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योगी आदित्यनाथ समेत उन्नाव के कई बड़े आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ एससी/ एसटी एक्ट में शिकायत दर्ज।

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योगी आदित्यनाथ समेत उन्नाव के कई बड़े आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ एससी/ एसटी एक्ट में शिकायत दर्ज।
प्रधान संपादक योगेश

नवाब सतपाल तंवर के खिलाफ उन्नाव में फर्जी मुकदमा दर्ज करके प्रताड़ित करने का आरोप।
गुरुग्राम। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित कई आइपीएस अधिकारियों के खिलाफ साईबर थाने में एससी/ एसटी एक्ट के तहत शिकायत दर्ज कराई गई है। जिसमें भीमसेना चीफ़ नवाब सतपाल तंवर ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, पुलिस अधीक्षक सुरेशराव आनन्द कुलकर्णी, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक विनोद कुमार पाण्डेय, डीएससी व सीओ सिटी गौरव कुमार त्रिपाठी और कोतवाली सदर थाना प्रभारी दिनेश चन्द्र मिश्रा पर झूठा और फर्जी मुकदमा दर्ज करने, मिथ्या द्वेषपूर्ण तंग करने वाली दांडिक विधिक कार्रवाई करने, जातीय दंगा भड़काने की कोशिश करने, समाज में वैमनस्य फैलाने, अवैध बात करके द्वेषभाव और बेहूदगी से प्रकोपित करने के आशय से उपद्रव भड़काने की कोशिश करने, दंगा भड़काने के इरादे से बयान देने, विधिक कार्रवाई करने की धमकी देने, विधिक शक्तियों का दुरुपयोग करने और आपराधिक साजिश रचने आदि गम्भीर अपराधों में शिकायत दर्ज कराकर एससी/ एसटी एक्ट सहित अन्य गम्भीर धाराओं में एफआईआर दर्ज करके सख्त कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है।
नवाब सतपाल तंवर द्वारा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उन्नाव पुलिस के अन्य बड़े आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ ये आरोप अत्यंत संगीन हैं। इसमें योगी आदित्यनाथ के खिलाफ विधानसभा उत्तर प्रदेश में अविश्वास प्रस्ताव तक लाया जा सकता है और उनको जेल भी हो सकती है। यदि आरोपों के आधार पर एफआईआर दर्ज की जाती है तो उन्नाव के इन बड़े पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सस्पेंड करने तक की कार्यवाही भी हो सकती है जिसका मजबून जेल है। उत्तर प्रदेश सरकार, उत्तर प्रदेश पुलिस और भीमसेना प्रमुख नवाब सतपाल तंवर के बीच यह कानूनी दांवपेच का कोई नया मामला नहीं नहीं है। इससे पहले भी अनेकों बार योगी की पुलिस भीमसेना प्रमुख को घेरने की तैयारी कर चुकी है लेकिन तंवर के कानूनी दांवपेंचों की वजह से हर बार योगी आदित्यनाथ को मुंह की खानी पड़ती है। उन्नाव में पुलिस पर एकतरफा कार्रवाई करने के आरोप लग रहे हैं। बीते दिनों 17 फरवरी को उन्नाव के असोहा थानाक्षेत्र के अंतर्गत गांव बबुरहा गांव में तीन नाबालिग दलित बच्चियां संदिग्ध अवस्था में पाई गई। जिनके मुंह से झाग निकल रहे थे। सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस ने उन्हें अस्पताल पहुंचाया। जहां दो लड़कियों को मृत घोषित कर दिया गया। एक लड़की को कानपुर के एक निजी अस्पताल में रैफर कर दिया गया। उसकी हालत गम्भीर बनी हुई है। मामले की जानकारी जैसे ही मीडिया और सोशल मीडिया में फैली वैसे ही अनेकों सामाजिक और राजनीतिक संगठन सरकार के विरोध में उतर आए। भीमसेना चीफ़ नवाब सतपाल तंवर ने भी अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से दोनों मृतक दलित लड़कियों का पोस्टमार्टम एम्स दिल्ली में कराने की मांग की और एकमात्र जिन्दा बची लड़की को एम्स दिल्ली में रैफर करने की मांग की। साथ ही मामले की जांच सीबीआई से कराने की भी मांग की। नवाब सतपाल तंवर सहित अन्य एक्टिक्स्ट लोगों की मांग थी कि बच्चियों के साथ रेप या गैंगरेप जैसी घिनौनी वारदात हुई है या नहीं इसकी जांच की जाए। उत्तर प्रदेश सरकार और यूपी पुलिस पर आरोप है कि हाथरस में गैंगरेप पीड़िता की दर्दनाक हत्या कर दी गई थी जिसमें पुलिस ने ना रेप की जांच कराई और ना ही पीड़िता का उत्तम इलाज कराया जिससे उसकी मौत हो गई थी। नवाब सतपाल तंवर भी हाथरस पहुंचे थे। वहां उनकी प्रशासन के साथ काफी नौंक-झौंक भी हुई थी। अब उन्नाव मामले पर नवाब सतपाल तंवर ने महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर उत्तर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की भी मांग की थी। जिसके एवज में उन्नाव पुलिस ने थाना सदर कोतवाली में भीमसेना चीफ नवाब सतपाल तंवर सहित अन्य कई लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 153 और 66 आईटी एक्ट में मुकदमा दर्ज कर लिया है। 
नवाब सतपाल तंवर ने अपने ऊपर व अन्य लोगों निलिम दत्ता, मोजो स्टोरी, जन जागरण लाइव, सूरज कुमार बौद्ध, विजय अम्बेडकर, अभय कुमार आजाद, राहुल कुमार दिवाकर आदि लोगों पर दर्ज मुकदमे को झूठा, फर्जी व निराधार बताया है। जोकि एससी/ एसटी एक्ट के सेक्शन 3 की धारा 8 और 9 के तहत गम्भीर अपराध माना गया है। साथ ही अन्य आईपीसी धाराओं में गैर जमानती अपराध है। अलग-अलग धाराओं में जिसकी सजा 10 साल से भी ज्यादा है। नवाब सतपाल तंवर ने गुरुग्राम के साईबर पुलिस थाने में ईमेल के माध्यम से शिकायत भेजी है जिसकी प्रतिलिपि गुरुग्राम पुलिस आयुक्त और एससी/ एसटी कमीशन के सचिव, भारत सरकार को भी भेजी गई है। साईबर थाना पुलिस के एसएचओ इंस्पेक्टर जसबीर सिंह ने बताया कि उन्हें शिकायत प्राप्त हुई है, जिसपर आगामी कानूनी कार्रवाई की जा रही है। कार्यवाही के लिए शिकायत को संज्ञान में ले लिया गया है।
योगी आदित्यनाथ बेशक आज भारत के सबसे बड़े प्रदेश उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं लेकिन उनके ऊपर आपराधिक मुकदमों का लंबा इतिहास रहा है। योगी आदित्यनाथ पर इतने अधिक मुकदमे हैं कि उन्हें अपने चुनावी घोषणा पत्र में मुकदमे का कॉलम भरने के बाद अलग से पेज जोड़ना पड़ता है। लेकिन आरोप है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी के ऊपर से अधिकतर मुकदमे हटा दिए गए, खारिज कर दिए, गवाहों को खरीद लिया गया, उन्हें रास्ते से हटा दिया गया और सत्ता के प्रभाव से अधिकतर मुकदमे समाप्त करवाए गए। जो मुकदमे योगी आदित्यनाथ के खिलाफ फिलहाल अदालत में चल रहे हैं उनमें किसी भी सुनवाई में योगी आदित्यनाथ हाजिर नहीं होते। ऐसे में नवाब सतपाल तंवर सवाल उठाते हैं कि कानून सभी के लिए बराबर है तो न्यायालय में चल रहे केसों में योगी आदित्यनाथ व्यक्तिगत रूप से पेश क्यों नहीं होते। योगी द्वारा चुनावी घोषणा पत्र के आधार पर उनके ऊपर आईपीसी 147, 148, 295, 297, 153ए, 307, 506 और एक अन्य मामले में आईपीसी 147, 148, 149, 302, 307, 504, 506, 427 न्यायालय में विचाराधीन हैं जोकि आपराधिक मामले हैं, ऐसे मामलों में आरोपी जमानत पर है और उसे प्रत्येक सुनवाई पर कोर्ट में पेश होना होता है। लेकिन मुख्यमंत्री बनने के बाद वे कोर्ट में पेश नहीं होते और कोर्ट उनके खिलाफ कोई गैर जमानती वारंट जारी नहीं करता। योगी आदित्यनाथ के खिलाफ सीआरपीसी 202 के तहत न्यायालय में इस्तगासा की कार्यवाही तक भी चल रही है। एक अन्य मामले में योगी को आईपीसी 147, 148, 149, 307, 336, 504, 427 में भी आरोपी बनाया हुआ है। सीजेएम गौरखपुर न्यायालय में भी योगी के ऊपर आईपीसी 147, 148, 153ए, 295, 297 मामला विचाराधीन है। एक अन्य मामले में आईपीसी की धारा 147, 153ए, 295, 297, 435, 506 आदि गम्भीर अपराधों में मामले दर्ज हैं।
गौरतलब है कि भीमसेना प्रमुख नवाब सतपाल तंवर और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच तमाम मुद्दों को लेकर वाद-विवाद होता रहा है। वर्ष 2017 में सहारनपुर के शब्बीरपुर गांव में हुए जातीय उत्पीड़न के बाद भड़के दंगे में भीम आर्मी और चंद्रशेखर आजाद रावण का नाम सामने आया था। आरोप था कि नवाब सतपाल तंवर और चंद्रशेखर आजाद रावण के बीच गहरे दोस्ताना संबंध रहे हैं और उन्होंने रावण को करीब 15 दोनों तक अपने पास गुरुग्राम में छिपाकर रखा था। इसके बाद तंवर ने 21 मई 2017 को दिल्ली के जंतर-मंतर पर बड़ा आंदोलन करके सरकार की चूलें हिला दी थी। मामले में भीमसेना सेना प्रमुख नवाब सतपाल तंवर पर सहारनपुर में 3 मुकदमे दर्ज किए गए। साथ ही मेरठ के मेडिकल थाने में भी तंवर के खिलाफ केस दर्ज है। इसके अलावा एससी/ एसटी एक्ट के खिलाफ भारत बंद करने की बात करने वाले और समाज में जहर घोलने वाले देवकी नंदन ठाकुर की बोटी-बोटी काटने की धमकी देने के मामले में भी तंवर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई थी। साथ ही मेरठ में भाजपा के एक विधायक और फूलन देवी की हत्या करने वाले शेर सिंह राणा सहित सहारनपुर के भाजपा सांसद राघव लखनपाल शर्मा की हत्या की साजिश रचने के आरोप भी लगे थे। जिन्हें पुलिस साबित नहीं कर पाई थी।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भीमसेना के संस्थापक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष नवाब सतपाल तंवर के बीच कानूनी दांवपेंच का यह खेल एक अलग ही राजनीतिक मुद्दा बनता जा रहा है। वहीं तंवर लगातार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को चुनौती दे रहे हैं और योगी आदित्यनाथ नवाब सतपाल तंवर पर कानूनी कार्रवाई करके दबाने की कोशिश कर रहे हैं। तंवर समर्थकों का कहना है कि योगी आदित्यनाथ लोकतंत्र और संविधान की हत्या कर रहे हैं। उत्तर में में कानून का राज नहीं बल्कि जंगलराज और गुंडाराज है। उत्तर प्रदेश में रेप और हत्याओं के साथ अपराधों का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है। ऊपर से जुल्म के खिलाफ आवाज उठाने वालों पर फर्जी केस लगाकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जनता की आवाज को दबाना चाहते हैं।

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