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बड़े राव के दावे 24 घंटे में बेदम, सोमवार को नहीं हुई सरकारी खरीद

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बड़े राव के दावे 24 घंटे में बेदम, सोमवार को नहीं हुई सरकारी खरीद

संडे को कासन में ऐलान सोमवार को मिलेंगे 1650 बाजरा के दाम

एमएसपी पर बाजरा की खरीद को लेकर इनेलो द्वारा दिया धरना

इनेलो का आरोप राव इंद्रजीत ने किसानों के साथ किया खिलवाड़

फतह सिंह उजाला
पटौदी । 
हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी और जननायक जनता पार्टी की गठबंधन सरकार जो कि दक्षिणी हरियाणा अहीरवाल क्षेत्र के एम एल ए की बदौलत चंडीगढ़ में सत्तासीन है । उसी क्षेत्र में ही सबसे अधिक बाजरे की पैदावार किसानों के द्वारा की जाती है । इसी गठबंधन सरकार के द्वारा पहले ही ऐलान किया जा चुका है कि बाजरा की एमएसपी पर मंडियों में खरीद नहीं की जाएगी तथा रजिस्ट्रेशन करवाने वाले बाजरा उत्पादक किसानों को भावांतर भरपाई योजना के तहत 600 प्रति क्विंटल का भुगतान किया जाएगा।

इसी बीच 23 सितंबर से 30 सितंबर और 10 अक्टूबर तक के घटनाक्रम को देखें तो दक्षिणी हरियाणा और अहीरवाल के क्षत्रप केंद्र में मोदी मंत्रिमंडल के वजीर राव इंद्रजीत सिंह के तेवर कुछ अलग ही अंदाज में सार्वजनिक मंच से दिखाई दिये हैं। एक दिन पहले संडे को अपने पिता स्वर्गीय राव बिरेंदर सिंह के राजनीतिक गढ़ पटौदी जहां से राव बिरेंदर सिंह चुनाव जीत कर दक्षिणी हरियाणा अहिरवार क्षेत्र से हरियाणा के पहले सीएम बने, केंद्र में कृषि मंत्री भी रहे। उसी क्षेत्र के ही मानेसर इलाके के कासन में स्वर्गीय राव वीरेंद्र सिंह की राजनीति के बारिश राव इंद्रजीत सिंह ने डंके की चोट पर कहा था कि सोमवार से हरियाणा में बाजरा की सरकारी एजेंसियों के द्वारा खरीद की जाएगी और इसके निर्देश जारी कर दिए गए हैं ।

लेकिन सोमवार का दिन आते ही दक्षिणी हरियाणा के शेर कहलाने वाले राव इंद्रजीत सिंह के तमाम दावे बेदम ही साबित हुए । राव इंद्रजीत सिंह के द्वारा किए गए 1650 रुपए की खरीद पर बाजरे के दावे को देखते हुए बड़ी संख्या में किसान अपना-अपना बाजरा लेकर मंडियों में पहुंच गए। लेकिन यहां पर नं तो कोई सरकारी एजेंसी और न ही सरकारी एजेंसी का कोई कारिंदा 1650 के दाम पर बाजरा खरीद के लिए दिखाई ही नहीं दिया। इस मामले में मार्केट कमेटी पटौदी के सचिव नरेंद्र यादव के मुताबिक सरकारी एजेंसियों के द्वारा बाजरा खरीद के संदर्भ में अभी तक किसी भी प्रकार के आधिकारिक आदेश प्राप्त नहीं हुए हैं । वही कथित रूप से नई अनाज मंडी जाटोली में हरियाणा वेयर हाउसिंग कारपोरेशन के द्वारा कथित रूप से बाजरा की खरीद की जानी मानी जा रही है ।

1650 के दाम पर बाजरा एक दाना नहीं बिका
अब ऐसे में सवाल उठना भी स्वाभाविक है कि जब दक्षिणी हरियाणा के बब्बर शेर राव इंद्रजीत सिंह ने 1650 रुपए के दाम पर सोमवार से सरकारी एजेंसियों के द्वारा बाजरा की खरीद के लिए गर्जना की , तो ऐसा क्या हुआ कि कोई भी एजेंसी और एजेंसी का कारिंदा 1650 के दाम पर किसानों का एक दाना बाजरा खरीदने के लिए भी सामने नहीं आ सका ? कहीं ऐसा तो नहीं है यह सब कथित रूप से भारतीय जनता पार्टी और जननायक जनता पार्टी की गठबंधन सरकार पर किसानों के मुद्दे को लेकर दबाव बनाने का प्रयास तो नहीं था और यदि राव इंदरजीत सिंह के द्वारा पूरी शिद्दत और गंभीरता के साथ में कासन में किसान सम्मान रैली के मंच से बाजरा खरीद का दावा किया गया , तो क्या इसके लिए सरकारी एजेंसियों के द्वारा होमवर्क पूरा किया जा चुका था । इसी प्रकार के और भी कई सवाल किसानों के बीच ही नहीं व्यापारियों के बीच में भी सोमवार दिन ढले तक चर्चा का विषय और बहस का मुद्दा बने रहे ।

किसानों का हितैष होने का चेहरा दिखाया
वही इंडियन नेशनल लोकदल के प्रदेश प्रवक्ता सुखबीर तंवर के नेतृत्व में मार्केट कमेटी पटौदी कार्यालय परिसर में केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के दावे के मुताबिक 1650 के दाम पर बाजरा की खरीद शुरू नहीं होने के मुद्दे को लेकर विरोध स्वरूप लंगर डाल दिया गया। यहां धरने पर सरपंच पपली , व्यापार मंडल हेली मंडी के अध्यक्ष रमेश गर्ग सेठी, मोहन बिलासपुर, मास्टर किशोरीलाल जनौला, मुजाहिद चौधरी, छन्नू बावरिया , धर्मपाल बोहरा, राज मिलकपुर, बिशंबर थानेदार , जगदेव खेड़ा, कुलदीप डाडावास, सरपंच कालू, ईश्वर सिंह खोड , राजेश सिद्रावली , कबीर खान,  धर्मपाल ठेकेदार सहित अन्य किसान सोमवार देर शाम तक धरने पर विरोध प्रदर्शन करते हुए बैठे रहे । इंडियन नेशनल लोकदल का सीधा सीधा आरोप है कि कथित रूप से केंद्रीय मंत्री राजेंद्र सिंह के द्वारा अपने आप को किसानों का सबसे बड़ा हितैष और शुभ चिंतक होने का केवल मात्र चेहरा ही दिखाया गया है । यदि राव इंदरजीत सिंह दक्षिणी हरियाणा के किसानों की दुख तकलीफ और बाजरा की फसल को लेकर किसानों को हो रही परेशानी को लेकर सही मायने में इतने ही गंभीर थे ? तो अब उनको भी यह जवाब देना ही होगा की केंद्र सरकार के मंत्री के आदेशों और निर्देशों को बाजरा खरीद के लिए जिम्मेदार सरकारी एजेंसियों ने क्यों और किन कारणों से तथा किसके दबाव में सोमवार को बाजरे की खरीद नहीं की ।

आढ़तियों, किसानों और व्यापारियों में नाराजगी
इधर खुले बाजार में इतना तो असर दिखाई दिया है कि अभी तक खुले बाजार में बाजरा का जो दाम 11 से 14 सौ तक किसानों को मिल रहा था। सोमवार को मंडी में इसी बाजरे का दाम औसतन 1550 प्रति क्विंटल किसानों को बिक्री के लिए बाजरा खरीदारों के द्वारा बोला गया । सूत्रों के मुताबिक नई अनाज मंडी जाटोली में बाजरा की अधिकतम बोली 1523 प्रति क्विंटल की रही है । मार्केट कमेटी पटौदी प्रशासन के द्वारा बताया गया कि सोमवार को नई अनाज मंडी जाटोली में बाजरे का रजिस्ट्रेशन करवाने वाले किसानों के द्वारा करीब 8000 क्विंटल बाजरा बिक्री के लिए लाया गया।  लेकिन समाचार लिखे जाने तक विभिन्न आढ़तियों और व्यापारियों के द्वारा भी इस बात पर नाराजगी और हैरानी व्यक्त की गई कि जब केंद्र में मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के द्वारा डंके की चोट पर 1650 रुपए के दाम पर सरकारी एजेंसियों के द्वारा बाजरा खरीद किया जाने का ऐलान किया गया, तो फिर सोमवार को बाजरा खरीद करने वाली सरकारी एजेंसी और सरकारी एजेंसियों के अधिकारी बाजरा खरीद के लिए मंडियों में क्यों नहीं पहुंचे।

पहले से कोई भी होमवर्क पूरा ही नहीं
वही अनेक किसानों में भी इस बात को लेकर नाराजगी देखी गई की नेता लोग किसी भी जनसभा और रैली में भीड़ को देखकर कई बार ऐसी बात और घोषणाएं कर देते हैं, जिनका की पहले से कोई भी होमवर्क पूरा ही नहीं किया हुआ होता  ही नहीं है । जब मामला किसान और कृषि से जुड़ा हुआ हो तो ऐसे मामलों में चाहे कोई भी नेता हो इस बात को भी अपने ध्यान में रखना चाहिए कि किसान जब से केंद्र सरकार के द्वारा कृषि कानून लागू किए गए हैं उसके बाद से ही एमएसपी की मांग करते आ रहे हैं। तो फिर अब ऐसा क्या हो गया कि दक्षिणी हरियाणा और अहीरवाल के क्षेत्र में बाजरा उत्पादक किसानों को बाजरा का एमएसपी दिलाने में दक्षिणी हरियाणा के बब्बर शेर और हाल ही में अपने आप को किसानों का सबसे बड़ा शुभचिंतक कहने वाले राव इंद्रजीत सिंह क्यों और किन कारणों से नाकाम रहे हैं ? वही बाजार के सूत्र इस बात से भी इनकार नहीं कर रहे हैं कि जिस प्रकार से सोमवार को बाजरा का दाम औसतन 1550 खुले बाजार में पहुंच गया है । संभवत आने वाले दिनों में यह धाम 1650 रुपए से भी अधिक पहुंच सकता है । यदि वास्तव में ऐसा होता है तो इसका भी सीधा सीधा लाभ बाजरा उत्पादक किसानों को ही मिलना तय है । अब देखना यह है कि दक्षिणी हरियाणा के बब्बर शेर राव इंद्रजीत सिंह के द्वारा की गई घोषणा और उनके ऐलान पर 1650 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से सरकारी एजेंसियां कब से किसानों का बाजरा खरीदना आरंभ करेंगे।
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