Publisher Theme
I’m a gamer, always have been.
Rajni

बलिहारी गुरु, आपने गोविंद  दियो बताय – प्रदीप महाराज

0 2

बलिहारी गुरु, आपने गोविंद  दियो बताय – प्रदीप महाराज

महाबल धाम आश्रम कालियावास का 27 वां स्थापना दिवस मनाया गया

आज ही के दिन आध्यात्मिक गुरु महामंडलेश्वर ज्योति गिरी का आशीर्वाद मिला

गाय, माता-पिता और समाज सेवा ही वास्तव में सबसे मानव धर्म

श्रमजीवी पत्रकार संघ जिला पटौदी इकाई के संरक्षक भी हैं प्रदीप महाराज

फतह सिंह उजाला 

गुरुग्राम । 27 अगस्त का दिन मेरे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण और कल्याणकारी दिन है। आज ही के दिन मुझे आध्यात्मिक गुरु महामंडलेश्वर ज्योति गिरी महाराज का सानिध्य और आशीर्वाद प्राप्त हुआ। आज ही के दिन जय महाबल धाम आश्रम की स्थापना की गई और आज ही के दिन ब्रह्म मुहूर्त में 3 बजकर 57 पर मुझे आध्यात्मिक गुरु महामंडलेश्वर स्वामी ज्योति गिरी महाराज की कृपा से आश्रम में पीठाधीश्वर होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। सही मायने में यह कहना ज्यादा बेहतर है कि बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताय । गुरु की असीम कृपा दूर दृष्टि और आशीर्वाद से भौतिक संसार से अलग हटकर अध्यात्म के रास्ते पर चलते हुए जन सेवा समाज सेवा का सौभाग्य और प्रेरणा प्राप्त हुई। यह बात जय श्री संकट मोचन ट्रस्ट गुरुग्राम और जय महाबल  धाम आश्रम मिर्ची की ढाणी कालियावास फरुखनगर के अधिष्ठाता प्रदीप महाराज ने आश्रम के 27 में स्थापना दिवस के मौके पर कही। 

इस मौके पर धर्म प्रेमी और सनातन के अनुयाई श्रद्धालुओं के द्वारा ध्वज परिक्रमा निकलते हुए इसका समापन श्री संकट मोचन हनुमान मंदिर पर हुआ। इस मौके पर गुरुग्राम, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, पंजाब, उत्तर प्रदेश व आसपास से बड़ी संख्या में श्रद्धालु और साधु संत मौजूद रहे। श्रमजीवी पत्रकार संघ पटौदी इकाई के संरक्षक जय महाबल धाम आश्रम की अधिष्ठाता प्रदीप महाराज का अभिनंदन पटौदी इकाई संस्थापक और पूर्व महासचिव फतह सिंह उजाला, उपाध्यक्ष मोहम्मद रफीक खान के द्वारा समृति चिन्ह तथा अंग वस्त्र भेंट कर किया गया। इस मौके पर श्रमजीवी पत्रकार संघ पटौदी के ही पदाधिकारी में अनिल यादव, जयप्रकाश शर्मा, श्री कृष्णा कुमार सभरवाल सहित अनेक प्रबुद्ध ग्रामीण और धर्म प्रेमी व्यक्ति भी मौजूद रहे।

यहां खास बातचीत के दौरान महामंडलेश्वर स्वामी ज्योति गिरी महाराज के कृपा पात्र प्रदीप महाराज ने धर्म की व्याख्या करते हुए कहा घर में या कहीं किसी धार्मिक स्थल पर बैठकर पूजा पाठ करना ही पर्याप्त नहीं है । गाय माता, माता – पिता, बड़े बुजुर्गों, साधु, संतों, सन्यासियों, ब्रह्मचारियों और जहां से भी अच्छी बातें या अनुभव प्राप्त हो। उसे जीवन में स्वीकार करना ही सही मायने में धर्म कहा जा सकता है । इन सब पर अमल करने वाला व्यक्ति जीवन में कभी भी गलत कार्य करने के लिए विचार भी नहीं कर सकेगा। उन्होंने बताया 1999 में एक ऐसा क्षण आया जब सब कुछ सुविधा होते हुए एकदम से अचानक ही वैराग्य की तरफ आकर्षित हुआ और अध्यात्म को अपने जीवन में धारण कर लिया। आध्यात्मिक गुरु महामंडलेश्वर स्वामी ज्योति गिरी महाराज की असीम कृपा और अनुकंपा से ही आज जीव सेवा और समाज सेवा निस्वार्थ भाव से की जा रही है। उन्होंने कहा 27 अगस्त के दिन का महत्व इस नजरिया से भी महत्वपूर्ण हो गया है कि आज गणेश चतुर्थी भी है । भगवान गणेश को किसी भी शुभ कार्य में सबसे पहले याद करते हुए उनका आह्वान कर पूजन किया जाता है।

मौजूदा दौर में गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाने के सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, यह बात सही है कि गाय को हम सभी माता कहते हुए माता के रूप में पूजा भी कर रहे हैं । भारतीय सनातन संस्कृति और समाज में मुंह से कह गए रिश्तो की अपनी एक मर्यादा और उन रिश्तो को निभाने की एक लंबी ऐतिहासिक बलिदानी गाथाएं भी उपलब्ध हैं। गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाने के लिए सही मायने में हम सभी को अपने विचारधारा और मानसिकता को बदलकर जन आंदोलन बनाना होगा। गाय माता को जब कोई भी माता कहने वाला उसके कत्ल करने का विरोध आरंभ करते हुए जिस दिन यह जन आंदोलन बना देगा, उस दिन अपने आप ही गाय राष्ट्रीय पशु ही स्वीकार कर ली जाएगी। केवल मात्र गौशालाएं खोलने से ही गाय को वध होने से नहीं बचाया जा सकता। एक परिवार एक गाय का पालन भी आरंभ कर दे तो वह 10 गाय को पालने के बराबर होगा। उन्होंने कहा यह एक प्रकार से संस्कृत हमला ही है कि जिन पशुओं को गोद में नहीं होना चाहिए, वही पशु अथवा जानवर माता या महिलाओं की गोद में दिखाई देते हैं । अन्य पशु अथवा जानवरों की तरह गाय भारतीय सनातन संस्कृति में व्यापारिक पशुपालन के लिए नहीं है । गाय माता भारतीय सनातन, संस्कृति , सभ्यता, पर्यावरण,  और संस्कार का आधार स्तंभ है। उन्होंने कहा प्रत्येक व्यक्ति को अपने सामर्थ के मुताबिक जितना संभव हो समाज हित में अच्छे कार्य करना चाहिए।

Leave a Reply

Discover more from Theliveindia.co.in

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading