Publisher Theme
I’m a gamer, always have been.

ऑनलाईन शराब डिलीवरी के तीन ठग को दबोचा

18

ऑनलाईन शराब डिलीवरी के तीन ठग को दबोचा

ऑनलाइन वाइन देने के नाम पर 105000 रुपए ऐंठे

ईमेल, मैसेज, व्हाट्सएप मैसेज इत्यादी भेज करते सम्पर्क

एटीएम से व पीओएस के माध्यम से रूपये निकाल लेते

फतह सिंह उजाला
गुरूग्राम। 
 ऑनलाईन शराब डिलीवरी, ओएलएक्स  खरीद/बेच, सैक्सटॉर्शन इत्यादि माध्यमों से साईबर ठगी करने वाले अंतरराज्यीय गिरोह के 03 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।’ एसीपी क्राइम प्रीतपाल सांगवान ने जानकारी देते बताया कि 25 जुलाई को एक व्यक्ति ने बताया कि किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा जगदीश वाइन शॉप से ऑनलाइन वाइन देने के नाम पर धोखाधड़ी करके इससे लगभग 105000/-  रुपए ऐंठ लिए। इस संबंध में थाना साईबर क्राइम, गुरुग्राम में धारा 419/420 और 66डी आाईटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया।

इस मामले में थाना साईबर क्राइम पूर्व, गुरुग्राम की टीम के द्वारा 3 आरोपियों आकीब जावेद, तस्लीम खांन व साबिर को भरतपुर से गिरफ्तार किया गया। पूछताछ में ज्ञात हुआ कि ये आन लाइन वाइन डिलीपरी -ओएलएक्स पर समान/वाहन खरीदने/बेचने व अन्य माध्यम बनाकर रुपए ऐंठते/ठगते है। ठगी करने के लिए आकीब जावेद व तस्लीम खांन ईमेल, मैसेज, व्हाट्सएप मैसेज इत्यादि विभिन्न माध्यमों से लिंक भेजकर व कॉल करके लोगों से सम्पर्क करते थे। अकाउंट में रूपये आने के बाद ये लोग एटीएम मशीनों से व पीओएस के माध्यम से रूपये निकाल लेते है।

आरोपी साबिर खांन उपरोक्त ठगी करने के लिए इन्हें फर्जी नाम पते के बैंक खाते व सिमकार्ड उपलब्ध कराता था। बैंक खातों में रुपए आने के बाद ये तुंरत बैंक खातों से रुपए निकाल लेते है और साबिर खांन को भी उसमें से हिस्सा दे देते थे। इनके द्वारा प्रयोग किए गए बैंक खाते के अवलोकन से पाया गया है कि पिछले 15 दिनों में ही इन्होंने लगभग 25 लाख रुपए ठग लिए हैं। पुलिस टीम द्वारा ’इनके कब्जा से कुल 47200/- रुपयों, 04 मोबाईल फोन, इसके द्वारा प्रयोग किए गए बैंक के खाता मे पंजीकृत सिम, ।ज्ड ब्ंतक व अन्य 13 सिम (कुल 14) बरामद’ की गई हैं। ठगी के लिए इनके द्वारा प्रयोग किए जा रहे बैंक खाते को भी फ्रीज कराया गया है। आरोपियों को न्यायालय में पेश करके जेल भेज दिया गया है।

Comments are closed.

Discover more from Theliveindia.co.in

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading