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जिस इंसान में मृदुता नहीं वह क्रूर हो जाता है: साध्वी कनकप्रभा

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जिस इंसान में मृदुता नहीं वह क्रूर हो जाता है: साध्वी कनकप्रभा
-जैन साध्वी ने प्रवचनों में जीवन दर्शन पर डाला प्रकाश

प्रधान संपादक योगेश

गुरुग्राम। तेरापंथ धर्म संघ की अष्टम् साध्वी प्रमुखा एवं उच्चकोटि की साहित्यकार साध्वी कनकप्रभा ने अपने प्रवचनों में जीवन दर्शन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जीवन में कोई छिपाव नहीं, कोई माया नहीं, कोई प्रपंच नहीं। यही प्रकाश है सरलता का। वे अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल द्वारा आयोजित कार्यक्रम में वर्चुअल प्रवचन दे रहीं थे।
साध्वीप्रमुखा कनकप्रभा ने कहा कि व्यक्ति अपनी वृत्तियों से कोमल होता है। दूसरों के प्रति भी कोमल होता है। अगर उसमें मृदुता का संस्कार नहीं होता है तो वह क्रूर बन जाता है। आज की जितनी समस्याएं हैं उन सभी समस्याओं का संबंध क्रूरता से हैं। क्योंकि मनुष्य पशुओं के प्रति, पक्षियों के प्रति भी कू्रर होता है। आज जिस प्रसाधन सामग्री का उपयोग होता है-मृदुताशील व्यक्ति उस प्रसाधन सामग्री का उपयोग नहीं कर सकता। जिसमें पशु-पक्षियों की ऐसी नृशंस हत्या होती है।
साध्वी कनकप्रभा ने कहा कि यदि हम कोई भी प्रवृत्ति करते हैं या किसी के साथ कोई बात करते हैं। इस समय में अगर हमारे मन में यह आशंका पैदा हो जाती है कि कोई हमारी बात को सुन न ले और कोई हमारी क्रिया को देख न ले। मन में इस विकल्प के पैदा होने का मतलब है हम ऋजु नहीं हैं। सरल नहीं हैं। जो कुछ भी हम करना चाहते हैं, वह छिपकर करना चाहते हैं। दूसरा कोई हमारी बात न सुन ले, इसका मतलब है कि हम किसी के बारे में ऐसी बात करना चाहते हैं, जो हमें नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जब तक मूल्यों का बोध नहीं होगा और समझ विकसित नहीं होगी वे जीवन में कैसे उतरेंगे? कैसे मृदुता का मूल्य जागेगा और कैसे जीवन में बदलाव आएगा? सुख, शांति और समृद्धि के लिए मन में करुणा का जागना बहुत जरूरी है।

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