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कॉर्पोरेट जॉब, बेहतरीन सैलेरी और अचानक गई नौकरी, जानिए फिर कैसे गाजियाबाद की पूजा को योग ने बचाया

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योगा से ही होगा : कॉर्पोरेट जॉब, बेहतरीन सैलेरी और अचानक गई नौकरी, जानिए फिर कैसे गाजियाबाद की पूजा को योग ने बचाया –

ग्रेटर नोएडा : किसी भी आम व्यक्ति का सपना होता है एक बेहतरीन नौकरी, अच्छा वेतन और कंपनी में ऊंचा पद। ये सपना गाजियाबाद की रहने वाली पूजा मेहरोत्रा जी रही थी। वे एक आईटी कंपनी में उच्च पर पर आसीन थी। उनकी सैलेरी इतनी थी जिसका कुछ लोग सपना देखते हैं। सब कुछ बेहतर चल रहा था लेकिन अचानक एक दिन उनकी नौकरी चली गई। इस बात को पूजा कुछ समय तक संभाल नहीं सकीं, धीरे धीरे उन्हें अवसाद यानि डिप्रेशन ने घेर लिया। लेकिन फिर कुछ ऐसा हुआ कि पूजा इस अवसाद से तो बाहर निकली ही, बल्कि उनकी जिंदगी पहले से कहीं ज्यादा बेहतर हो गई। ये कुछ था योग, जिससे उन्हें शांति मिली, बेहतर जीवन जीने का तरीका मिला और उस परेशानी से वे उबर सकीं जो उन्हें न जाने किस दिशा की ओर ले जाती।

जैसा के हमारे देश के पीएम नरेंद्र मोदी ने 8वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर कहा के योग से शांति मिलती है और यह जीवन जीने का तरीका बनता जा रहा है, उसी तरह योग ने कई देशवासीयो को जीने का तरीका सिखाया और उनको गहरे संकट से उबारा। मिलिए गाजियाबाद के ज्ञान खंड इंदिरापुरम में रहने वाली पूजा मेहरोत्रा से के कैसे कॉर्पोरेट लाइफ से निकलकर उन्होंने योगिक लाइफ को अपनाया। मुश्किल के दौर में कैसे योगा ने उनके जीवन की बागडोर को संभाला आइये जानते है।

पूजा ने बताया कि उन्होंने हमेशा नौकरी की, ग्रेजुएशन के बाद से ही वे लगातार जॉब में थी। उन्होंने केवल एक बार 4 महीने का ब्रेक लिया जब वे मां बनी। इसके बाद भी वे नौकरी करती रही। कभी लंदन तो कभी मुंबई, पूजा हमेशा कॉर्पोरेट जगत में आगे रही। उन्होंने बताया कि काम के सिलसिले में वे लंदन गई थी और जब वो वापस लौटी तो उनके बॉस ने रिजाइन कर दिया। इसके बाद टर्मिनेशन का दौर शुरू हुआ और अचानक 50 लोगो को कंपनी ने निकाल दिया। इसमें पूजा भी थी। जिस नौकरी के लिए उन्होंने अपना सब कुछ ताक पर रखा था वो नही रही। पूजा ने बताया कि वे खाली थी, समय काटने को दौड़ता था। इस दौरान उन्हें ये लगने लगा कि उन्होंने कभी अपने परिवार को समय नहीं दिया। नौकरी का न होना और इस विचार ने उन्हें डिप्रेशन में ला दिया।

एक महीना और बदल गई जिंदगी

इसके बाद पूजा एक महीने तक घर में रहीं, उन्हें अवसाद ने पूरी तरह से जकड़ लिया था। लेकिन एक दिन उन्होंने ठान लिया कि अब किसी और के लिए काम नहीं करेगी। केवल खुद के और परिवार के लिए काम करेगी। इसी सोच के साथ वे आगे बढ़ी और 2019 जून में योग सीखने ऋषिकेश चली गई। उन्होने वर्ल्ड पीस योग स्कूल जॉइन किया और एक महीने तक अपने परिवार खासकर छोटे बच्चे से दूर रहकर अपने कोर्स को पूरा किया और वापस एक स्ट्रॉन्ग पूजा के तौर पर गाजियाबाद लौटी।

फिर शुरू हुआ योग का सफर

जॉब जाने के बाद परिवार खासकर पति ने काफी सपोर्ट किया, उन्होंने आराम करने की सलाह दी। लेकिन पूजा का मन नहीं माना और यहीं से शुरू हुआ उनका योग का असली सफर। वे अब लोगों को योग सिखा कर उनकी परेशानियों को दूर करने लगी। इस मुकाम की पहली सीढ़ी तक पहुंचने में उन्हें 6 महीने का समय लगा लेकिन इसी बीच एक और झटका कोरोना ने दे दिया।

ऑस्ट्रेलिया जाना था लेकिन..

इससे कुछ समय पहले ही पति की ऑस्ट्रेलिया में एक बेहतरीन जॉब लग गई। पूरा परिवार ऑस्ट्रेलिया जाने की तैयारी में था। बच्चे का स्कूल से नाम कटवा लिया गया। ऑस्ट्रेलिया में घर ले लिया गया, टिकट बुक हो गए लेकिन कोरोना ने पूरा प्लान कैंसिल करवा दिया। पति ऑस्ट्रेलिया में ही रह गए। ये दौर पूजा के लिए एक बार फिर परेशानियों का अंबार ले आया। पति 8 महीने बाद विदेश से घर लौट सके, यहां से पूजा को फिर एक बार ताकत मिली।

योग ने ही दिया आराम

पूजा ने बताया कि डिप्रेशन से निकलने के लिए थेरेपी का सहारा लिया, दवाएं लीं लेकिन आराम योग से ही मिला। फैमिली का सपोर्ट होते हुए भी अवसाद उन्हें घेरता ही चला गया था। लेकिन अब सभी उतार चढ़ाव देख कर और उनसे जीत कर पूजा कहती हैं कि मेरे में एक अलग कॉन्फिडेंस आ गया है। अब इंडिया में ही रहना है तो मन रिलैक्स है। नया घर लिया है। न्यूट्रिशन पर बहुत ध्यान दे रही हूं और योग कर रही हूं। उनका कहना है कि योग ऐसा है जिसे बच्चे से लेकर बुजुर्ग भी कर सकते है. केवल फिजिकल एक्सरसाइज नहीं है, ये आपको मानसिक तौर पर भी काफी स्ट्रॉन्ग बनाता है। पूजा का कहना है कि मेरा ये जीवन तो योग की ही देन है.

पूजा ने बदला 30 लोगो का जीवन

जिस पूजा को समझ नहीं आ रहा था एक समय पर के जीवन में आये अवसाद को कैसे दूर किया जाए वही पूजा ने आज 30 लोगो को योग सिखाकर उनका जीवन बदल दिया है. साथ ही साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अवॉर्ड भी हासिल कर देश का नाम रोशन किया ।।

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