वीरांगना रामावती की कर्म और तपोस्थल पहुंच हुआ धन्य: दिग्विजय
वीरांगना रामावती की कर्म और तपोस्थल पहुंच हुआ धन्य: दिग्विजय
1962 के शहीद हीरो ऑफ नेफा शहीद दलीप सिंह के घर पहुंचे
80 वर्षीय वीरांगना रामावती के देहावसान पर परिवार को दी सांत्वना
वीरांगना रामावती के त्याग समर्पण और निष्ठा को सुन हुए भावुक
वीरांगना रामावती जैसा त्याग बलिदान निष्ठा सभी के लिए प्रेरणा
फतह सिंह उजाला
पटौदी/जाटोली । जननायक जनता पार्टी के प्रधान महासचिव दिग्विजय सिंह चौटाला 1962 भारत-चीन युद्ध के शहीद हीरो ऑफ नेफा शहीद दलीप सिंह की धर्मपत्नी वीरांगना रामावती के जाटोली आवास पर पहुंचे । यहां पहुंच कर दिग्विजय सिंह ने कहा कि वीरांगना रामावती कि कर्म और तपोस्थली जाटोली आवास पर पहुंच मेरा जीवन धन्य हो गया । गौरतलब है कि जाटोली निवासी 80 वर्षीय वीरांगना रामावती बीते दिन उस वक्त एक हादसे का शिकार हो गई जब वह घर पर ही किसी जरूरी कार्य के लिए माचिस जला रही थी । उसी दौरान उनके वस्त्रों में आग लग गई और परिजन तुरंत उपचार के लिए दिल्ली सफदरजंग अस्पताल ले गए। लेकिन उपचार के दौरान वीरांगना रामावती ने अंतिम सांस ली।
राजपूत बहुल और केंद्र में मंत्री जनरल वीके सिंह की ससुराल जाटोली के मूल निवासी ठाकुर छज्जू सिंह और मुकंदी देवी के पुत्र दलीप सिंह 1959 में सेना में भर्ती हुए। 21 जून 1962 को यूपी के गांव थोरा बनकापुर निवासी श्री ठाकुर टूकी सिंह की पुत्री रामा देवी के साथ दलीप सिंह का विवाह हुआ। ससुराल से विदा होकर दलीप सिंह पत्नी रामावती को लेकर जैसे ही अपने घर जाटोली पहुंचे, तो यहां उनको अपनी यूनिट में पहुंचने और रिपोर्ट करने का पत्र प्राप्त हुआ । इस पत्र को देखते ही जांबाज योद्धा दलीप सिंह 22 जून 1962 को सुबह ट्रेन से अपनी यूनिट के लिए रवाना हो गए । इसके बाद 20 अक्टूबर 1962 को शहीद दलीप सिंह की शहादत की खबर गांव जटोली पहुंची । तब तक नवविवाहिता रामावती के हाथों में लगी मेहंदी का रंग भी हल्का नहीं हो सका था । इतना ही नहीं विवाह के उपरांत जाटोली घर लौटने पर नव दंपति सैनिक दलीप सिंह और रामावती एक दूसरे का चेहरा तक नहीं देख पाए थे। अल्प आयु में ही ससुराल पहुंची रामावती के योद्धा पति दलीप सिंह शहादत को प्राप्त हुए। उस समय रामावती पर क्या कुछ बीती होगी ? यह सोचना और समझना संभव ही नहीं है ।
इसके बावजूद वीरांगना रामावती ने आजीवन अपनी ससुराल में ही रहने का संकल्प किया और यहां परिजनों की सेवा टहल में अपनी अंतिम सांस तक लगी रही। करीब एक पखवाड़े पहले वह घर में ही माचिस जलाते समय हादसे का शिकार हो गई। दिग्विजय सिंह चौटाला वीरांगना रामावती के द्वारा विवाह के उपरांत 60 वर्ष तक के जीवन सफर और परिवार सहित परिजनों की सेवा सहित उनके समर्पण, निष्ठा और दृढ़ निश्चय के विषय में जानने के बाद भावुक हो गए। उन्होंने कहा वीरांगना रामावती जैसा जीवन, निष्ठा, समर्पण और सेवा भाव जीवन में शायद ही कभी सुनने और देखने के लिए मिलेगा। वास्तव में वीरांगना रामावती का जीवन और उनके जीवन आदर्श हम सभी और आज की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा है। वीरांगना रामावती के द्वारा पारिवारिक संस्कारों का जो बीजारोपण किया गया , ऐसा कार्य अनुकरणीय ही है । वीरांगना रामावती को आज के युग की सती सावित्री ही कहा जा सकता है । इस मौके पर परिजनों में सतपाल चौहान, वीर सिंह , महेश , मनोज चौहान के अलावा पूर्व एमएलए रामवीर सिंह, पूर्व मंत्री अनिता यादव, ऋषि राज राणा, अनंतराम तंवर , नरेश सेहरावत, सूबे सिंह बौहरा , जयंती चौधरी, भारत सिंह नंबरदार सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति भी मौजूद रहे।
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