बाड़मेर आंखों के सामने मौत देखी, भूखे रहे:चार महीने जंगल में घूमे, अब गिनीज बुक वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ नाम
🌸🌾बाड़मेर आंखों के सामने मौत देखी, भूखे रहे:चार महीने जंगल में घूमे, अब गिनीज बुक वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ नाम
🌸🌾राजस्थान में ग्रीनमैन के नाम से फेमस साइकलिस्ट नरपतसिंह राज पुरोहित का नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ है। उन्हें ये रिकॉर्ड एक ही देश में सबसे लंबी साइकिल यात्रा करने के लिए मिला है। बता दें बाड़मेर के गांव लंगेरा में रहने वाले नरपत सिंह ने 20 महीने में कुल 30 हजार 121 किलोमीटर का सफर पूरा किया था। इस दौरान कुल 29 राज्यों से होकर गुजरे।
🥀यात्रा के किस्से शेयर करते हुए नरपतसिंह ने बताया- अपने सफर के दौरान उन्होंने ऐसी घटनाएं देखीं, जिन्हें देख दिल दहल गया। उनकी आखों के सामने एक ट्रक ने बाइक सवार को कुचल दिया। इससे सदमे में आए नरपत एक घंटे तक उसी जगह बैठे रहे।
🥀उन्हें अपने सफर के दौरान भूखा रहना पड़ा। कभी सिर्फ बिस्किट खाकर गुजारा करना पड़ा। इसके बावजूद अपना सफर जारी रखा।
🥀इस यात्रा को सर्दी, गर्मी, तूफान, बारिश भी रोक नहीं पाई, लेकिन कोविड व लॉकडाउन के कारण यात्रा को डेढ़ साल तक रोकना पड़ा, लेकिन जिद और हौसले से यात्रा पूरी की। उन्होंने यात्रा के दौरान जगह-जगह 93 हजार पौधे भी लगाए, ताकि पर्यावरण को लेकर मैसेज दे सकें।
ग्रीनमैन ने बताया- इस साइकिल यात्रा में चार अवॉर्ड मिले हैं। गिनीज वर्ल्ड रिकार्ड का सिलेक्शन ऑनलाइन करीब एक माह पहले दिखाने लग गया था। सर्टिफिकेट कुछ दिन पहले ही आया था। शुक्रवार को आसोतरा धाम गादीपति तुलसाराम महाराज ने नरपत को यह अवॉर्ड देकर सम्मानित किया।
साइकिल पर तिरंगा लगाए 29 राज्यों से निकाली यात्रा, कोविड ने रोका, लेकिन जिद की वजह से पूरी की यात्रा।
साइकिल पर तिरंगा लगाए 29 राज्यों से निकाली यात्रा, कोविड ने रोका, लेकिन जिद की वजह से पूरी की यात्रा।
ग्रीनमैन नरपत सिंह राज पुरोहित ने बताया- जम्मू कश्मीर एयरपोर्ट से 27 जनवरी 2019 को यात्रा शुरू की थी। पूरी यात्रा साइकिल पर जीपीएस सिस्टम के आधार पर की। साइकिल पर भारत का तिरंगा, दो जोड़ी कपड़े, एक जोड़ी जूते, पंक्चर किट, वायर ब्रेक, ट्यूब, पंप, ब्रेक लेटर, ठहरने के लिए छोटा टेंट (6X2) लेकर निकला था। पानी पीने के लिए बोतल और एटीएम साथ में था। जयपुर में मेरी यात्रा 20 अप्रैल 2022 को पूरी हुई।
आगे पढ़िए जब चार महीने तक तमिलनाडु के जंगल में फंसे…
यात्रा के दौरान बाइक राइडर को ट्रक ने कुचल दिया था। अपने सामने यह हादसा देखकर ग्रीन मैन घबरा गए और कई रात तक उन्हें नींद नहीं आई।
यात्रा के दौरान बाइक राइडर को ट्रक ने कुचल दिया था। अपने सामने यह हादसा देखकर ग्रीन मैन घबरा गए और कई रात तक उन्हें नींद नहीं आई।
कोविड लॉकडाउन में तमिलनाडु में फंसा, चार महीने वहीं रहा
नरपतसिंह ने बताया- यात्रा शुरू करने के करीब सवा साल बाद लॉकडाउन लग गया। उस समय मैं तमिलनाडु के होसर इलाके में फंस गया। वहां पर टाइल्स व्यापारी ने मेरी मदद की। जंगल में उनकी फैक्ट्री थी, मैं चार महीने उसी फैक्ट्री में रहा। मेरे साथ वहां कुछ मजदूर भी थे। वहां पर वन्यजीवों का आना-जाना था, इसलिए खतरा काफी था। जैसे-जैसे लॉकडाउन कम हुआ, वहां से निकला और बाड़मेर पहुंचा।
हाथ फ्रैक्चर होने व दूसरी लहर ने रोकी यात्रा
कोविड की पहली लहर के बाद 2021 में दूसरी लहर आ गई थी। दूसरी लहर जानलेवा थी। राजस्थान में सबसे ज्यादा पाबंदिया लगी हुई थी। इससे दोबारा यात्रा शुरू करने में मुझे करीब सवा साल का समय लग गया। इस दौरान टैक्सी की टक्कर से मेरा हाथ भी फैक्चर हो गया। जब कोरोना कम हुआ तो बाड़मेर से फिर तमिलनाडु पहुंचा। 27 अक्टूबर 2021 को तमिलनाडु के होसुर से फिर से यात्रा शुरू की।
नरपतसिंह ने सबसे लंबी साइकिल यात्रा का गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज करवाया।
नरपतसिंह ने सबसे लंबी साइकिल यात्रा का गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज करवाया।
समुद्री व पहाड़ी इलाके में सबसे ज्यादा परेशानी
नरपत सिंह ने बताया- मुझे सबसे ज्यादा परेशानी समुद्री इलाके में हुई। यहां से निकलने के दौरान उमस के कारण पसीने से पूरा शरीर भीग जाता था। पहने हुए कपड़े ही शरीर को खाते थे। बार-बार साइकिल की सर्विस करनी पड़ती थी। साइकिल में जंग लगने का डर रहता था। रोजना जूते व कपड़ों का धोना पड़ता था। पहाड़ी इलाके में डर लगता था कि कोई पत्थर का टुकड़ा आकर नहीं गिर जाए।
नरपत सिंह का कहना है कि हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में मेरी आंखों के सामने बाइक राइडर को ट्रक ने कुचल दिया। मेरा दिल दहल गया। इसके बाद आंखों के सामने बार-बार वहीं तस्वीर घूमने लगी। करीब एक घंटे तक घटनास्थल के पास ही डाईफ्रूट वाली दुकान पर बैठ गया। उसके बाद कई राताें तक नींद भी नहीं आई।
नरपत सिंह को आसोतरा गादीपति महाराज तुलसाराम ने गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड का सर्टिफिकेट देकर किया सम्मानित।
नरपत सिंह को आसोतरा गादीपति महाराज तुलसाराम ने गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड का सर्टिफिकेट देकर किया सम्मानित।
जब दो जिन बिना तिरंगा करना पड़ा सफर
नरपत सिंह ने बताया- कन्याकुमारी से चेन्नई में घुस रहा था। इस दौरान बीच रास्ते में रुककर बिस्किट खा रहा था। मौके से गुजर रहे एक युवक ने मेरी साइकिल को लात मार दी। इससे साइकिल नीचे गिर गई। तिरंगा भी गंदा हो गया। मैंने तिरंगा को उठाया। समेट कर बैग में रख दिया। उस समय दो दिन बिना तिरंगा चला था।
साइकिल पर सिर्फ एक पानी की बॉटल और जरुरत का सामान रखकर पूरा किया सफर।
साइकिल पर सिर्फ एक पानी की बॉटल और जरुरत का सामान रखकर पूरा किया सफर।
रोज कितना चलना है, यह टारगेट नहीं बनाया
नरपत सिंह बताते है कि यात्रा के दौरान यह कभी तय नहीं किया कि आज कितने किलोमीटर साइकिल लेकर चलना है। मेरा टारगेट एक ही था कि पर्यावरण बचाने की मुहिम अधिक से अधिक लोगों, बच्चों तक पहुंचे। इसके लिए स्कूलों, कॉलेज, रेलवे स्टेशन और पुलिस स्टेशन पर जाकर पौधे भेंट करने के साथ पर्यावरण संरक्षण को लेकर बताता था। यात्रा में करीब 1400-1500 जगह पर नुक्कड़ सभा की। लोगों को बताया कि पर्यावरण बचाना क्यों जरूरी है।
देश के अलग-अलग राज्यों में नरपत सिंह ने लोगों को पौधे गिफ्ट कर अपनी यात्रा पूरी की।
देश के अलग-अलग राज्यों में नरपत सिंह ने लोगों को पौधे गिफ्ट कर अपनी यात्रा पूरी की।
नरपत ने बताया- यात्रा में लोगों का रिस्पॉन्स जबरदस्त मिलता था। लोग साथ में सेल्फी खींचने पहुंच जाते थे। उन्होंने कहा- इंसान को अपने जीवन में दो पौधे जरूर लगाने चाहिए। एक पौधा सांस लेने के लिए। दूसरा अपनी आखिरी सांस के लिए। मैं हर साल पर्यावरण दिवस पर खुद को हरे रंग से रंग लेता हूं। शहरों में घूम-घूमकर लोगों को पर्यावरण और जल संरक्षण का संदेश देता हूं। मैंने अपनी यात्रा में ज्यादातर आबादी वाले रूट ही चुने हैं। यहां रुककर मैं युवाओं को पर्यावरण को बचाने के लिए जागरूक करता हूं।
जयपुर पहुंचकर पूरा हुआ नरपतसिंह का 30 हजार किलोमीटर का सफर।
जयपुर पहुंचकर पूरा हुआ नरपतसिंह का 30 हजार किलोमीटर का सफर।
29 राज्यों में 30 हजार से ज्यादा किलोमीटर की यात्रा
ग्रीनमैन ने मणिपुर, मेघालय और मिजोरम को छोड़कर 29 राज्य व केंद्र शासित राज्यों में यात्रा की। इसमें रेगिस्तान, पहाड़, समुद्री इलाकों में से भी निकला।
लंगेरा के रहने वाले हैं नरपत सिंह
नरपत सिंह का पैतृक गांव बाड़मेर जिला मुख्यलाय से 6 किलोमीटर दूर लंगेरा गांव है। नरपत सिंह तीन भाई हैं। तीनों एक साथ रहते हैं। 2015 निंवाई टोंक में मिठाई की दुकान लगाई थी। लॉकडाउन में वह दुकान बेचनी पड़ी। फिलहाल नरपतसिंह काम की तलाश में हैं।
नरपतसिंह वन्यजीवों के लिए भी काम करते हैं। गर्मियों में उनके खाने-पीने का भी ध्यान रखते हैं।
नरपतसिंह वन्यजीवों के लिए भी काम करते हैं। गर्मियों में उनके खाने-पीने का भी ध्यान रखते हैं।
184 हिरणों का बचाया
नरपत सिंह के मुताबिक व्यक्तिगत तौर पर अब तक 169 चिंकारे व 25 से अधिक अन्य विलुप्त होते वन्य जीवों को संरक्षित कर उनका इलाज करवा चुके हैं। इसके साथ ही खुद के खर्च पर गांवाई नाडी में पानी के टैंकर डालकर गर्मियों में वन्य जीवों के लिए पीने के पानी की व्यवस्था करते हैं। इसी के साथ पक्षी बचाओ, परिंडा लगाओ, चीनी मांझे पर प्रतिबंध, प्लास्टिक मुक्ति आदि अभियान चलाकर लोगों को पर्यावरण के लिए जागरुक कर रहे हैं।
बहन और भतीजी की शादी में बारातियों को भेंट किए पौधे
उन्होंने खुद की बहन की शादी के दौरान बारातियों को 251 पौधे भेंटकर उनके संरक्षण का संकल्प दिलाया। हाल ही में उनकी भतीजी की शादी में बारातियों को 151 पौधे भेंट किए। इसके साथ ही बाड़मेर में वन्य जीवों के संरक्षण के लिए उन्होंने दर्जनों अभियान चलाए हैं।
ये भी पढ़ें…
राजस्थान का बेटा खोलेगा खून तस्करी के राज़:गांव से भागकर बिना टिकट मुंबई पहुंचा; अब करोड़ों की मूवी बना रहा
सपने को हकीकत बनाने के लिए कोई कितना संघर्ष कर सकता है, 50 दिन? 100 दिन? 1 साल? 10 साल? राजस्थान के इस बेटे ने अपने सपने को पूरा करने के लिए 22 साल तक संघर्ष किया। सपना एक फिल्म बनाने का। 42 साल के अनवर का ये सपना रणदीप हुड्डा स्टारर फिल्म लाल रंग पार्ट 2 के साथ पूरा होने जा रहा है। इस फिल्म के जरिए अनवर खून की तस्करी से जुड़ी अनसुनी कहानियां और छिपे हुए राज सामने लाएंगे।
Comments are closed.