टोटल नी रिप्लेसमेंट के लिए आर्टेमिस हॉस्पिटल ने क्यूविस जॉइंट रोबोटिक सिस्टम शुरू किया
• घुटने की रिप्लेसमेंट सर्जरी के लिए कुविस नामक अत्याधुनिक रोबोटिक सिस्टम लॉन्च करके आर्टेमिस अस्पताल के नाम एक और उपलब्धि जुड़ गई है।
• रोबोटिक सर्जरी के साथ घुटने का प्रत्यारोपण एकदम सही तरीके से किया जाता है, रोगी की रिकवरी तेजी से होती है, और प्रत्यारोपण 30 से 35 सालों तक काम करता है, युवा मध्यम आयु वर्ग के वयस्कों में घुटने की गंभीर समस्याओं से निपटने के लिए लॉन्ग-टर्म समाधान प्रदान करता है।
प्रधान संपादक योगेश
गुरुग्राम, : मध्यम आयु वर्ग के 45-50 साल के लोगों में आजकल घुटनों की समस्या तेजी से बढ़ती हुई देखी जा रही है। सुस्त जीवन शैली, शारीरिक व्यायाम की कमी और घुटने की चोटों की अनदेखी समाज में इस बढ़ती प्रवृत्ति के कुछ प्रमुख कारण हैं |
इस कार्यक्रम में उपस्थित डॉक्टरों की टीम में डॉ. आई पी एस ओबेरॉय, चेयरपर्सन, आर्थोपेडिक्स प्रोग्राम और चीफ – रोबोटिक जॉइंट रिप्लेसमेंट एंड आर्थ्रोस्कोपी सर्जरी, डॉ. संजय सरूप, हेड ऑर्थोपेडिक्स (यूनिट II) एंड चीफ पीडियाट्रिक ऑर्थोपेडिक्स एंड स्पाइन सर्जरी, डॉ. (प्रो.) रवि सौहता -चीफ एंड हेड ऑर्थोपेडिक्स एंड जॉइंट रिप्लेसमेंट (यूनिट VI), डॉ. रामकिंकर झा, चीफ एंड यूनिट हेड ऑर्थोपेडिक्स (यूनिट III), डॉ. देवेंद्र एस. सोलंकी, हेड ऑर्थोपेडिक्स (यूनिट I) और डॉ. संदीप चौहान, हेड ऑर्थोपेडिक्स (यूनिट III) सामेल है।
डॉ. आई पी एस ओबेरॉय, चेयरपर्सन, आर्थोपेडिक्स प्रोग्राम और चीफ – रोबोटिक जॉइंट रिप्लेसमेंट एंड आर्थ्रोस्कोपी सर्जरी, आर्टेमिस हॉस्पिटल गुरुग्राम, ने बताया, “हम इन दिनों 45 से 50 साल के मध्यम आयु वर्ग के वयस्कों में घुटने की बहुत सारी समस्याएं को देख रहे हैं। इन मरीजों में आमतौर पर लंगडाना, घुटनों में सूजन, घुटनों में दर्द,सीढ़ियां चढ़ते समय और विभिन्न अन्य दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों को करने में कठिनाई के लक्षण दिखाई दे रहे हैं। इनमें से ज्यादातर लक्षण आमतौर पर 60 साल और उससे अधिक आयु वर्ग के लोगों में देखे जाते हैं, हालाँकि, आजकल हम 45 और 50 साल के आयु वर्ग के व्यक्तियों के अधिक मामले देखे जा रहे हैं, जिसका मतलब है कि युवाओं में घुटने का गठिया अब एक बड़ी चिंता और देश के लिए एक बड़ी स्वास्थ्य चुनौती बनता जा रहा है।”
पुराना घुटने का दर्द एक आम शिकायत है जो आम तौर पर मध्यम से वृद्ध लोगों को प्रभावित करता है। पुराना घुटने का दर्द किसी चोट की वजह से हो सकता है, जैसे लिगामेंट का टूटना या कार्टिलेज का फटना या ऐसी स्थितियों के कारण जिनमें गठिया, गाउट और संक्रमण शामिल हैं। ज्यादातर मामलों में शारीरिक चिकित्सा, दवाएं, जीवनशैली में बदलाव समस्याओं को कम करने और रोजमर्रा के जीवन को सक्रिय बनाए रखने में मदद करते हैं। हालांकि, कुछ स्थितियों में, घुटने की समस्या की गंभीरता के आधार पर डॉक्टर घुटने की रिप्लेसमेंट सर्जरी का सुझाव दे सकते हैं।
डॉ. आई पी एस ओबेरॉय ने आगे बताया, “एमआरआई के आने से, अब हम घुटने की चोटों और समस्याओं का बहुत विस्तार से निदान करने में सक्षम हैं, विशेष रूप से लिगामेंट टियर्स और रप्चर का निदान अधिक सटीक और विस्तृत तरीके से किया जा सकता है। बेहतर डाइअग्नास्टिक उपकरण और मेडिकल टेक्नोलॉजी के आने से शुरुआती व्यवधान का पता करना अब आसान हो गया है, जिससे घुटनों को कम नुकसान पहुचता है और रोगी की शारीरिक स्थिति में सुधार होता है। हालांकि, घुटने की समस्याओं के प्रति सालों की उपेक्षा और उदासीनता के कारण हम यह देख रहे हैं की ज्यादातर लोगों को अब गंभीर समस्याएं हो रही हैं और उन्हें घुटने की रिप्लेसमेंट सर्जरी की सलाह दी जा रही है, विशेष रूप से गठिया के अग्रिम स्टेज वाले मरीजों को।”
टीम के अनुसार, “रोबोटिक तकनीक के साथ घुटने की रिप्लेसमेंट सर्जरी करने से ट्रेडिशनल सर्जरी की तुलना में महत्वपूर्ण फ़ायदा मिलता है, क्योंकि यह बहुत ही सटीक और न्यूनतम इनवेसिव है और इसमें सॉफ्ट टिश्यू सुरक्षित रहते हैं। मरीज की रिकवरी तेजी से होती है, अस्पताल में कम रहना पड़ता है और सर्जरी के कुछ दिनों के बाद मरीज चल-फिर सकता है। रोबोटिक घुटने की रिप्लेसमेंट सर्जरी हृदय के मरीजों के लिए विशेष रूप से अनुकूल है, क्योंकि इसमें जटिल स्थिति की संभावना कम होती है और रोगी एक ही समय में दोनों घुटनों का ऑपरेशन करवा सकता है, जो ट्रेडिशनल तरीके से संभव नहीं है। रोबोटिक तकनीक के साथ प्रत्यारोपित किया गया घुटना आमतौर पर 30 से 35 साल तक अच्छी तरह से काम करता है और 45 साल और उससे अधिक उम्र के वयस्कों के लिए आजीवन देखभाल मुक्त समाधान प्रदान करता है।
डॉ आई पी एस ओबेरॉय ने आगे बताया, “कभी-कभी, रुमेटीइड गठिया जैसे गठिया वाले रोगियों में घुटने की गंभीर विकृति भी होती है। रोबोटिक सर्जरी से जिस सटीकता के साथ इम्प्लांट किया जाता है, वह गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त घुटनों पर भी बेहतर काम करता है। घुटने के गठिया के अधिकांश मरीजों के लिए रोबोटिक सर्जरी एक वरदान की तरह है। घुटने के दर्द वाले युवा व्यक्तियों को एमआरआई और एक्स-रे स्कैन के रूप में जांच करानी चाहिए ताकि अभी जो नुक़सान होना शुरू हुआ है उसे देखा जा सके और यदि नुक़सान विकसित या प्रगति कर रहा है, तो रोबोटिक कंप्यूटिंग असिस्टेड सर्जरी के साथ जल्द से जल्द उन्हें सही करने की तकनीकें उपलब्ध हैं ।”
आर्टेमिस अस्पताल, गुरुग्राम ने हाल ही में घुटने की रिप्लेसमेंट सर्जरी के लिए क्यूविस ज्वाइंट रोबोटिक सिस्टम का अधिग्रहण किया है, जो सर्जनों को व्यक्तिगत 3डी सीटी इमेजिंग के जरिए सर्जरी की पूर्वयोजना बनाने की अनुमति प्रदान करता है। सिस्टम चलाने में आसान है और काटने के विकल्पों की एक श्रृंखला के साथ सर्जनों को लचीलापन प्रदान करता है। प्रक्रियाएं सटीक, न्यूनतम इनवेसिव और मरीजों के लिए बहुत ही सुरक्षित हैं। क्यूविस ज्वाइंट रोबोटिक सिस्टम की सहायता से सर्जन सटीक इम्प्लांट प्लेसमेंट कर सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप सर्जरी के बाद अधिक प्राकृतिक एहसास होता है। मरीजों को भी फ़ायदा होता है क्योंकि नज़दीक के टिश्यू को चोट लगने का जोखिम कम होता है और रोबोटिक सर्जरी के बाद संक्रमण का ख़तरा भी कम होता है। छोटे चीरों की वजह से मरीज का कम खून बहता है और दर्द भी काफी कम होता है। इम्प्लांट्स काफ़ी दिनों तक चलते हैं, जिससे मरीजों के घुटने काफ़ी दिनों तक काम करते हैं और जिससे उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार होता है।
इस कार्यक्रम में उपस्थित डॉक्टरों की टीम में डॉ. संजय सरूप, हेड ऑर्थोपेडिक्स (यूनिट II) एंड चीफ पीडियाट्रिक ऑर्थोपेडिक्स एंड स्पाइन सर्जरी, डॉ. (प्रो.) रवि सौहता -चीफ एंड हेड ऑर्थोपेडिक्स एंड जॉइंट रिप्लेसमेंट (यूनिट VI), डॉ. रामकिंकर झा, चीफ एंड यूनिट हेड ऑर्थोपेडिक्स (यूनिट III), डॉ. देवेंद्र एस. सोलंकी, हेड ऑर्थोपेडिक्स (यूनिट I) और डॉ. संदीप चौहान, हेड ऑर्थोपेडिक्स (यूनिट III) सामेल है।
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