किसी के चेहरे से तो किसी के हाथ से उड़ेंगे रंग !
होली से पहले भी आज होगी होली और दिवाली भी होगी
पटौदी जाटोली मंडी परिषद के पिटारे से निकलेंगे विजेताओं के नाम
चेयरमैन सहित वार्ड सदस्य और समर्थक परिणाम को लेकर उत्सुक
फतह सिंह उजाला
पटौदी । प्रतियोगिता कोई भी हो प्रतियोगिता में प्रतिद्वंद्वी भी होते हैं। जिज्ञासा का अंत परिणाम से ही होता है । कौन जीता और कौन हारा ? इसके साथ ही प्रतिभागियों के हाव भाव अपनी कहानी अपने आप बयान करते चले जाते हैं। बुधवार 12 मार्च को इलेक्शन फेस्टिवल की काउंटिंग होनी है। इसके 1 दिन के बाद में रंग खेलने वाला त्योहार दुल्हंदी होली भी है। अब होली के रंग तो होली के ही रंग हैं। यह रंग अपने-अपने अंदाज में उड़ते और उड़ाए जाते भी रहते हैं। जिस प्रकार किसी भी प्रतियोगिता के आरंभ से पहले सभी प्रतिभागियों के चेहरे का रंग अथवा हाव-भाव एक जैसे ही होते हैं। अंतर होता है केवल चेहरे पर दृढ़ता का, यही एक प्रकार से मजबूत विश्वास भी कहा जा सकता है।
पटौदी जाटोली मंडी परिषद के चेयरमैन पद के लिए 11 उम्मीदवार एक दूसरे के प्रतिबंध है। मुख्य मुकाबला भाजपा के प्रवीण ठाकुरिया और कांग्रेस की राजरानी सुधीर चौधरी के बीच बना है। इसके अतिरिक्त जिज्ञासा यही है कि तीन नंबर से 11 नंबर तक किस-किस के नाम और कितने वोट नाम के सामने दर्ज किए जाएंगे। भाजपा के द्वारा परिषद के सभी वार्ड से अपने उम्मीदवार चुनाव मैदान में भेजे गए हैं। कांग्रेस पार्टी ने वार्ड सदस्य के चुनाव सिंबल पर लड़वाने से परहेज किया है। अधिकांश वार्ड में पूर्व जनप्रतिनिधियों और अतीत में प्रतिद्वंद्वी रहे उम्मीदवारों के बीच ही सीधा मुकाबला माना जा रहा है। इसके साथ ही बाजार में विभिन्न प्रकार के होली के रंग बिक्री के लिए उपलब्ध हो गए हैं। कहीं-कहीं तो उत्साही लोगों अथवा युवाओं के द्वारा रंग उछालने अथवा उड़ाने भी आरंभ कर दिए गए हैं। चुनाव के उम्मीदवारों की हार जीत का भविष्य अथवा फैसला इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में बंद है। इस प्रकार की बंदिश चुनाव के सभी उम्मीदवारों के समर्थकों और मतदाताओं के द्वारा ही लगाई गई है। क्योंकि अब चुनाव इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के द्वारा ही करवाए जा रहे हैं।
13 मार्च गुरुवार को होली का पूजन का पर्व है। 14 मार्च शुक्रवार को होली के रंग दुल्हंदी के उपलक्ष पर खेलते हुए उड़ाए जाएंगे । इस बात से बिल्कुल भी इनकार नहीं की अपने-अपने पसंद के उम्मीदवारों की जीत के प्रति पूरी तरह से अस्वस्थ समर्थक मतगणना केंद्र के आसपास निश्चित रूप से ढोल नगाड़े और विभिन्न प्रकार के रंग लेकर पहुंचने से परहेज करेंगे। क्योंकि माहौल ही पूरी तरह से होली फेस्टिवल इलेक्शन का बना हुआ है । इसके अलावा इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता की जीतने वाले उम्मीदवार “हार” से बिल्कुल भी इनकार नहीं कर सकेंगे। जैसे-जैसे चुनाव परिणाम घोषित होंगे , चुनाव में प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवारों और समर्थकों के चेहरे के रंग भी बदलते हुए दिखाई देंगे । समर्थकों के द्वारा अपनी पसंद के उम्मीदवार की जीत पर अपने ही हाथों से विभिन्न प्रकार के रंग भी आसमान में उड़ाए जाएंगे । इस पूरे उत्साही माहौल में मीठा मुंह करने के लिए मिठाई नहीं हो ? ऐसा तो संभव ही नहीं लगता । विजेता और विजेता के समर्थक निश्चित रूप से रंगों में रंगते हुए मिठाई का वितरण भी अवश्य करेंगे।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि चुनाव एक प्रतियोगिता है। इसमें ना कोई विजेता और नहीं कोई हारने वाला होता है । चुनाव में केवल और केवल समर्थकों की संख्या अथवा गिनती का ही अंतर होता है। चुनाव जाने वाला जनप्रतिनिधि अपने संबंधित वार्ड के प्रत्येक मतदाता का प्रतिनिधित्व करता है । इसी प्रकार से चेयरमैन पद पर बहुमत प्राप्त करने वाला उम्मीदवार भी अपने निर्वाचन क्षेत्र में सभी जाति धर्म वर्ग संप्रदाय का प्रतिनिधित्व करता है। होली इलेक्शन फेस्टिवल को इस प्रकार से मनाया जाए, की सभी रंग मिलाकर एक रंग हो जाए। इस एक रंग को कोई भी अलग-अलग नहीं कर पाए।