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मातृभूमि-मानवता के प्रति समर्पित बिपिन रावत जैसा योद्धा दुर्लभ

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मातृभूमि-मानवता के प्रति समर्पित बिपिन रावत जैसा योद्धा दुर्लभ

भविष्य के युद्ध की तकनीक को देखते रावत जैसे योद्धा की कमी खलेगी

क्रूर काल का ऐसे समय शिकार हुए जब उनकी थी सबसे अधिक जरूरत

फतह सिंह उजाला
गुरुग्राम/पटौदी । 
देश के पहले चीफ आफ डिफेंस सीडीएस बिपिन रावत सहित अन्य 13 सैनिकों की दुनिया के श्रेष्ठतम हेलीकॉप्टर के साथ घटित हादसे में शहादत ने हर आम और खास व्यक्ति को विचलित कर डाला है । इसमें सामान्य जन्म से लेकर समाज का मार्गदर्शन करने वाले प्रकांड विद्वान साधु संत भी शामिल है ।

काशी सुमेरु मठ के पीठाधीश्वर शंकराचार्य नरेंद्रानंद सरस्वती महाराज ने जारी एक वक्तव्य में सीडीएस बिपिन रावत , उनकी पत्नी मधुलिका रावत सहित 13 जांबाज सैनिकों के असामयिक निधन पर अपनी संवेदना व्यक्त करते हुए मातृभूमि और मानवता के लिए अपूर्णीय क्षति बताया है । उन्होंने कहा सीडीएस बिपिन रावत देश के पहले ऐसे सर्वाेच्च सैन्य पद पर पहुंचे, जिनके कंधे पर 5 स्टार थे और उनके जीवनकाल के दौरान जो भी युद्ध कौशल प्रदर्शित किया गया। उस कौशल के सर्वाधिक मेडल हमेशा उनकी पहनी हुई यूनिफार्म पर प्रत्येक सैनिक सहित देश के युवाओं को प्रेरित करते रहते थे।

शंकराचार्य नरेंद्रानंद सरस्वती महाराज ने कहा सीडीएस बिपिन रावत के पास 40 वर्ष का सैन्य अनुभव मौजूद था और जिस प्रकार से उनको तीनों सेनाओं का सर्वाेच्च पदाधिकारी बनाया गया। उसके मुताबिक अभी कम से कम 3 वर्ष और उनके द्वारा तीनों सेनाओं को प्रत्येक क्षेत्र में पारंगत करने पर काम भी किया जा रहा था। बिपिन रावत के पास 10 वर्ष से अधिक का अलगाववादी ताकतों और आतंकवादियों से निपटने के कौशल का भी अनुभव मौजूद था। लेकिन समय के क्रूर काल ने उन्हें हम सभी के बीच से छीन लिया।  जिसकी शायद ही किसी के द्वारा कल्पना भी की गई होगी।

इसी कड़ी में अपनी संवेदना व्यक्त करते आध्यात्मिक चिंतक और वेदों सहित धर्म ग्रंथों के मर्मज्ञ महामंलेश्वर धर्मदेव महाराज ने कहा की यह अटल और सत्य भी है कि मौत जीवन का अंतिम सत्य है । लेकिन जब किसी अनहोनी या हादसे में जिसके विषय में सोचा भी नहीं जा सके , इस प्रकार के हादसे में सेना हो या अन्य कोई अन्य सेवा क्षेत्र हो। उसमें श्रेष्ठतम और सर्वाेच्च पदाधिकारी अपने कर्तव्य का निर्वहन करते हुए हादसे का शिकार हो जाए तो दुख व्यक्त करने के लिए शब्द भी बाकी नहीं बचते हैं । उन्होंने कहा सीडीएस बिपिन रावत केवल मात्र एक सैनिक ही नहीं थे । सही मायने में वह सैनिक वर्दी में और सैनिक सोच वाले मानवता के प्रति संवेदनशील व्यक्ति होने के साथ ही युद्ध कौशल और युद्ध नीति के एक वैज्ञानिक भी थे । विविन रावत के द्वारा ही इस बात की आशंका जाहिर की गई थी कि कोरोना कॉविड 19 जैसी महामारी को देखते हुए जैविक युद्ध नीति पर भी गंभीरता से चिंतन और मंथन किया जाना भी जरूरी है । क्योंकि आधुनिक तकनीक से हथियारों को तैयार किया जा रहा है और युद्ध की नीति में नई तकनीक को शामिल किया जा रहा है। इन सब बातों पर एक वैज्ञानिक सोच वाला सैनिक ही मानव जाति के कल्याण और सुरक्षा के हित को ध्यान में रखते हुए अपने विवेक से भविष्य के विषय में सोचने की क्षमता रखता है।

महामंडलेश्वर धर्मदेव महाराज ने कहा सीडीएस बिपिन रावत उनकी पत्नी मधुलिका रावत सहित 13 जीवट धारी जांबाज सैनिकों का हेलीकॉप्टर हादसे में हम सभी और भारत माता से बिछड़ जाना, एक ऐसी शून्यता है जिसे पूरा किया जाना संभव दिखाई नहीं दे रहा है। सीडीएस बिपिन रावत उनकी पत्नी मधुलिका रावत सहित 13 सैनिकों के द्वारा अपने अंतिम समय तक राष्ट्र के लिए कार्य करते रहना हमेशा प्रेरणा प्रदान करता रहेगा । इसी कड़ी में पटौदी के एमएलए भाजपा के प्रदेशमंत्री एडवोकेट सत्य प्रकाश जरावता, टेसवा के प्रधान राजेंद्र यादव, कमांडर योगेंद्र चौहान, पूर्व कैप्टन कंवर सिंह, राज्य शिक्षा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष रामवीर सिंह,  पूर्व में नेवी अधिकारी नरेंद्र यादव अन्य के द्वारा अपनी संवेदनाएं व्यक्त करते हुए हताहत होने वाले सभी सैनिकों को सलाम करते हादसे में बचने वाले कैप्टन वरूण सिंह के लिए शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की है।

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