पिरेटरी इंफेक्शन आमजन को अधिक प्रभावित कर रहा है।
अभी अकेले जेकेलोन अस्पताल में रोजाना औसतन 170 से अधिक बच्चे इस बीमारी के आ रहे हैं। वहीं एसएमएस में ऐसे मरीजों की संख्या 400 तक है। जेकेलोन और एसएमएस अस्पताल के अलावा गणगौरी, कांवटिया, जयपुरिया सहित निजी अस्पतालों के आंकड़ों की बात करें तो रोजाना औसतन 2200 लोग इस वायरल डिजीज के आ रहे हैं।
बदलते मौसम का ज्यादा प्रभाव
इस वायरस के लिए बदलता मौसम खतरनाक है और इस बदलाव में अधिक एक्टिव होते हैं। साथ ही तेजी से फैलते भी हैं। वायरस की वजह से जो बुखार तीन से पांच दिन में सही होता था, वह अब 7 से 8 दिन ले रहा है।
7 साल के बच्चे के एक्स-रे से समझें गंभीरता; लंग्स पूरी तरह सफेद
ऊपर फोटो 7 साल के निशांत का एक्स-रे है। अमूमन जहां स्वस्थ बच्चे के एक्स-रे में सफेद रंग नहीं आता यानी कि लंग्स नार्मल होते हैं, लेकिन इस बच्चे के लंग्स में जितना हिस्सा सफेद है वह पूरी तरह संक्रमित है और महज पिछले नौ दिनों में यह संक्रमण फैला है। इससे वायरस की गंभीरता का पता चलता है। हालांकि डॉक्यूमेंट में बच्चे में वायरल का होना बताया गया है और किसी वायरस का विशेष तौर पर जिक्र नहीं है। बच्चा जेके लोन में भर्ती है।
(राजस्थान के अलावा यूपी, गुजरात, एमपी, पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में हर दिन तीन से चार हजार केस औसतन आ रहे हैं)
संक्रमण भी कोविड जैसा और बचाव भी वैसा ही
मॉस्क का उपयोग करें और घर से बाहर यह जरूर से इस्तेमाल करें।
भीड़ वाली जगहों पर जाने से बचें और ठंडे खाने-पीने से बचें।
बुखार, खांसी हाेने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाएं और खुद या केमिस्ट की ओर से दी गई दवा बिल्कुल नहीं लें।
सांस लेने में तकलीफ हो या छाती में दबाव महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं और यदि डॉक्टर भर्ती करें तो एडमिट हो जाएं।
तेज खांसी, सांस लेने में परेशानी, शरीर में कमजोरी हो तो डॉक्टर को दिखाएं और लिक्विड अधिक लें।
एक्सपर्ट पैनल
डॉ. पुनीत सक्सेना सीनि. फिजिशियन एसएमएस, डॉ. अशोक गुप्ता, सीनि. शिशु रोग विशेषज्ञ जेकेलोन, डॉ. अजीत सिंह श्वांस रोग विशेषज्ञ आरयूएचएस, डॉ. प्रवीण मंगलूनिया, सीनि. फिजिशियन, साकेत हॉस्पिटल।
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