कारगिल में लगे कैम्प में जिन बच्चों में हार्ट की बीमारियों का पारस हॉस्पिटल गुरुग्राम में सफल सर्जरी
कारगिल में लगे कैम्प में जिन बच्चों में हार्ट की बीमारियों का पता चला था, उन सभी बच्चों की पारस हॉस्पिटल गुरुग्राम में सफल सर्जरी हुई
- कुल मिलाकर 50 बच्चों के हार्ट के आकार को लेकर समस्या का डायग्नोसिस किया गया था।
- पारस हॉस्पिटल, गुरुग्राम ने अगस्त 2022 के महीने में 7 बच्चों का ऑपरेशन किया।
- हार्ट की बीमारी का इलाज होने के बाद सभी बच्चे ख़ुशी-ख़ुशी अपने घर गए।
कारगिल में लगे कैम्प में जिन बच्चों में हार्ट की बीमारियों का पता चला था, उन सभी बच्चों की पारस हॉस्पिटल गुरुग्राम में सफल सर्जरी
गुरुग्राम पारस हॉस्पिटल, गुरुग्राम के पीडियाट्रिक कार्डियक साइंस डिपार्टमेंट ने ड्रीम फॉर चेंज फाउंडेशन और एलएएचडीसी (लद्दाख ऑटोनोमस हिल डेवलपमेंट काउंसिल, कारगिल) के सहयोग से 300 बेड वाले जिला हॉस्पिटल कुर्बाथांग, कारगिल में 7 से 9 जुलाई 2022 तक 3 दिन का हार्ट कैम्प लगाया था। इस कैम्प में युद्ध प्रभावित क्षेत्र कारगिल में स्वास्थ्य सेवा से वंचित लोगों और बच्चों में हार्ट की बीमारियों का डायग्नोसिस किया गया और उनके इलाज के लिए पहल की गई।
डॉ महेश वाधवानी, चीफ-कार्डियक सर्जरी और एचओडी- पीडियाट्रिक एंड एडल्ट कार्डिएक सर्जरी, पारस हॉस्पिटल्स, गुरुग्राम और डॉ दीपक ठाकुर, कंसल्टेंट-पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजी, पारस हॉस्पिटल्स, गुरुग्राम द्वारा कारगिल में लगे कैम्प में 300 बच्चों की जांच की गई। इनमें से लगभग 50 बच्चों में जन्मजात हृदय की बीमारी से पीड़ित होने का पता चला। जब इन बच्चों में बीमारी की जांच की गई तो पता चला कि इनमे से 20 बच्चों को जन्म से हृदय की बीमारी थी और 7 बच्चों को जल्दी ओपन हार्ट सर्जरी और कार्डियक इंटरवेंशन की ज़रूरत थी ताकि उनकी जान को बचाई जा सके। बच्चों में हृदय की बीमारी के स्पेक्ट्रम अलग अलग होते हैं जैसे कि साधारण हृदय की समस्याओं में मेडिकल मैनेजमेंट यानि कि दवा की ज़रूरत होती है और गंभीर जन्मजात हृदय बीमारी के लिए उनका 1 बार अच्छे से इलाज करने और हृदय की बीमारी को शुरूआती उम्र मे ही रोकने के लिए सर्जरी करने की ज़रूरत होती है। कैम्प में माता-पिता को बच्चों की गंभीर हालत के बारे में समझाना मुश्किल था, लेकिन डॉक्टरों ने पारस हॉस्पिटल गुरुग्राम में 7 गंभीर मामलों के लिए तत्काल कार्डिएक सर्जरी और इंटरवेंशन को अंजाम देने के लिए उन्हे समझाने मे सफ़लता पाई।
बच्चों के हार्ट में जब कोई कमी या बीमारी होती है तो उसको ठीक करने के लिए अक्सर कार्डिएक सर्जरी कराने की सलाह दी जाती है। कुछ केस में गंभीरता के आधार पर तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता होती है। ऐसे ही 7 केस थे जिसमे तुरंत कार्रवाई की जरूरत थी। पारस में कार्डियक सर्जनों की टीम ने 100% सफलता दर के साथ इलाज को पूरा दिया।
पारस हॉस्पिटल, गुरुग्राम के पीडियाट्रिक और एडल्ट कार्डियक डिपार्टमेंट के हेड और कार्डिएक सर्जरी के प्रमुख डॉ महेश वाधवानी ने कैम्प की पहल पर कहना है कि “पारस हॉस्पिटल द्वारा कारगिल में जो हार्ट की बीमारियों के लिए कैम्प लगाया था उसकी वजह से कई मरीजों को मदद मिली। अगर यह कैम्प न लगाया गया होता तो ये मरीज इलाज की खोज में एक शहर से दूसरे शहर में बुरी हालत में भटक रहे होते। कुछ केस ऐसे थे जिनमे बच्चों के हार्ट में छेद था और इस वजह से उनका वजन बहुत कम हो गया था। हमें एक साल के बच्चे का ऐसा केस देखने को मिला जिसमे उसका वजन 5 से 6 किलो था और एक और लड़के का केस देखने का मिला जिसकी उम्र 15 से 16 के बीच थी, और उसका वजन 25 से 30 किलो था। हार्ट में छेद (पेटेंट डक्ट्स आर्टिरियोसिस) से कॉम्प्लेक्स साइनोटिक हार्ट डिज़ीज़ देखने को मिली। सभी की हालत ख़राब थी। हमें यह कहने में गर्व महसूस हो रहा है कि इन सभी बच्चों की सफल तरीके से ओपन हार्ट सर्जरी हुई। सभी बच्चों को एक हफ्ते के अन्दर हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी गयी। अब सभी नार्मल लाइफ जी रहे हैं।”
पारस हॉस्पिटल गुरुग्राम के फेटल एंड पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजी कंसलटेंट डॉ दीपक ठाकुर ने कहा, “ऊपर वाले की दया और शुक्र है कि हमारे पास वह जानकारी और स्किल थी कि जिसकी मदद से हम कारगिल के इन बच्चों का इलाज़ कर पाएं। 3 दिन में 300 बच्चों की जांच करना, उनका हार्ट की बीमारियों के प्रति बेहतर ढंग से डायग्नोसिस करना, और इलाज़ (सर्जरी और इंटरवेंशन) करना बहुत ही मुश्किल काम था। हमारे लिए इन बच्चों का इलाज़ करना एक बहुत ही बड़ी चुनौती थी क्योंकि हमारे पास 6 महीने की उम्र से लेकर 16 साल के बच्चें थे जो अलग अलग हार्ट की बीमारी से पीड़ित थे। फिर भी हमारी पारस हॉस्पिटल की डॉक्टरों की टीम ने समर्पण और दृढ़ इच्छाशक्ति दिखाते हुए बच्चों का इलाज किया और उन्हे हंसते मुस्कराते उनके घर के लिए विदा किया।”
पारस हॉस्पिटल, गुरुग्राम के रीजनल डायरेक्टर डॉ समीर कुलकर्णी ने कहा, “बच्चों में हार्ट से सम्बंधित बीमारी पहाड़ी क्षेत्रों में होना बहुत कॉमन है। कभी कुछ मरीजों को यह एहसास भी नहीं होता है कि उन्हें हार्ट की बीमारी है। जब स्थिति बहुत ज्यादा ख़राब हो जाती है तो जाकर उन्हें पता चलता है। अगर किसी बच्चे का वजन नहीं बढ़ रहा है और उसे रोजमर्रा के कामों को करने में परेशानी हो रही है और उसे चलने, दौड़ने या बोलने में परेशानी हो रही है तो माता-पिता को किसी नजदीकी हॉस्पिटल में बच्चे को दिखाना चाहिए। हमने यह पाया है कि ऐसे क्षेत्रों में स्वस्थ लाइफस्टाइल की कमी है और साफ़ सफाई भी बेहतर नहीं है। वही इसकी तुलना में शहरों में अच्छे खानपान की कमी नही होती है, लेकिन साफ़ सफाई न रखने और रेगुलर चेकअप न कराने से शहरी क्षेत्रों में भी बच्चों की हालत बदतर हो सकती है। हमने कारगिल में इसलिए कैम्प लगाया था ताकि कार्डिएक बीमारी से पीड़ित बच्चों का डायग्नोसिस और इलाज किया जा सके। इस कैम्प में हमें बहुत सारे गंभीर केस देखने को मिले। कैम्प का समापन अच्छे से हुआ। मरीजों को चेहरे पर मुस्कान के साथ उनके परिवार वालों के पास भेजा गया। डॉक्टरों और नर्सों को इस बात पर गर्व है कि उन्होंने स्वास्थ्य सेवा से वंचित लोगों की मदद की। पारस हॉस्पिटल एक बार समाज में मिसाल बनके उभरा है।”
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