Publisher Theme
I’m a gamer, always have been.
Rajni

फोर्टिस वसंत कुंज में 88-वर्षीय बुजुर्ग की जटिल हिप रिवीज़न सर्जरी सफलतापूर्वक संपन्न

0 9

फोर्टिस वसंत कुंज में 88-वर्षीय बुजुर्ग की जटिल हिप रिवीज़न सर्जरी सफलतापूर्वक संपन्न

मरीज पिछले एक साल से व्हीलचेयर पर जिंदगी बिता रहे थे

मरीज क्रोनिक किडनी डिज़ीज़, टाइप 2 डायबिटीज़, कार्डियाक कंडीशन, रीनल फेलियर समेत अन्य कई रोगों से ग्रस्त थे

नई दिल्ली, 27 अगस्त, 2025: फोर्टिस हॉस्पीटल वसंत कुंज ने सर्जिकल विशेषज्ञता और मल्टी-डिसीप्लीनरी मेडिकल तालमेल का शानदार उदाहरण पेश करते हुए, 88 वर्षीय बुजुर्ग मरीज की अत्यंत जटिल टोटल हिप रिप्लेसमेंट (टीएचआर) सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है। मरीज इससे पहले हिप इंप्लांट प्रक्रिया के बिगड़ने की वजह से पिछले एक साल से व्हीलचेयर पर जिंदगी बिताने को मजबूर थे। यह इंप्लांट उनके पेल्विस तक पहुंच गया था जिसकी वजह से उनकी शाीरिक तकलीफ काफी बढ़ गई थी और हड्डी भी क्षतिग्रस्त हो गई थी तथा वह चलने-फिरने में असमर्थ थे।

 डॉ शुवेन्दु प्रसॉद रॉय, एडिशनल डायरेक्टर ऑर्थो एंड स्पाइन सर्जरी, फोर्टिस हॉस्पीटल वसंत कुंज के नेतृत्व में मरीज की सर्जरी की गई जो करीब 4.5 घंटे तक चली। मरीज को 13 दिनों तक अस्पताल में रखने के बाद स्थिर अवस्था में छुट्टी दी गई। अब वह एक छड़ी की मदद से चलने-फिरने में दोबारा समर्थ बन चुके हैं।

मरीज को जब फोर्टिस वसंत कुंज लाया गया था, तब उनके बाएं कूल्हे में काफी तेज दर्द की शिकायत थी। वह पिछले एक साल से व्हीलचेयर पर सिमट चुके थे, और इससे पहले भी वह वॉकर की सहायता से मामूली दूरी ही तय कर पाते थे। उनकी कंडीशन 2018 में उस वक्त शुरू हुई जब गिरने की वजह से उनके बाएं कूल्हे की हड़डी टूट गई थी और उन्हें आंशिक हिप रिप्लेसमेंट करवाना पड़ा था। हालांकि इस सर्जरी के बाद वह कुछ हद तक चलने-फिरने लायक हो चुके थे, लेकिन कुछ ही महीनों के बाद उन्हें लगातार दर्द की शिकायत रहने लगी थी और चलने में भी काफी तकलीफ थी। धीरे-धीरे वॉकर पर उनकी निर्भरता बढ़ती गई, और साथ ही, मोबिलिटी काफी घट गई थी।

2020 में, डॉक्टरों ने उन्हें रिवीज़न सर्जरी की सलाह दी, लेकिन अपनी अधिक उम्र के चलने वह इस सर्जरी से बचते रहे। इसके बाद, कोविड-19 पैंडेमिक के दौरान, वह मेडिकल सहायत नहीं ले पाए और उनकी हालत लगातार और खराब होती चली गई। 2023 के अंत तक आते-आते, वह चलने-फिरने की क्षमता पूरी तरह खो चुके थे और व्हीलचेयर तक सिमट गए।

मरीज इसके अलावा भी अन्य कई शारीरिक रुग्णताओं के शिकार थे। उनके शरीर में पहले से ही पेसमेकर लगा था, साथ ही, वे क्रोनिक रीनल फेलियर, कंट्रोल्ड टाइप 2 डायबिटीज़, पोस्ट-प्रोस्टैक्टॅमी यूरेथ्रल कंडीशंस से भी जूझ रहे थे जिनके लिए उन्हें नियमित रूप से मेडिकल सहायता की जरूरत पड़ती थी। मरीज की स्पाइनल फिक्सेशन सर्जरी की भी हिस्ट्री थी। इन तमाम जटिलताओं और उनके कारण पैदा होने वाली चुनौतियों के मद्देनज़र, फोर्टिस हॉस्पीटल वसंत कुंज की सर्जिकल टीम ने कार्डियोलॉजी, नेफ्रोलॉजी, और वास्क्युलर केयर स्पेश्यलिस्ट्स के साथ मिलकर, सर्जरी से पहले और इसके दौरान, उनकी हालत स्थिर रखने का प्रयास किया। ऑपरेशन से पहले, डायबिटीज़ और क्रोनिक किडनी डिज़ीज़ समेत उनकी हेल्थ कंडीशंस का सावधाानीपूर्वक प्रबंधन किया गया। उनका हिप सॉकेट, जहां जांध की हड्डी पेल्विस से जुड़ती है, काफी हद तक क्षतिग्रस्त हो चुका था और हड्डी काफी हद तक नष्ट हो गई थी। डॉक्टरों ने इसे रीकंस्ट्रक्ट करने के लिए बोन ग्राफ्ट की मदद, जिसके लिए बोन बैंक (यहां मानव शरीर की हड्डियां स्टेरलाइज़ेशन के बाद कमर्शियल आधार पर उपलब्ध होती हैं) की सहायत ली गई। इन ग्राफ्ट्स को सॉकेट में मौजूद गैप भरने के लिए इस्तेमाल किया गया ताकि नई हड्डी विकसित हो सके और नए हिप ज्वाइंट के लिए एक मजबूत आधार तैयार हो। इसके अलावा, एक खास मेटल फ्रेम, जिसे एसिटाब्युलर केज कहते हैं, को इंप्लांट किया गया और इसे स्क्रू की मदद से पेल्विस बोन से जोड़ा गया ताकि नए कृत्रिम सॉकेट को सहारा मिल सके।

अब डॉक्टरों के सामने दूसरी चुनौती पुराने इंप्लांट को निकालने की थी जो पेल्विस एरिया में काफी नीचे तक खिसक चुका था और कई बड़ी धमनियों के नज़दीक था। सर्जिकल टीम ने एक्सटेंडेड ट्रोकैनटेरिक ओस्टियोटॉमी (ईटीओ) की स्पेशल टेक्निक की मदद से उनकी जांध की हड्डी के ऊपरी हिस्से को सावधानीपूर्वक खोला ताकि वहां गहराई में फंसे हुए इंप्लांट को निकाला जा सके और ऐसा करते समय आसपास के टिश्यू भी क्षतिग्रस्त न हों। इस इंप्लांट को निकालने के बाद, उन्होंने एक लंबे आकार की मजबूत मेटल रॉड को जांघ की हड्डी में डाला और साथ ही, अतिरिक्त मजबूती के लिए मेटल की तारों की मदद से बोन को भी रीकंस्ट्रक्ट किया। इस पूरी प्रक्रिया को बहुत सावधानी के साथ, एडवांस सर्जिकल तकनीकों और कस्टम इंप्लांट की मदद से पूरा किया गया। यह प्रक्रिया सफल रही और मरीज को भी मोबिलिटी मिल सकी है, वह अब छड़ी की मदद से चल-फिर पा रहे हैं और एक बार फिर एक्टिव जीवन बिताने लगे हैं।

इस मामले की जानकारी देते हुए, डॉ शुवेन्दु प्रसॉद रॉय, एडिशनल डायरेक्टर ऑर्थो एंड स्पाइन सर्जरी, फोर्टिस हॉस्पीटल वसंत कुंज ने कहा, “यह तकनीकी दृष्टि से काफी मुश्किल और चुनौतीपूर्ण सर्जरी थी। मरीज का एसिटाबुलम (हिप सॉकेट) पूरी तरह से बेकार हो चुका था, पुराना इंप्लंट भी अपने मूल स्थान से खिसककर पेल्विस धमनियों के काफी नज़दीक पहुंच गया था जो खतरनाक हो सकता था और इस सर्जरी में हमें काफी खून बहने की भी आशंका थी। इन सबके अलावा, मरीज की उम्र काफी अधिक थी और उनकी मेडिकल हिस्ट्री भी काफी जटिल थी। वह हृदय, गुर्दे और मूत्राशय संबंधी परेशानियों से पहले से ही जूझ रहे थे, और इसके चलते विभिन्न स्पेश्यलिटीज़ के साथ काफी प्लानिंग और तालमेल की जरूरत थी। इन चुनौतियों के बावजूद, हमने एडवांस तकनीकों और स्पेश्यलाइज़्ड इंप्लांट्स की मदद से सर्जरी को अंजाम दिया और उसका नतीजा यह रहा कि मरीज को उनकी खोयी हुई मोबिलिटी वापस मिली और उनकी जीवन गुणवत्ता में भी सुधार हुआ।”

डॉ गुरविंदर कौर, फैसिलिटी डायरेक्टर, फोर्टिस हॉस्पीटल वसंत कुंज ने कहा, “इस मामले ने बुजुर्ग मरीजों के मामले में समय पर सर्जिकल इंटरवेंशंस के महत्व को एक बार फिर रेखांकित किया है। कई बुजुर्ग डर या संकोच की वजह से लंबे समय तक तकलीफ और सीमित मोबिलिटी के साथ जीते हैं। फोर्टिस वसंत कुंज में, हम विशेषज्ञों की देखरेख में, मल्टीडिसीप्लीनरी केयर प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। आधुनिक सर्जिकल तकनीकों और स्पेश्लाइज़्ड इंप्लांट्स की सहायता से, अधिक जोखिम वाले जटिल मामलों में भी काफी हद तक सुधार मुमकिन होता है और मरीज की जीवन गुणवत्ता बेहतर की जा सकती है।”

Leave a Reply

Discover more from Theliveindia.co.in

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading