ए हिमालय, मेरे हौसलों से अधिक नहीं है तेरी ऊंचाई
ए हिमालय, मेरे हौसलों से अधिक नहीं है तेरी ऊंचाई
चट्टान से भी अधिक मजबूत है मेरे भी नन्हें-नन्हे कदम
तीन वर्ष के हेयांश ने एवेरेस्ट के बेस कैम्प में फहराया तिरंगा
साढ़े तीन साल की उम्र में एवेरेस्ट फतह करने का है सपना
डीसी निशांत यादव द्वारा नन्हे हेयांश को किया गया सम्मानित
फतह सिंह उजाला
गुरुग्राम । … ए हिमालय, मेरे हौसलों से अधिक नहीं है तेरी ऊंचाई । चट्टान से भी अधिक मजबूत है मेरे भी नन्हें-नन्हे कदम । साढ़े तीन साल की उम्र में एवेरेस्ट फतह करने का है सपना। यह कोई कहानी नहीं, हकीकत ही है। गांव बाबरा बाकीपुर के बालक तीन वर्ष के हेयांश यादव पुुत्र मंजरत कुमार ने दुुनिया की सबसे ऊंचे हिमालय पर्वत का माउट एवरेस्ट चोटी के बेस कैंप तक पहुचकर तिरंगा फहराने का कारनामा अंजाम दिया है। यह वह उम्र होती है जब अभिभवक अपने नन्हे बच्चों का ध्यान रखते है कि कही भागते-दौड़ते लाडले को चोट नहीं लग जाए। अब हेयांश का लक्ष्य सहित सपना साढ़े तीन साल की उम्र में एवेरेस्ट फतह करने का है।
मन में किसी लक्ष्य को हासिल करने का जज्बा हो तो उम्र भी आड़े नही आती। कुछ ऐसा ही दुर्लभ कारनामा कर दिखाया है गुरुग्राम जिला के गांव बाबड़ा बाकीपुर निवासी नन्हे तीन वर्याके हेयांश यादव ने। अपने पुत्र की इस खास उपलब्धि के साथ डीसी निशांत कुमार यादव से शुभाशीष लेने पहुँचे हेयांश के पिता मंजीत कुमार ने बताया कि मन में माउंट एवेरेस्ट को फतह करने की चाहत रखने वाले हेयांश ने 23 अप्रैल 2022 को काठमांडू से लुकला के लिए अपने सफर की शुरुआत की थी। उन्होंने बताया कि काठमांडू से एवेरेस्ट के बेस कैम्प तक की यात्रा में पहला कैंप फुगडिंग में लगाया गया था। ट्रेक यात्रा के दूसरे दिन नामचें बाजार पहुंचे और एक दिन मौसम अभ्यास के लिए आराम किया। अगले दिन टेंगबूचे के लिए रवाना हुए इसके बाद सीधा फेरिचे पहुँचे और एक दिन मौसम अभ्यास के लिए रुके, इसके बाद अग़ल पड़ाव थूकला में रहा। मंजीत कुमार ने बताया कि हेयांश ने दो मई को गोरेक्षेप पहुँचकर वहां रात्रि विश्राम किया व अगले दिन तीन मई की सुबह एवरेस्ट बेस कैम्प पहुँचे।
डीसी निशांत कुमार यादव ने इस उपलब्धि पर हेयांश व उसके परिजनों को अपनी शुभकामनाएं देते हुए कहा कि हेयांश की इस उपलब्धि से निश्चय ही प्रदेश के अन्य बच्चों को भी प्रेरणा मिलेगी। उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति की सफलता में उसके परिवार का महत्वपूर्ण योगदान होता है ऐसे में हेयांश के माता पिता बधाई के पात्र है। जिन्होंने इतनी कम उम्र में हेयांश को इस दुर्लभ लक्ष्य के लिए प्रेरित करने के साथ साथ गुरुग्राम जिला की ख्याति बढ़ाने में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हेयांश के पिता मंजीत कुमार ने बताया कि हेयांश के इस ट्रेक को मैनकाइंड फ़ार्मा ने स्पॉन्सर किया था । जिसमें सीएसआर ट्रस्ट हरियाणा के वाईस चौयरमेन बोधराज सीकरी ने अहम भूमिका निभायी। इस ट्रेक को पायनीयर एडवेंचर कम्पनी के सहयोग से पूरा किया गया।
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