वैदिक नववर्ष, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा विक्रमी संवत् 2079 (2अप्रैल, 2022) का हार्दिक स्वागत ।
वैदिक नववर्ष, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा विक्रमी संवत् 2079 (2अप्रैल, 2022) का हार्दिक स्वागत ।
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का ऐतिहासिक महत्व :-
- इसी दिन आज से 1,97,38,13,122 वर्ष पूर्व ईश्वर ने सृष्टि की रचना प्रारंभ की थी (सृष्टिसंवत्)
- इसी दिन आज से 1,96,08,53,122 वर्ष पूर्व इस सृष्टिकाल के प्रथम युवा मनुष्यों के जोड़ों ने जन्म लिया था। (मानव संवत्)
- मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का राज्याभिषेक भी इसी दिन हुआ था।
- महाराज युधिष्ठिर का राज्याभिषेक 5157 वर्ष पूर्व इसी दिन हुआ था।
- 2078 वर्ष पूर्व सम्राट विक्रमादित्य ने इसी दिन अपना राज्य स्थापित किया। उसी दिन से प्रसिद्ध विक्रमी संवत् प्रारंभ हुआ।
- 147 वर्ष पूर्व महर्षि दयानंद सरस्वती जी ने इसी दिन को आर्य समाज की स्थापना दिवस के रूप में चुना। आर्य समाज
वेद प्रचार का महान कार्य करने वाला एकमात्र संगठन है। - विक्रमादित्य की भांति शालिवाहन ने हूणों को परास्त कर दक्षिण भारत में श्रेष्ठतम राज्य स्थापित करने हेतु यही दिन चुना।
- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार जी का जन्म भी 133 वर्ष पूर्व इसी दिन हुआ था।
वैदिक नववर्ष का प्राकृतिक महत्व :-
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- वसंत ऋतु का आरंभ वर्ष प्रतिपदा से ही होता है जो
उल्लास, उमंग, खुशी तथा चारों तरफ पुष्पों की सुगंधि से भरी
होती है। - फसल पकने का प्रारंभ यानि किसान की मेहनत का फल
मिलने का भी यही समय होता है।
*वैदिक नववर्ष पर संकल्प ले ।
- वेद आदि शास्त्रों के स्वाध्याय का संकल्प लें।
- घर में प्रतिदिन यज्ञ करे ।
- महर्षि दयानंद सरस्वती जी ने आर्य समाज के १० नियम बनाए। जीवन निर्माण के लिए ये नियम हमें सही मार्गदर्शन देते हैं। इन नियमों को जीवन में धारण करे ।
नीरज आर्य
आर्य गुरुकुल तिहाड़ ग्राम
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