फर्जी कनेक्शन से सिलेंडर बुकिंग, 1.60 करोड़ घरेलू ग्राहकों की KYC जरूरी
कॉमर्शियल सिलेंडरों में घरेलू गैस भरने का चल रहा रैकेट फर्जी कनेक्शन से सिलेंडर बुकिंग, 1.60 करोड़ घरेलू ग्राहकों की KYC जरूरी
जयपुर
उज्ज्वला कनेक्शन के साथ अब प्रदेश के 1.60 करोड़ रसोई गैस उपभोक्ताओं को ई-केवाईसी कराना अनिवार्य होगा। कंपनियों ने डीलर्स को मौखिक आदेश दे दिए गए हैं। तीनों तेल कंपनियों का मानना है कि इस ई-केवाईसी से प्रदेश में मौजूद फर्जी कनेक्शनों को रद्द किया जा सकेगा। पिछले दिनों से लगातार इस बात की शिकायतें मिल रही हैं कि ऐसे ही फर्जी गैस कनेक्शनों के जरिए बुकिंग कराकर डोमेस्टिक सिलेंडर का डायवर्जन हो रहा है।
इस डायवर्जन से तेल कंपनियों को हर माह करोड़ों का घाटा उठाना पड़ रहा है। ऐसे में कंपनियों ने उज्ज्वला के बाद अब सभी घरेलू गैस कनेक्शनों पर भी ई-केवाईसी अनिवार्य कर दी है। प्रदेश में उज्ज्वला और सब्सिडी वाले बीपीएल कनेक्शनों को छोड़ 80 लाख घरेलू गैस उपभोक्ता हैं। इन सभी उपभोक्ताओं को 31 मई तक ई-केवाईसी कराना अनिवार्य है।
यदि उपभोक्ता ऐसा नहीं करते हैं तो उनको दी जा रही सरकारी सुविधाएं मिलना बंद हो सकती है। यही नहीं, कंपनियों का कहना है कि सिलेंडर री-फिल कराने में भी दिक्कत हो सकती है। एचपीसीएल के डीजीएम लल्लन कुमार का कहना है कि सभी उपभोक्ताओं को आधार, अकाउंट नंबर, रजिस्टर मोबाइल नंबर और स्वयं की उपस्थिति के साथ ई-केवाईसी करानी होगी। यह अपने एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटर के पास जाकर या घर पर आने वाले डिलीवरी बॉय के जरिए कराया जा सकता है। जो तीनों कंपनियों के एप के जरिए होगा।
जरूरी क्योंकि वास्तविक कनेक्शनों की पहचान हो
उज्ज्वला व बीपीएल उपभोक्ताओं को 450 रुपए में सिलेंडर मिलता है। उज्ज्वला की सब्सिडी के 300 रुपए केंद्र और 43.50 रुपए राज्य देता है। बीपीएल की पूरी सब्सिडी राज्य सरकार देती है। इनमें से 60% ने ईकेवाईसी करा ली है। कंपनियों का मानना है 40% में से बहुत से फर्जी भी हो सकते हैं।
14 से 15 लाख तक हो सकते हैं फर्जी कनेक्शन?
मोटे तौर पर 80 लाख घरेलू उपभोक्ताओं में से 20-25% यानी 14 से 15 लाख कनेक्शन फर्जी हो सकते हैं। उज्ज्वला और बीपीएल कनेक्शनों की केवाईसी नहीं कराने वालों से ऐसे आंकड़े आए थे।
सरकार को हर साल करोड़ों की जीएसटी का घाटा भी
फर्जी कनेक्शनों से कॉमर्शियल सिलेंडरों में गैस ट्रांसफर होने से राज्य, केंद्र सरकार और पेट्रोलियम कंपनियों को घाटा हो रहा है। रैकेट में 14.2 किलो एलपीजी वाले 4 घरेलू सिलेंडरों से 19 किलो गैस वाले कॉमर्शियल सिलेंडर बनाए जा रहे हैं। बिना बिल से 18 प्रतिशत जीएसटी का नुकसान है। 4 घरेलू गैस सिलेंडर से 5 प्रतिशत के अनुसार 160 रुपए जीएसटी सरकार को मिलती है। 3 कॉमर्शियल सिलेंडर की 18 प्रतिशत के अनुसार जीएसटी 760 रुपए बनती है।
असल में कंपनियों की तरफ से भी एजेंसियों को अधिक से अधिक सिलेंडर री-फिल करने का टारगेट है। ऐसे में कई एजेंसियां ऐसी भी हैं, जो 120 प्रतिशत तक टारगेट पूरा कर रही हैं, यानी यदि किसी एजेंसी पर 10,000 कनेक्शन हैं तो वह 12000 रीफिल कर रहा है। इसमें फर्जीवाड़े की गुंजाइश अत्यधिक है।
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