चक्रवात (Cyclone)
चक्रवात (Cyclone)
- चक्रवात कम वायुमण्डलीय दाब के चारों ओर गर्म हवाओं की तेज़ आँधी को कहा जाता है
- दक्षिणी गोलार्द्ध में इन गर्म हवाओं को ‘चक्रवात’ के नाम से जानते हैं और ये घड़ी की सुई के चलने की दिशा में चलती हैं
- जबकि उत्तरी गोलार्द्ध में इन गर्म हवाओं को ‘हरिकेन’ या ‘टाइफून’ कहा जाता है ये घड़ी की सुई के विपरीत दिशा में चलती हैं
- गर्म क्षेत्रों के समुद्र में सूर्य की भयंकर गर्मी से हवा गर्म होकर कम वायुदाब का क्षेत्र बना देती है
- हवा गर्म होकर तेज़ी से ऊपर जाती है और ऊपर की नमी से संतृप्त होकर संघनन से बादलों का निर्माण करती है
- रिक्त स्थान को भरने के लिए नम हवाएँ तेज़ी के साथ नीचे जाकर ऊपर आती हैं
- फलस्वरूप ये हवाएँ बहुत ही तेज़ी के साथ उस क्षेत्र के चारों तरफ़ घूमकर घने बादलों और बिजली कड़कने के साथ-साथ मूसलाधार बारिश करती हैं
- उत्तरी हिन्द महासागर क्षेत्र के आठ देश (बांग्लादेश, भारत, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, श्रीलंका तथा थाइलैण्ड) एक साथ मिलकर आने वाले चक्रवातों के नाम तय करते हैं
- जैसे ही चक्रवात इन आठों देशों के किसी भी हिस्से में पहुँचता है, सूची से अगला दूसरा सुलभ नाम इस चक्रवात का रख दिया जाता है
- इस प्रक्रिया के चलते तूफ़ान को आसानी से पहचाना जा सकता है और बचाव अभियानों में भी मदद मिलती है किसी नाम का दोहराव नहीं किया जाता है
- इन आठ देशों द्वारा साल 2004 से चक्रवातों के नामकरण की शुरूआत की गई थी
- चक्रवातों के नाम रखने की प्रवृत्ति ऑस्ट्रेलिया से शुरू हुई थी 19वीं सदी में यहाँ चक्रवातों का नाम भ्रष्ट राजनेताओं के नाम पर रखा जाने लगा था
- चक्रवात दो प्रकार के होते हैं-
उष्णवलयिक चक्रवात (Tropical cyclone)
उष्णवलयपार चक्रवात (Extratropical cyclone)
● उष्णवलयिक चक्रवात वायु संगठन या तूफ़ान हैं, जो उष्ण कटिबंध में तीव्र और अन्य स्थानों पर साधारण होते हैं इनसे प्रचुर वर्षा होती है
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- इनका व्यास 50 से लेकर 1000 मील तक का तथा अपेक्षाकृत निम्न वायुदाब वाला क्षेत्र होता है
- ये 20 से लेकर 30 मील प्रति घंटा तक के वेग से चलते हैं
- इनमें हवाओं के घूमने की गति 90 से लेकर 130 मील प्रति घंटे तक होती है
- ये वेस्टइंडीज में ‘प्रभंजन’ तथा चीन सागर एवं फिलिपिन में ‘बवंडर’ कहे जाते हैं
● उष्णवलयपार चक्रवात मध्य एवं उच्च अक्षांशों का निम्न वायुदाब वाला तूफ़ान है - इसमें हवाएँ 20 से लेकर 30 मील प्रति घंटे के वेग से सर्पिल रूप से चलती हैं
- प्राय: इससे हिमपात एवं वर्षा होती है
- दोनों प्रकार के चक्रवात उत्तरी गोलार्ध में वामावर्त तथा दक्षिणी गोलार्ध में दक्षिणावर्त रूप में संचारित होते हैं
- उष्णवलयपार चक्रवात में साधरणत: वायु-विचलन-रेखा होती है, जो विषुवत की ओर निम्न वायु केंद्र में सैकड़ों मील तक बढ़ी रहती है तथा गरम एवं नम वायु को ठंढी और शुष्क वायु से पृथक् करती है
- चक्रवात लोगों के लिए सबसे खतरनाक प्राकृतिक खतरा है
- चक्रवात के शुरुआती या कमजोर चरणों में, इसे ट्रॉपिकल डिप्रेशन कहा जाता है
- एक उष्णकटिबंधीय चक्रवात का निम्न-दबाव केंद्र आमतौर पर 32 से 64 km चौड़ा “आश्चर्यजनक रूप से शांत” क्षेत्र को चिह्नित करता है
- जब मौसम विज्ञानी देखते हैं कि एक नया उष्णकटिबंधीय चक्रवात बन गया है, तो वे इसे एक नाम देते हैं ताकि तूफान से प्रभावित होने वाले लोगों को पूर्वानुमान और चेतावनी जारी कर सकें
- चक्रवात हवाओं का एक क्षेत्र है जो एक परिपत्र गति में बहती है, जो आमतौर पर कम दबाव के क्षेत्र पर केंद्रित होती है
- वे दक्षिणी गोलार्ध में क्लॉकवाइज और उत्तरी गोलार्ध में एंटी-क्लॉकवाइज सर्कल करते हैं
- दक्षिणी गोलार्ध में चक्रवात पूरे वर्ष हो सकते हैं फरवरी के अंत और मार्च की शुरुआत उनके लिए सबसे आम समय है
- उष्णकटिबंधीय चक्रवात भोला, जो 1970 में बांग्लादेश से टकराया था, ने लगभग आधा मिलियन लोगों को मार दिया यह घनी आबादी वाला क्षेत्र हमेशा चक्रवातों के लिए सबसे सक्रिय क्षेत्रों में से एक रहा है
- उष्णकटिबंधीय चक्रवात तेज हवाएं और भारी बारिश का कारण बन सकते हैं यद्यपि वे जमीन पर पहुंचने के बाद कमजोर पड़ जाते हैं, वे तट से 40 किमी तक भारी बाढ़ का कारण बन सकते हैं…
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