बेहतर समाज के लिए अपने अनुभव साझा करें सेवानिवृत्ति अध्यापक – इंदु बोकन
बेहतर समाज के लिए अपने अनुभव साझा करें सेवानिवृत्ति अध्यापक – इंदु बोकन
अध्यापक कभी भी सेवानिवृत्ति नहीं होता, बढ़ती है सामाजिक जिम्मेदारियां
गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल बस पदम का के प्रिंसिपल राजेश हुए सेवानिवृत
शिक्षा और दीक्षा युवा वर्ग का दशा , दिशा और भविष्य का निर्धारण करती
सहयोगी अध्यापकों और छात्र-छात्राओं के द्वारा भेंट किए गए उपहार
फतह सिंह उजाला
पटौदी । अध्यापक अथवा शिक्षण कार्य से जुड़ा हुआ व्यक्ति कभी भी सेवानिवृत्ति नहीं होता। सही मायने में देखा जाए तो व्यक्ति आजीवन किसी न किसी रूप में अपना कार्य करता ही रहता है। सरकारी सेवा में रहते हुए सरकारी योजना के मुताबिक संबंधित अधिकारी, व्यक्ति, कर्मचारियों को केवल सरकारी कार्य किया जाने से ही छूट प्रदान कर दी जाती है। युवा वर्ग में संस्कार, सभ्य समाज और मजबूत राष्ट्र की संरचना में एक अध्यापक की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है । यह बात गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल बासपदमका गांव में संपन्न प्रिंसिपल राजेश कुमार मित्तल के सेवानिवृत्ति कार्यक्रम के मौके पर मंच के माध्यम से कही गई।
इस मौके पर मुख्य रूप से जिला शिक्षा अधिकारी श्रीमती इंदु बोकन, खंड शिक्षा अधिकारी धर्मवीर यादव , खंड शिक्षा अधिकारी धर्मवीर यादव, खंड शिक्षा अधिकारी सुदेश राघव, पूर्व पटंदी खंड शिक्षा अधिकारी देवेंद्र सिवाच सहित मेजबान स्कूल के अध्यापक वर्ग और छात्र छात्रों के साथ अभिभावक भी मौजूद रहे।। सेवानिवृत्ति समारोह अथवा कार्यक्रम को यादगार बनाने के लिए मेजबान स्कूल के छात्र छात्रों के द्वारा प्रिंसिपल राजेश कुमार मित्तल तथा अन्य अध्यापक वर्ग के सम्मान में विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए गए।
इस मौके पर मेजबान स्कूल के प्रिंसिपल राजेश कुमार मित्तल ने कहा अध्यापक ,गुरु, टीचर, शिक्षक, मार्गदर्शक ,यह सब पर्यायवाची एक अध्यापक के ही कहे जा सकते हैं । लेकिन वास्तव में अध्यापन का कार्य बहुत ही चुनौती पूर्ण कार्य है। अध्यापक अथवा शिक्षक कि प्रत्येक गतिविधि और कार्य शैली पर मौजूदा समय में छात्र वर्ग की बहुत बारीक नजर बनी रहती है।। किसी भी अध्यापक अथवा शिक्षक का पढ़ाने का क्या तरीका है ? किस प्रकार का स्वभाव है ? छात्र वर्ग से किस प्रकार का व्यवहार किया जा रहा है? शिक्षक और छात्र वर्ग में किस प्रकार का तालमेल बना हुआ है ? सब सही मायने में अध्यापक अथवा शिक्षक को परिभाषित किया जाने के लिए पर्याप्त होना चाहिए। उन्होंने कहा अध्यापक की शिक्षा और दीक्षा किसी भी युवा वर्ग का दशा , दिशा और भविष्य का निर्धारण करती है । अभिभावकों को सबसे अधिक भरोसा एक अध्यापक अथवा शिक्षक पर ही होता है । अभिभावकों को यही उम्मीद रहती है कि शिक्षा ग्रहण किया जाने के दौरान अध्यापक अथवा शिक्षकों के द्वारा बच्चों को जीवन में आगे बढ़ाने कि शैक्षणिक मार्ग का मार्गदर्शन प्राप्त होगा । उन्होंने सेवानिवृत्ति के मौके पर दिए गए मान सम्मान के लिए सभी सहयोगी अध्यापको सहित मौजूद ग्रामीणों और अभिभावकों का भी आभार व्यक्त किया।
इस मौके पर बासपदमका गांव की सरदारी, सरपंच, पूर्व सरपंच, नंबरदार, तथा पूर्व पार्षद श्री भगवान नंबरदार महावीर जी भाई तुलाराम जी ,श्रीभगवान, विद्यालय परिवार के अध्यापकगण और छात्रों ने इस कार्यक्रम को भव्य रूप से आयोजित किया। आयोजन स्थल से रवानगी के मौके पर प्रिंसिपल राजेश कुमार व अन्य ने स्कूल के गेट पर ही शहीद स्मारक पर अपनी श्रद्धांजलि अभी अर्पित की गांव के सभी निवासी भी उनके साथ-साथ गांव की सीमा तक गए और उन्हें भावभीनी विदाई दी।