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वेस्ट से कला और कला से कल बचाना का एम3एम फाउंडेशन का एक अनूठा प्रयास

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वेस्ट से कला और कला से कल बचाना का एम3एम फाउंडेशन का एक अनूठा प्रयास

प्रधान संपादक योगेश

गुरुग्राम: आंखें मलते गुड़गांव की सुबह हुई सुनहरीः- हम सबका गुड़गांव, जो हररोज़ चारों दिशाओं से आती तेज़ रफ्तार गाड़ियों की आवाज़ें सुनता है, वहीं सोमवार 1 मई की सुबह यही तेज़ रफ्तार गाड़ियां कुछ पल के लिए ही सही, मगर धीमी ज़रूर हुईं और ये रोज़मर्रा के मुसाफिर खूशबू चौक पर भीमकाय चिड़िया, इफको चौक पर विशालकाय छत्ता और मधुमक्खी को देख हैरान जरूर हुए। हों भी क्यों न, रविवार की रात तक गुड़गांव और यहां से गुज़रने वाले दूसरे शहरों के मुसाफिर बिल्कुल अंज़ान थे, इस बात से कि सोमवार गुड़गांव में रातोंरात कुछ बदल गया है।

गुड़गांव के दो प्रमुख चौक जिन पर एम3एम फाउंडेशन और गुड़गांव मेट्रोपॉलिटन डेवलेप्मेंट अथॉर्टी (जीएमडीए) ने मिलकर रातों रात 2 विशालकाय स्कलप्चर, खुशबू चौक और इफको चौक पर स्थापित किए हैं। ये कोई सामान्य स्कलप्चर नहीं हैं, ये स्कलप्चर बनाए गए हैं कबाड़ से। देश के विभिन्न राज्यों से चुने गए 16 कलाकारों ने बनाएं हैं ये स्कलप्चर। इन कलाकारों का मार्गदर्शन करने के लिए सुशील सखुजा और अनुज पोद्दार जैसे महान स्कलप्चर आर्टिस्ट, जिनके बनाए स्कलप्चर देश के माननीय प्रधानमंत्री जी दूसरे देशों के जनप्रतिनिधियों को तोहफे के रूप में देते हैं, जिन्होंने एम3एम फाउंडेशन की चेयरपर्सन और ट्रस्टी डॉ पायल कनोडिया के विज़न को साकार रूप दिया। इसके अलावा 3 और महत्वपूर्ण स्कलप्चर जो इंडस्ट्रियलवेस्ट और प्लास्टिकवेस्ट से बनाए गए हैं, गुड़गांव वासी उन्हें भी कुछ ही समय में देख पाएंगे।

पर्यावरण का पैरोकारः-एम3एम फाउंडेशन हमेशा से पर्यावरण के सरंक्षण के लिए तत्पर रहा है और हमेशा रहेगा। अपनी सकंल्प परियोजना के तहत एम3एम फाउंडेशन पर्यावरण के सरंक्षण के लिए विभिन्न प्रयास करता रहता है। इन्हीं प्रयासों का एक साकार रूप हैं ये स्कलप्चर। जो पर्यावरण, जल, शिक्षा और सेहत के क्षेत्र में अथक प्रयास कर नए आयाम गढ़ रहा है। खुशबू चौक पर स्थापित की गई लगभग 3000 किलोग्राम इंडस्ट्रियल स्क्रैप से बनाई गई भीमकाय चिड़िया आपको एहसास दिलाएगी कि हमारे घरों में चहकने वाली नन्हीं चिड़िया मोबाइल टावरों से निकलने वाली तंरगों के चलते अब विपुल्प होने की कगार पर है, जिसे बचाने की खामोश गुहार आपको जरूर सुनाई देगी।

इफको चौक पर स्थापित किया गया इंडस्ट्रियलवेस्ट से बनाया गया लगभग 4000 किलो का छत्ता और एक टन वज़नी मधु, संदेश देती है कि इंसान को खुद के भविष्य के लिए इन्हें बचाना होगा। अगर ये मधुमक्खियां विल्पुत हो गईं तो ये अपने आप में ऐसा शांत प्रलय होगा जो धरती से इंसान का नामोनिशां मिटा देगा। खुद को बचाने के लिए हमें इन मधुमक्खियों की रक्षा करनी होगी। अपना अस्तित्व बचाने के लिए हमें इन्हें बचाना होगा। अपने सुरक्षित कल के लिए हमें इन्हें बेहतर आज देना होगा, पर्यावरण का सरंक्षण करना होगा।

और भी संदेशः- इसके अलावा एम3एम फाउंडेशन द्वारा, हुडा चौक पर प्लास्टिक वेस्ट से बनाए गए जी20 का स्कलप्चर भी लगाया जाएगा, जो वसुधैव कुटुम्बकम् का संदेश देने के साथ-साथ धरती को प्लास्टिक मुक्त बनाने की पुकार है। एआईटी चौक पर इंडस्ट्रियलवेस्ट से बना 22 फुट का एक हाथ जिसने धरती को उठा रखा है और जिसे सहारा देते दो और हाथ ये याद दिलाएंगे, कि हमारे पास एक ही पृथ्वी है, जिसे हमें साथ मिलकर बचाना है, पर्यावरण बचाना है।

राजीव चौक पर स्थापित किया जाएगा साइकिल और साइकिल्ट जो हम सबके लिए संदेश होगा कि जितना हो सके खुद को स्वस्थ रखें, और साइकिलिंग से स्वस्थ रहा जा सकता है। इससे सड़कों पर कम ट्रैफिक होगा, प्राकृतिक संसाधन जैसे डीज़ल, पेट्रोल की खपत पर भी नियंत्रण होगा, इनसे होने वाले प्रदूषण पर कहीं तो लगाम लगेगी।

16 युवा कलाकारः- देश के विभिन्न राज्यों से चयनित किए गए 16 युवा कलाकारों ने इन स्कलप्चर को साकार रूप दिया। चिड़िया वाले स्कलप्चर को बनाया रबिंद्रा भारती यूनिवर्सिटी पश्चिम बंगाल से अक्षय मायती, रंजय सरकार और पिंटु दास और रानी जो इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय बालाघाट मध्यप्रदेश से थीं। “वन अर्थ” स्कलप्चर को आकार दिया जामिया मिलिया विश्वविद्यालय के राजेश सिंह, नागालैंड के गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ आर्ट एंड क्राफ्ट से तत्सिमु त्रखा, बिहार के विश्वाभारती विश्वविद्यालय से आदित्य प्रकाश और पश्चिम बंगाल से थिन्ले डोलमा गुरुंग ने। मधु और छत्ते के रूप दिया झारखंड के दियोघर की कलाभवन विश्वभारती यूनिवर्सिटी से राज चक्रबोर्ती, हरियाणा की कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से कमलजीत, सुशांत स्कूल ऑफ आर्ट एंड आर्कीटेक्चर से नलिनी सिंह, जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी से इक्रा नियाज़ ने। साइकिल और साइक्लिस्टः- केरल के गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ फाइन आर्ट्स से अब्दुल्ला एबी, नागालैंड के शिलुती लाँगकुमार जो विश्वभारती विश्वविद्यालय के विद्यायर्थी हैं, पुणे महाराष्ट्र से मीनल पारखी, त्रिस्सुर केरल के गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ फाइन आर्ट्स से किरन इवीएस। जी20 वाले स्कलप्चर को इन सब विद्यार्थियों ने मिलकर आकार दिया।

जीएमडीए ने इन स्कलप्चर को बनाने के लिए अपना पूर्ण सहयोग दिया, उन्होंने अपनी ज़मीन पर इन विशालकाय स्कलप्चर को बनाने के लिए एम3एम फाउंडेशन और हाइफन का पूरा सहयोग किया।

मुख्य अतिथि के रूप में गुरुग्राम के माननीय एमएलए श्री सुधीर सिंगला जी ने गौरैया वाले स्कलप्चर का अनावर करते हुए, एम3एम फाउंडेशन के प्रयासों की भूरी भूरी प्रशंसा की। उन्होंने कहा अगर हम सब मिलकर ऐसे ही पर्यावरण और हमारे सहायी अन्य प्राणियों के सरंक्षण की दिशा में कार्य करेंगे तो सफलता अवश्य मिलेगी। वहीं जीएमडी के एडीश्नल सीईओ श्री सुभाष यादव जी ने कहा कि पर्यावरण सरंक्षण की दिशा एम3एम फाउंडेशन द्वारा किए जा रहे इन प्रयासों का वे हर संभव सहयोग करेंगे।

एम3एम फाउंडेशन की चेयरपर्सन और ट्रस्टी डॉ. पायल कहती हैं कि हमें गर्व है कि हम इन युवा कलाकारों की प्रतिभा से न केवल इंडस्ट्रियलवेस्ट को कला में ढाल पाए बल्कि हम हमारे संकल्प कार्यक्रम के तहत एक बार फिर पर्यावरण सरंक्षण की दिशा में एक ओर कदम बढ़ा पाए। एम3एम फाउंडेशन हमेशा पर्यावरण, जल, शिक्षा और स्वास्थ के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने के लिए प्रतिबद्ध है और हम बेहतरीन कार्य करने के लिए न केवल युवा कलाकारों को बल्कि अन्य संस्थाओं को भी साथ लेकर चलेंगे।

इन युवा कलाकारों के मार्गदर्शक के रूप में सुशील सखुजा के अनुसार एम3एम फाउंडेशन ने जो इन कलाकारों को मंच दिया वो सराहनीय है। वे कहते हैं कि पर्यावरण के प्रति एम3एम फाउंडेशन का संवेदनशील विज़न उनकी सोच का आइना है, और इस आइने के अक्स को वो हर तरह से निखारने के लिए प्रयास करते रहेंगे।

एम3एम फाउंडेशन द्वारा इन 16 कलाकारों और सुशील सखुजा जी को सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया।

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