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मणिपुर में 6 मामलों की पहले से ही जांच कर रही CBI, नहीं हुई कोई गिरफ्तारी; गवाहों को ढूंढना मुश्किल..!!

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नई दिल्ली: मणिपुर में 6 मामलों की पहले से ही जांच कर रही CBI, नहीं हुई कोई गिरफ्तारी; गवाहों को ढूंढना मुश्किल..!!

नई दिल्ली: मणिपुर में हिंसा से संबंधित छह मामलों की जांच कर रही सीबीआई ने अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं की है। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि प्रक्रिया के अनुसार, जांच एजेंसी ने पिछले महीने राज्य पुलिस से एफआईआर ले ली और जांच जारी है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने नाजुक परिस्थितियों को देखते हुए एफआईआर को दोबारा दर्ज करने के एक महीने बाद भी इसे सार्वजनिक नहीं किया है। अधिकारियों ने कहा कि एजेंसी ने केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा भेजे गए छह मामलों की जांच के लिए जून में एक डीआइजी-रैंक अधिकारी के तहत एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया था।

एजेंसी के लिए गवाहों को ढूंढना मुश्किल:

उन्होंने कहा कि एजेंसी की टीमें कठिन परिस्थितियों में मामलों की जांच कर रही हैं। उन्हें अक्सर हिंसक भीड़, नाकाबंदी और विरोध प्रदर्शन का सामना करना पड़ता है। जातीय आधार पर गंभीर हिंसा का सामना करने वाले राज्य में गवाहों को ढूंढना मुश्किल है। एक अधिकारी ने कहा, “अब तक, सीबीआई ने मणिपुर हिंसा मामलों से संबंधित छह एफआईआर के संबंध में किसी को गिरफ्तार नहीं किया है। जांच जारी है।”

मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मैतेई समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में तीन मई को आयोजित ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के दौरान हिंसा भड़क उठी थी। इसके बाद से राज्य में अब तक 160 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं तथा कई अन्य घायल हुए हैं। राज्य में मैतेई समुदाय की आबादी करीब 53 प्रतिशत है और वे मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं। वहीं, नगा और कुकी जैसे आदिवासी समुदायों की आबादी 40 प्रतिशत है और वे अधिकतर पर्वतीय जिलों में रहते हैं। इन झड़पों से पहले कुकी ग्रामीणों को आरक्षित वन भूमि से बेदखल करने को लेकर तनाव था, जिसके कारण कई छोटे आंदोलन हुए थे।

मणिपुर वीडियो मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गयी: केंद्र ने न्यायालय को बताया:

केंद्र ने बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि उसने हिंसाग्रस्त मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र किए जाने संबंधी घटना की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दी है और कहा कि सरकार का रुख ‘‘महिलाओं के खिलाफ किसी भी अपराध को बिल्कुल बर्दाश्त न करने का’’ है।

गृह मंत्रालय ने अपने सचिव अजय कुमार भल्ला के जरिए दाखिल हलफनामे में शीर्ष न्यायालय से इस मामले की सुनवाई मणिपुर से बाहर स्थानांतरित करने का भी अनुरोध किया ताकि मुकदमे की सुनवाई समयबद्ध तरीके से पूरी हो सके। मणिपुर के कांगपोकपी जिले में चार मई को दो महिलाओं को भीड़ द्वारा निर्वस्त्र कर उन्हें घुमाए जाने की घटना का पता 19 जुलाई को सामने आए एक वीडियो के जरिए चला।.

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