वर्ल्ड एंटी टोबैको डे पर थ्री डी दालों की रंगोली बनाई
बोहड़ाकला ब्रह्माकुमारी ओम शांति रिट्रीट सेंटर में आज प्रदर्शन
थ्री डी दालों की बनाई रंगोली की थीम है धूम्रपान का बलिदान करना
देखने में ऐसे लगे रहा जैसे सिगरेट को फांसी के स्टैंड पर लटकाया गया
फतह सिंह उजाला
बोहड़ाकला/ पटौदी। कलाकार अथवा चित्रकार के द्वारा बनाया गया चित्र या कलाकृति ही वास्तव में अपने आप में बहुत बड़ा संदेश देती है । अनुभवी कलाकार अथवा चित्रकार की कलाकृति या चित्र वास्तव में बहुत गहराई लिए हुए बहुत अधिक ऊंचाई तक संदेश को पहुंचाने का काम भी करती है। चित्र या कलाकृति वास्तव में वही जो बिना कोई शब्द लिखें अनगिनत शब्दों का भंडार या फिर संदेश अपने आप में समेटे हुए देखने वाले को पढ़ने के लिए मजबूर बना दे।
इसी कड़ी में शनिवार 31 मई को वर्ल्ड एंटी टोबैको डे के उपलक्ष पर बोहड़ाकला ओम शांति रिट्रीट सेंटर के बीके सचिन के द्वारा नशा अथवा धूम्रपान से होने वाले शारीरिक नुकसान को केंद्र में रखकर एक थ्री डी रंगोली तैयार की गई है। यह देखने में इस प्रकार से प्रतीत होती है कि सिगरेट को फांसी के फंदे पर लटकाया गया है । इस कलाकृति अथवा जैविक अथवा ऑर्गेनिक रंगोली की खासियत यह है कि इसको बनाने में खाने-पीने में इस्तेमाल होने वाली विभिन्न प्रकार की दालों का इस्तेमाल किया गया है। बीके सचिन के द्वारा अभी तक जैविक अथवा ऑर्गेनिक अनेक प्रकार की संदेश प्रेरक कलाकृतियां अथवा रंगोली बनाई जा चुकी है। राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू के द्वारा भी बोहड़ाकला आगमन पर बीके सचिन की बनाई हुई इसी प्रकार की रंगोली अथवा कलाकृतियों को सराहा भी जा चुका है।
बीके सचिन ने जानकारी देते हुए बताया इस रंगोली अथवा थ्री डी कलाकृति को तैयार करने के लिए पेपर वर्क करने में 3 घंटा समय लगा। फ्लोर पेंसिल स्केच में 6 घंटा और रंग भरने में 11 घंटे समय लगा है । इस रंगोली की लंबाई और चौड़ाई को देखा जाए तो इसकी लंबाई 10 फीट और चौड़ाई 7 फिट है। बीके सचिन ने धूम्रपान से होने वाले शारीरिक नुकसान अथवा इसके दुष्प्रभाव पर ध्यान देते हुए विशेष रूप से कैंसर जैसी बीमारियों को देखते हुए कहा कि, अगर भगत सिंह हमारी और देश की आजादी के लिए खुद को फांसी पर चढ़ गए। तो क्या हम अपने शरीर के स्वास्थ्य अथवा अपने आप को स्वस्थ रखने के लिए एक सिगरेट का बलिदान नहीं दे सकते?
बीके सचिन ने बताया इस कलाकृति अथवा रंगोली को बनाने में विभिन्न प्रकार की करीब 7 अलग-अलग रंगों वाले 5 किलो अनाज का इस्तेमाल हुआ है। जिसमें चावल 1 किलो, मसूर दाल 1 किलो, साबुत उड़द 1 किलो, छिलका मूंग दाल, छिलका उड़द दाल, सरसों और मूंग दाल शामिल है । इस प्रकार खाद्य सामग्री अथवा खाद्य पदार्थों से कलाकृति अथवा रंगोली बनाने के पीछे हमारी एक मुहीम है कि केमिकल रंगों के बदले ऑर्गेनिक चीजों का इस्तेमाल करें। ताकि हमारे वायुमंडल और पर्यावरण पर किसी भी प्रकार का बुरा प्रभाव नहीं पड़े ।