मूर्ख व्यक्ति दूसरों को दी जाने वाली वस्तु को देने में भी दुःख अनुभव करता है।
दातव्यमपिबालिशः क्लेशेन परिदास्यति ।।
♦️भावार्थ : मूर्ख व्यक्ति दूसरों को दी जाने वाली वस्तु को देने में भी दुःख अनुभव करता है।
👉 संसार में अनेक वस्तुएँ ऐसी हैं जो प्रकृति द्वारा मनुष्य को बिना किसी भेद-भाव के प्रदान की गई हैं। बुद्धिमान व्यक्ति तो दान के महत्त्व को समझते हैं और वह दान देना अपना कर्तव्य मानते हैं, परंतु मूर्ख व्यक्तियों को इस बात से क्लेश अनुभव होता है।
👉 सद्गृहस्थ व्यक्ति जहाँ दान देना अपना कर्तव्य मानता है वहाँ मूर्ख व्यक्ति छोटी से छोटी वस्तु भी अपने से पृथक करने में कष्ट अनुभव करता है। क्यों कि वह दान के महत्त्व को नहीं समझता।।२१४।।
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