वातावरण के बदलाव का असर गेहूं पर होने के आसार, एग्रीकल्चर अधिकारी ने किसानों को दी सलाह
वातावरण के बदलाव का असर गेहूं पर होने के आसार, एग्रीकल्चर अधिकारी ने किसानों को दी ये सलाह
,,,,: एक दम से बदल रहे मौसम को लेकर खेतीबाड़ी विभाग ने पक रही गेहूं की फसल को लेकर चिंता जाहिर की कि कही अधिक गर्मी के कारण फसल की पैदावार ही कम न हो जाए। पिछले सालों के मुताबिक इस साल फरवरी के महीने में गर्मी का प्रकोप दिन ब दिन बढ़ता जा रहा है, जिसका असर गेहूं की फसल पर भी पड़ सकता है। फसल की पैदावार कम न हो उसके लिए चीफ एग्रीकल्चर अधिकारी जसवंत राय ने बताया कि इस समय गेहूं की फसल के दाने निकल कर पक रहे हैं, जिस कारण हवा में गर्मी अधिक बढ़ने के साथ इन दानों पर प्रभाव पड़ सकता है।
राय ने कहा कि बढ़ रही गर्मी से गेहूं की फसल को बचाने के लिए किसानों को खेतों में हलका पानी लगाना शुरू कर देना चाहिए। फसलों पर 2 फीसदी पोटाशियम नाइट्रेट का छिड़काव किया जा सकता है। बढ़ रही गर्मी के साथ गेहूं की फसल पर तेले का हमला हो सकता है और रस चूस कर गेहूं की पैदावार कम कर सकता है।
ऐसे मौसम में फसल को पीली कूंगी की मार भी पड़ सकती है। किसानों से अपील करते हुए राय ने कहा कि लगातार खेतों का दौरा करके इन कीड़े और बीमारी के हमले से फसल को बचाया जा सकता है। कृषि यूनिवर्सिटी की तरफ से जिन दवाओं का छिड़काव करने के लिए कहा गया है, उनका ही इस्तेमाल किया जाए।
डॉ. जसवंत राय ने बताया कि वातावरण के बदलाव के कारण पानी का स्तर भी गिर रहा है। इसलिए किसानों को उन फसलो की बिजाई करनी चाहिए जिनमें पानी कम लगता है। बढ़ रही गर्मी से फसल को कैसे बचाया जाए। उसके लिए किसानों को जागरुक करने के लिए कैंप भी लगाए जा रहे हैं।
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