गुड़गांव के पारस हॉस्पिटल के न्यूरोसर्जन का कमाल, 9 महीने के बच्चे के सिर को दिया नया आकार
- एपर्ट सिंड्रोम से पीड़ित है बच्चा, पारस हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने उसकी रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी की
- एपर्ट सिंड्रोम एक दुर्लभ बीमारी है। दुनिया भर में 65,000 से 200,000 जन्मों में से 1 बच्चे को यह बीमारी होती है।
- इस बीमारी में चेहरे की बनावट अजीब ढंग से होती है जैसे कि जबड़ा मोटा और उठा हुआ होता है, आँखों का गोलक बड़ा और फैला होता है, नेत्रगोलक के बीच की दूरी ज्यादा होती है और मैक्सिला निकला हुआ होता है।
- बच्चे की सिर की हड्डियाँ गर्भ में आपस में जुड़ गईं थी और पूरी तरह से विकसित नहीं हुईं थी, जिससे वह मानसिक रूप से कमजोर हो गया था।
प्रधान संपादक योगेश
गुरुग्राम: पारस हॉस्पिटल, गुरुग्राम के डॉक्टरों ने दुर्लभ एपर्ट सिंड्रोम के साथ पैदा हुए 9 महीने के बच्चे के सिर (खोपड़ी) को फिर से नया आकार दिया। डॉ. सुमित सिन्हा, डाइरेक्टर, न्यूरो और स्पाइन सर्जरी, पारस हॉस्पिटल्स ने अपनी टीम के साथ एब्जॉर्बल पॉलीमर प्लेटों की मदद से खोपड़ी को फिर से तैयार किया। हालांकि आगे चलकर मरीज को 5 या 6 साल की उम्र में अपना चेहरा बेहतर बनाने के लिए प्लास्टिक सर्जरी कराने की जरूरत होगी।
दिल्ली के मोहम्मद नबील नाम का बच्चा एपर्ट सिंड्रोम नाम की बीमारी के साथ पैदा हुआ। यह बीमारी एक बहुत ही दुर्लभ बीमारी है और यह तब होती है जब बच्चा माँ के पेट में होता है। इस बीमारी के होने पर खोपड़ी, चेहरे और कभी-कभी पैर की उंगलियां और हाथों की उंगलियाँ ख़राब हो जाती है। जिस तरह से अन्य बच्चे पैदा होने पर रोते हैं ठीक उसी तरह से नबील भी रोया था। लेकिन उसके जन्म के ठीक बाद उसके चेहरे की अजीबोगरीब बनावट के कारण उसमे इस बीमारी का पता चला। उस समय डॉक्टरों ने 9 महीने बाद उसकी पहली सर्जरी कराने की सलाह दी। पीड़ित बच्चे के पिता को विश्वास था कि इस बच्चे का भविष्य उज्जवल है और यह ठीक हो सकता है इसलिए उन्होंने हार नहीं मानी। इस तरह की बीमारी बच्चे के दिमाग को प्रभावित कर सकती है और उसे मानसिक रूप से कमजोर बना सकती है लेकिन जब उसका इलाज पूरी तरह से हो जायेगा तो वह अन्य बच्चों की तरह सामान्य जिंदगी जीने में सक्षम हो सकेगा। इसी उम्मीद से उसके माता-पिता उसका इलाज करा रहे हैं।
इस केस के बारे में बताते हुए डॉ. सुमित सिन्हा, डाइरेक्टर, न्यूरो और स्पाइन सर्जरी, पारस हॉस्पिटल ने कहा, “बच्चे की दुर्लभ बीमारी का आकलन करने के बाद न्यूरोसर्जन की हमारी टीम ने पहले रीमॉडेलिंग और फिर आगे की सर्जरी करने का फैसला किया। पीड़ित बच्चे को मोहम्मद शौकत अली (27 Nov 2022) पर भर्ती किया गया था और सर्जरी 29 नवंबर, 2022 को की गई थी। यह पीड़ित बच्चा जब गर्भ में था, तो उसकी खोपड़ी की हड्डियाँ आपस में जुड़ गई थीं और इससे उसके मस्तिष्क का विकास बाधित हो गया था। उसकी खोपड़ी दिखने में छोटी थी। इस वजह से उसका मस्तिष्क ढंग से विकसित नहीं हो पाया, जिस वजह से वह मानसिक और शारीरिक रूप से भी प्रभावित हुआ। यह बीमारी दुर्लभ होती है। इस दुर्लभ बीमारी में मरीज के शरीर में अन्य चीजों का जुड़ाव भी होता है जैसे कि फ्यूज्ड उंगलियां, सभी पांच उंगलियां बच्चे में जुड़ी हुई थीं, चेहरे की बनावट भी अजीबो-गरीब थी। उसका जबड़ा बाहर निकला हुआ था, आंखों के गोलक के बीच की दूरी बढ़ी हुई थी और मैक्सिला भी निकला हुआ था।
सर्जरी के बाद बच्चा अब सामान्य दिख रहा है और अब वह धीरे-धीरे उबर रहा है। बीमारी के कारण उसकी सामान्य गतिविधि जो नहीं हो पाती थी वह अब धीरे-धीरे हो रही है। उसकी अगली सर्जरी 1 से 2 साल बाद दोनों हाथों की उंगलियों को अलग करने के लिए होगी। डॉक्टर के अनुसार 5 से 6 साल की उम्र में होने पर उनके चेहरे के लिए एक प्लास्टिक सर्जरी होगी।
पीड़ित बच्चे के पिता श्री मोहम्मद शौकत अली ने कहा, “जब नबील का जन्म होने वाला था तब मैं और मेरी पत्नी बहुत उत्साहित थे लेकिन जब उसकी बीमारी का पता चला तो हम से टूट गए। मेरे और मेरी पत्नी के मेरे माता-पिता को यह समझाना आसान नहीं था कि इस बीमारी का इलाज हो सकता है। हालांकि पारस हॉस्पिटल्स के डॉक्टरों की वजह से यह संभव हो पाया। मैं उनका समय पर सर्जरी करवाने के लिए आभारी और धन्य हूं। मुझे आशा है कि नबील जल्द ही अन्य बच्चों तरह उनके साथ खेलेगा। हमें अब उसकी विचित्र बनावट के लिए उसे अन्य बच्चों से अलग नहीं रखना पड़ेगा।”
गर्भ में पल रहे बच्चे में कोई बीमारी है या नहीं, इसकी जांच करने के लिए हर माता-पिता को प्रसव पूर्व टेस्ट कराने की सलाह दी जाती है। पहला प्रसवपूर्व टेस्ट गर्भावस्था के 20 सप्ताह से पहले और दूसरा 28वें सप्ताह के बाद किया जाना चाहिए। अगर किसी बीमारी का पता चलता है तो गर्भावस्था को ख़त्म किया जाता है ताकि भविष्य में बच्चे में होने वाली समस्याओं से बचा जा सके और ऐसे बच्चे का जन्म न हो। गर्भावस्था के दौरान माताओं को अपने खान-पान का ख़ास ध्यान रखना चाहिए। उन्हें अपनी डाइट में फोलिक एसिड और जरूरी विटामिन वाले खाद्य पदार्थों को शामिल करना चाहिए।
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