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झुग्गी झोपड़ी के बच्चों को पढ़ने के लिए किया प्रोत्साहित

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झुग्गी झोपड़ी के बच्चों को पढ़ने के लिए किया प्रोत्साहित

जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण- रोटरी क्लब, साउथ सिटी के द्वारा

स्टेशनेरी आइटम्ज जैसे किताबें, पेन, क्रेआंज आदि वितरित किए

फतह सिंह उजाला
गुरुग्राम। 
  जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण गुरुग्राम ने शनिवार को रोटरी क्लब, साउथ सिटी के साथ मिलकर विश्व बाल श्रम निषेध दिवस पर सेक्टर- 29 की झुग्गी झोपड़ी में रह रहे बच्चों को पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया।  इस अवसर पर बच्चों को स्टेशनेरी आइटम्ज जैसे किताबें, पेन, क्रेआंज आदि वितरित किए गए।

जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण की सचिव एवं मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ललिता पटवर्धन ने बताया कि  विश्व बाल श्रम निषेध दिवस के अवसर पर स्लम एरिया में रहने वाले बच्चों के माता पिता को समझाया गया कि वे अपने बच्चों को पढ़ायें और एक अच्छा नागरिक बनायें। श्री रविंद्र जैन, श्री अनिल आर्य, रोटरीयन और अन्य समाजसेवी लोगों ने मिलकर सभी माता पिता से प्रण दिलवाया कि वे सभी अपने बच्चों को पढ़ाएँगे और कभी मजदूरी के लिए नहीं भेजेंगे। इसके साथ ही श्री महेन्द्र कुमार, पेरा लीगल वालंटियर ने नवज्योति इंडिया फाउंडेशन की मदद से धुमसपुर झुग्गी झोपड़ियों में रह रहे बच्चों को कपड़े और मास्क भी बाँटे और उन्हें पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया।

जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण गुरुग्राम के पैनल अधिवक्तायों और पारा लीगल वालंटीर्ज ने डिजिटल प्लाट्फोर्म के जरिए भी ज्यादा से ज्यादा लोगों को जागरूक किया गया । उन्होंने बताया कि विश्व बाल श्रम निषेध दिवस बच्चों के विकास पर आधारित और केंद्रित होता है। बाल श्रम की सबसे बड़ी वजह ही गरीबी है जिससे मजबूर होकर बच्चों को मजदूरी करना पड़ता है। कई बच्चे ऐसे है जो दो वक्त की रोटी के लिए अपने माता-पिता के साथ काम करते है। दुनियाभर में के बच्चे  है जो छोटी सी उम्र में मजदूरी के काम करते है। जिस उम्र में बच्चों को पढ़ाई के साथ खेलना कूदना होता है मजबूरी में उनको अपनी आजीविका के लिए माता-पिता का समर्थन करने के लिए मजदूरी करनी पड़ती है।

उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण देश के कई राज्यों में लॉकडाउन की स्थिति  के चलते कई लोगों की जिंदगी प्रभावित हुई और इस वजह से कई बच्चों की जिंदगी भी प्रभावित हुई है। ऐसी स्थिति में बहुत से बच्चों को बाल श्रम की ओर धकेलने की संभावनाएं हैं। ऐसे में जरूरी है कि लोगों को अधिक से अधिक जागरूक किया जाए कि वे अपने बच्चों को बाल मजदूरी की ओर न धकेले।

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