पटौदी में मुस्लिम समुदाय ने ईद उल-अजहा की नमाज अदा की
पटौदी में मुस्लिम समुदाय ने ईद उल-अजहा की नमाज अदा की
समाज , प्रदेश और देश में अमन भाईचारे के लिए दुआ मांगी गई
बदलते समय के साथ विभिन्न बुराइयों का त्याग सबसे बड़ी कुर्बानी बताया
बुराइयों का खात्मा करने के साथ, आपसी भाईचारा पर जोर दिया दिया
फतह सिंह उजाला
पटौदी । शनिवार को पीर-फकीरों और साधु संतों की नगरी पटौदी की अलग-अलग मस्जिदों में ईद उल अजहा की नमाज अदा की गई। देश – प्रदेश और क्षेत्र में अमन भाईचारे, आम लोगों की सेहत और रोजगार में बरकत के लिए विशेष रूप से ईदगाह सहित विभिन्न मस्जिदों में दुआ पढ़ी गई ।
हजरत इब्राहिम अलैहि वसल्लम की अजीम कुर्बानी को याद करते हुए शनिवार को मुस्लिम समुदाय के लोगों ने ईद उल अजहा की नमाज अकीदत से अदा की। शहर की तमाम मस्जिदों और ईदगाह में कुर्बानी के जज्बे के साथ अल्लाह की बारगाह में सजदा कर अपने रब को सर्वशक्तिमान होने का इकरार किया । रेवाड़ी रोड स्थित ईदगाह में हजारों की तादाद में मुस्लिम नमाज़ में शामिल हुए, वहीं शहर काजी मुफ्ती सुलेमान ने नमाज अदा कराई तथा देश-प्रदेश में अमन भाईचारे और बेरोजगारों के लिए दुआ मांगी। नमाज के बाद मुसलमानों ने कुर्बानी देकर हजरत इब्राहिम अलैहि वसल्लम और हजरत इस्माइल अलैहि वसल्लम की कुर्बानी को याद किया।
शहर काजी मुफ्ती सुलेमान ने बताया कि ईद उल अजहा पैगंबर हजरत इब्राहिम अलैहि वसल्लम की अजीम कुर्बानी की याद दिलाता है। जिसमें उन्होंने अल्लाह के हुकुम से अपने प्यारे बेटे हजरत इब्राहिम की सहमति से उनकी कुर्बानी देने से भी पीछे नहीं हटे। उसी कुर्बानी की याद में ईद उल अजहा का त्यौहार मनाया जाता है। इसी कड़ी में पंडित कैलाश चंद्र बाली दिल्ली पालम के शिष्य और हजरत बाबा सैयद नूरुद्दीन ट्रस्ट के ट्रस्टी सैयद एजाज हुसैन जैदी ने कहा कुर्बानी का तात्पर्य अपनी सबसे प्रिय वस्तु को अर्पित या समर्पित किया जाना ही है । दूसरे जरूर मंद की जरूरत को पूरा किया जाने के लिए दिया किसी भी प्रकार का दिया जाने वाला सहयोग भी कुर्बानी ही माना जाना चाहिए । समय की जरूरत और बदलाव को देखते हुए मौजूदा समय में तमाम प्रकार की बुराइयों से अपने आप को अलग करना बहुत बड़ी कुर्बानी कहा जा सकता है ।
नमाज से पहले मुफ्ती सुलेमान ने मुसलमानों को समाज में फैली बुराइयों का खात्मा करने के साथ ही आपसी भाईचारा कायम करने पर जोर दिया । साथ ही उन्होंने कहा कि समय बदल चुका है चाहे, एक रोटी कम खा लो , लेकिन अपने बच्चों को तालीम जरूर दें। उन्होंने कुर्बानी करने वालों से अपील करते हुए कहा की कुर्बानी करते समय इस बात का ख्याल रखें कि खुले में कुर्बानी ना करें और उसकी गंदगी को किसी गड्ढे में दबा दें। हमारे नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने कहा कि सच्चा और ईमान वाला मुसलमान किसी को तकलीफ नहीं पहुंचाता । उन्होंने कहा कि रास्ते में तकलीफ देने वाली चीजों को रास्ते से हटा देना ही सबसे बड़ा सदका है ।