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अहीर कॉलेज जमीन घोटाले का मामला पंहूचाया मुख्यमंत्री के पास

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अहीर कॉलेज जमीन घोटाले का मामला पंहूचाया मुख्यमंत्री के पास

पूर्व आयुक्त टीएल सत्यप्रकाश ने 2009 में एफआईआर के आदेश दिए थे

200 करोड़ की जमीन महज डेढ करोड रुपये में खरीदकर घोटाला

प्रोपट्री आईडी लीज या किराए पर लेने वाला नहीं बनवा सकता

फतह सिंह उजाला
गुरूग्राम। 
अहीरवाल के लंदन रेवाडी के अहीर कॉलेज की जमीन घोटाले का मामला अब प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के दरबार में जा पंहूचा है। पिछले एक सप्ताह से अहीर कॉलेज की जमीन के मामले ने दक्षिणी हरियाणा में काफी तूल पकडा हुआ है, इसमें विपक्ष के प्रत्येक नेता ने बडे ही उच्च स्तर पर इस मामले को उछाला है।

वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पूर्व मंत्री कैप्टेन अजय सिंह यादव ने इस घटनाक्रम की सारी जानकारीे लिखित में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, गृह मंत्री अनिल विज, शिक्षा मंत्री, मुख्य प्रींसीपल सेक्रेटरी इत्यादि को सौंपी है। अपने लिखे पत्र में कैप्टेन अजय सिंह ने कहा कि मैं आपको रेवाडी के अहीर कॉलेज की जमीन घोटाले की जानकारी देना चाहता हूं कि किस तरह से रजिस्ट्री में अनियमता हैं और अहीर एजुकेशन बोर्ड से अहीर एजुकेशन प्राईवेट सोसाईटी बना ली गई। इस प्राईवेट सोसाईटी के चेयरमैन केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह हैं। अहीर कॉलेज की 200 करोड रूपये की जमीन को महज डेढ करोड रुपये में खरीदकर बडा जमीन घोटाला किया है। जमीन भी उन लोगों से खरीदी गई है जो जमीन के असल मालिक है ही नही। जिन लोगों ने मालिक बनकर जमीन को बेचा है उनको एयू खान एडीजे हिसार द्वारा वर्ष 1938 में ही जमीन के असल मालिक रहे र्स्व लाला मक्खन लाल का वंशज नही माना गया था। उसके बाद इन्होंने किसी अदालत में दोबारा से याचिका भी नही डाली। अब किस आधार पर इन्होंने जमीन को बेच दिया। इन लोगों के खिलाफ कोर्ट में दर्जनों मुकदमें चल रहे हैं तथा रेवाडी के पूर्व आयुक्त टीएल सत्यप्रकाश ने 2009 में एफआईआर दर्ज करने तक के आदेश भी दिए थे।

पूर्व मंत्री यादव के मुताबिक रजिस्ट्री में जो प्रोपर्टी आईडी लिखी हुई है उसमें सिर्फ 4805 गज जमीन दिखाई गई थी जबकि रजिस्ट्री 105 कनाल की हुई है। साथ ही इसमें प्रोपर्ट्री टैक्स नही भरा, डेवलपमेंट चार्ज नही भरा हुआ है और सबसे बडी बात यह है कि प्रोपट्री आईडी को लीज या किराए पर लेने वाला बनवा ही नही सकता, प्रोपट्री आईडी को तो केवल मालिक ही ले सकता है तो फिर इन्होंने कैसे बनवा ली। इसके अलावा रजिस्ट्री अनुसार भूमि का जो पट्टा चढा हुआ है वह 1965 का है और इनके अधिवक्ता उसको 1935 का बोलते हैं जबकि हमें जो जानकारी मिली है उसके अनुसार वह 1928 से 2018 तक था। इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री र्स्व. राव बिरेंद्र सिंह ने 6 अप्रैल 1980 को अहीर एजुकेशन बोर्ड को डिसोल्व करके उसको अहीर एजुकेशन सोसायटी बना ली थी जिसमें मात्र एक नाम पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री र्स्व. राव बिरेंद्र सिंह का था। उसके बाद उन्होंने अपने चहेते लोगों को ही अहीर एजुकेशन सोसायटी में शामिल किया था।

कैप्टेन अजय सिंह ने बताया कि सोसाईटी में सैंकडों आजीवन सदस्य थे उन सभी को निकाल दिया गया और जो मेंबर अब हैं उनमें केवल इंद्रजीत के परिवार के सदस्य ही हैं। 1944 से लेकर 1980 तक के सदस्यों की लिस्ट को सार्वजनिक करना चाहिए था, ताकि लोगों के सामने सच्चाई आ सके। लोगों ने खून पसीना एक करके कॉलेज को बनाया था सैंकडों लोगों ने चंदा दिया था। लेकिन हमारे अहीरवाल की धरोहर को भी राव इंद्रजीत सिंह ने नही बख्सा। अहीर कॉलेज की मलकियत को प्राईवेट लिमिटेड संस्था बना लिया गया है।  यह प्राईवेट संस्था होने के बाद भी युजीसी से ग्रांट ली जा रही है और सरकार से सेलरी भी ली जा रही है। अहीर कॉलेज को समाज के लोगों ने मिलकर बनाया था। उन लोगों के नाम के पत्थर भी हटा दिए गए। यहां पर बने हुए अहीर स्कुल को बंद कर दिया और आरबीएस नाम से स्कुल खोल दिया गया। यहां पर भगवती आश्रम होता था उसको भी बंद कर दिया गया। इसके अलावा वहां पर लडकियां शिक्षा ग्रहण करती थी, जेबीटी कॉलेज होता था, वो सब कुछ बंद कर दिया गया। इसके अलावा दिल्ली में राव तुलाराम कॉलेज होता था वहां कॉलेज की जगह टेनिस कोर्ट खोल दिया गया। जिसका किराया भी राव इदं्रजीत सिंह द्वारा लिया जा रहा है।

सीएम को लिखे पत्र में कहा है कि बुधवार 22 सितंबर 2021 को केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के खिलाफ  मीडिया सेंटर में पत्रकार वार्ता करने आए संपूर्णानंद को भाजपा नेता सुनील मूसेपुर तथा उसके साथियों ने लोहे की राड व डंडों से बूरे तरीके से लहू लुहान कर दिया। संपूर्णानंद के पास अहीर कॉलेज से संबंधित दस्तावेज थे इसलिए उसने प्रेस कांफ्रेस बुलाई थी और सीएम विंडों के माध्यम से आपको भी इसकी सूचना देना चाहता था। मैं जब उसके मिलने गया तो वह मीडिया के सामने चिल्ला रहा था कि मुझे राव इंद्रजीत सिंह के आदमियों ने मारा है। लेकिन पुलिस ने आईपीसी की हल्की धाराओं 323 व 325 के तहत मामला दर्ज कर आरोपियों को हाथों हाथ ही जमानत दे दी। जबकि पीडित संपूर्णानंद गुडगांव के फोर्टिस अस्पताल में एडमिट है। मैं स्वयं उससे मिलने गया था, उसके दोनों पांव व हाथ में फ्रक्चर है और वह सिरियस है। इसलिए उक्त सभी बातों से ईलाके के लोगों में भारी रोष है। जनता और सरकार के साथ हो रहे इस भारी नुक्सान के लिए आप इस पर उचित कार्रवाई करें।

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