विदेशों में स्किल्ड लेबर की मांग, इसी पर भी देना होगा ध्यान-शोभा करंदलाजे
शोभा करंदलाजे भोले विदेशों में नेचुरल और फर्टिलाइजर रहित चीजों की डिमांड
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को हर क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए कटिबद्ध
हमारा लक्ष्य एक्सपोर्ट के लिए क्वालिटी की चीजों का प्रोडक्शन होना चाहिए
पूर्व सांसद राज बब्बर की डिजिटल स्पीच, समिट में प्रदेश के व्यापारी प्रतिनिधि पहुंचे
फतह सिंह उजाला
गुरुग्राम। केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री शोभा करंदलाजे ने कहा कि एमएसएमई में कुछ भी बनाएं, हमारा लक्ष्य एक्सपोर्ट के लिए क्वालिटी की चीजों का उत्पादन होना चाहिए। विदेशों में नेचुरल और फर्टिलाइजर रहित चीजों की डिमांड हैं। इसका हमें ध्यान रखना होगा। साथ ही उन्होंने कहा कि देश के छोटे उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काम कर रहे हैं। यह बात उन्होंने रविवार को यहां लीला होटल में राष्ट्रीय जन उद्योग व्यापार संगठन की ओर से आयोजित एमएसएमई बिजनेस समिट एवं उद्यम अवार्ड समारोह को संबोधित करते हुए कही। इस कार्यक्रम में पूर्व सांसद राज बब्बर ने डिजिटल स्पीच दी। इस समिट में प्रदेशभर के व्यापारी प्रतिनिधियों ने शिरकत की। इस अवसर पर उद्योगपति राजेंद्र बंसल एवं डा. डी.पी. गोयल को केंद्रीय मंत्री द्वारा सर्वश्रेष्ठ उद्यम अवार्ड दिया गया।
एमएसएमई बड़ा क्षेत्र इसमें बहुत संभावनाएं
केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री शोभा करंदलाजे का समारोह में पहुंंचने पर संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित गुप्ता, राष्ट्रीय जन उद्योग व्यापार संगठन के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष अशोक बुवानीवाला, प्रदेश महासचिव पवन अग्रवाल, प्रदेश अध्यक्ष गुलशन डंग ने स्वागत किया। इस अवसर पर नेशनल ट्रेड वेलफेयर बोर्ड के सदस्य अजय बनारसी दास गुप्ता, उद्यमी पंकज डावर, नवीन गोयल, डा. डी.पी. गोयल, अभय जैन एडवोकेट, देवराज मेहता, अंकुश जैन, जे.एन. मंगला, सुमित राव समेत प्रदेशभर से उद्योगपति मौजूद रहे। अपने संबोधन में केंद्रीय मंत्री शोभा करंदलाजे ने कहा कि एमएसएमई बड़ा क्षेत्र है। इसमें बहुत संभावनाएं हैं। उन्होंने समारोह में मौजूद उद्यमियों से कहा कि आप लोग देश में 30 करोड़ नौजवानों को एमएसएमए रोजगार दे रहे हैं। यह बहुत बड़ा आंकड़ा है। देश में 50 करोड़ से अधिक लोग एमएसएमई को चला रहे हैं। सब बधाई के पात्र हैं। उन्होंने फिर दोहराया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी लक्ष्य यही है कि एमएसएमई को हर हाल में आगे बढ़ाया जाए। प्रधानमंत्री बार-बार बोलते हैं कि एमएसएमई देश के विकास में साथी है। साथी को साथ देना के लिए हम योजनाएं बनाते हैं।
कई राज्यों में एमएसएमई विभाग-अधिकारी नहीं
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि विदेशों से हर बात यह कहा जाता है कि उन्हें स्किल्ड लेबर नहीं मिलती। इस पर हमें सोचना होगा। हम यहां से विदेशों को हर क्षेत्र में अगर स्किल्ड लेबर, पावर देंगे तो वहां पर अच्छे वेतन पर हमें नौकरियां मिलेंगी। उन्होंने कहा कि छोटे शहरों में अभी भी पुरानी तकनीक उपयोग की जाती है। उससे उत्पादन भी कम हो रही है। उन्होंने इस बात भी प्रमुखता से कहा कि कई राज्यों में एमएसएमई विभाग ही नहीं हैं। वहां कोई अधिकारी तक नहीं हैं। शोभा करंदलाजे ने कहा कि हमने विश्व बैंक के साथ मिलकर एक योजना बनाई है। इसमें रोजगार शुरू करने वालों के साथ-साथ सरकार को भी सपोर्ट कर रहे हैं। राज्यों के हिसाब से प्रपोजल बनाकर सरकार को भेजे जाते हैं, ताकि उन पर काम हो सके। उन्हांने कहा कि बाहर के देश हमसे स्किल्ड लेबर की मांग करते हैं। क्योंकि अनस्किल्ड को सिखाना मुश्किल होता है। अगर स्किल्ड होंगे, तभी अच्छा वेतन भी विदेशों में मिल सकेगा। विदेशी भाषा और युवाओं को स्किल्ड करके बाहर भेजे जाने पर हम काम कर रहे हैं।
कई देश, चाइना, भारत जैसे देशों पर ही निर्भर
उन्होंने प्रमुखता से कहा कि जापान में नर्सिंग और टे
क्निकल स्टाफ की बहुत मांग है। इस पर भी सरकार काम कर रही है। हर देश अपनी जरूरत के अनुसार डिमांड भारत से कर रहे हैं। क्योंकि उन्हें विश्वास है कि भारत उनकी जरूरतों को पूरी कर सकता है। उन्होंने बैंकर्स से कहा कि वे छोटे एवं लघु उद्योगों को लोन देने में कदम पीछे ना हटाएं। ये उद्योग उनका पूरी लोन चुकता करेंगे, भागेंगें नहीं। बैंकर्स को यह विश्वास उन पर जताना चाहिए। उन्होंने प्रोडक्ट की मार्केटिंग पर कहा कि इसे हमें समस्या नहीं मानना चाहिए। हमारा आसपास ही हमारा मार्केट है। पहले अपने शहर से शुरू करें। फिर बाहर निकलें। उन्होंने उद्यमियों से आग्रह किया कि वे इस बात पर ध्यान दें कि वर्तमान में क्या चीज ट्रेंडिंग में है। अभी एआई है। हर देश के लोग भारत आते हैं। उनको एआई, रोबोट तकनीक चाहिए। यह भारत दे सकता है। हमें देखना है कि हम कितने तैयार हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कई देश अपने यहां कुछ पैदा नहीं करते। वे चाइना, भारत जैसे देशों पर निर्भर रहते हैं।
