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स्मोकिंग और वेपिंग से 4 गुना बढ़ रहा लंग कैंसर का खतरा, डॉक्टर्स बोले- निकोटीन की लत से बचें युवा*

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स्मोकिंग और वेपिंग से 4 गुना बढ़ रहा लंग कैंसर का खतरा, डॉक्टर्स बोले- निकोटीन की लत से बचें युवा*

– विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर फोर्टिस गुरुग्राम ने तंबाकू के हानिकारक प्रभावों पर जागरूकता बढ़ाने के लिए संगोष्ठी का आयोजन किया

– फोर्टिस ने “तंबाकू मुक्त पीढ़ी भारत 2040” के राष्ट्रीय लक्ष्य को दिया समर्थन

Reporter Madhu Khatri

हर साल 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस (World No Tobacco Day) मनाया जाता है। भारत में प्रतिदिन लगभग 5500 बच्चे तंबाकू का सेवन शुरू कर रहे हैं और ई-सिगरेट शहरी युवाओं में पारंपरिक सिगरेट की जगह ले रही है। विशेषज्ञों ने इसे पब्लिक हेल्थ के लिए “परफेक्ट स्टॉर्म” बताया है। तंबाकू लंग कैंसर और हार्ट डिजीज समेत कई बीमारियों की मुख्य वजह है। सिगरेट और बीड़ी में भी तंबाकू होती है और बड़ी संख्या में युवा इसकी लत का शिकार हो रहे हैं. डॉक्टर्स ने तंबाकू को कैंसर की बड़ी वजह बताया है.

विश्व तंबाकू निषेध दिवस के अवसर पर फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम में एक परिचर्चा का आयोजन किया गया, जिसमें कई डॉक्टर्स ने तंबाकू से जुड़ी जरूरी बातें बताईं। यह कार्यक्रम विश्व स्वास्थ्य संगठन की वैश्विक थीम “बियॉन्ड स्मोक: द फ्यूचर ऑफ प्रिवेंशन, इनोवेशन, एंड होप” के अनुरूप आयोजित किया गया। इस दौरान डॉक्टर्स ने लोगों को चेताया कि स्मोकिंग और वेपिंग से फेफड़ों के कैंसर और हार्ट डिजीज की नई लहर उभर रही है। इतना ही नहीं, जहरीले वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से नॉन स्मोकर्स में भी लंग कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, जो चिंताजनक है। 

फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम के मेडिकल ऑन्कोलॉजी डिपार्टमेंट के सीनियर डायरेक्टर डॉ. अंकुर बहल ने कहा कि धूम्रपान और वेपिंग एक साथ करने से फेफड़ों के कैंसर का जोखिम चार गुना बढ़ जाता है। तंबाकू में निकोटीन पाया जाता है और युवा वयस्क निकोटीन की लत का नया केंद्र बनते जा रहे हैं। अब केवल धूम्रपान करने वाले ही कैंसर से पीड़ित नहीं हो रहे हैं। हम फेफड़ों के कैंसर के मामलों में तेज वृद्धि देख रहे हैं, खासकर उच्च वायु प्रदूषण के संपर्क में आने वालों में। इम्यूनोथेरेपी और mRNA वैक्सीन उम्मीद की किरण हैं, लेकिन तंबाकू नियंत्रण आज भी हमारी सबसे प्रभावी रोकथाम रणनीति है।

डॉक्टर अंकुर बहल ने बताया कि करीब 40% लंग कैंसर के मामले स्मोकिंग या वेपिंग से जुड़े होते हैं, जबकि 20% मामले लंबे समय तक एयर पॉल्यूशन में रहने की वजह से होते हैं। 20% लोगों में लंग कैंसर के मामले स्मोकलेस तंबाकू प्रोडक्ट यानी खैनी और गुटखा खाने से होते हैं। करीब 20% लंग कैंसर के मामले नॉन स्मोकर्स में देखे जाते हैं, जिनका तंबाकू से सीधे तौर पर कोई कनेक्शन नहीं होता है और इनमें अनुवांशिक वजह से कैंसर होता है।

डॉक्टर अंकुर बहल की मानें तो आजकल AI की मदद से भी स्मोकिंग को छोड़ने में मदद मिल सकती है, जिनमें कुछ निम्न हैं-

 SmokeMon स्मार्ट नेकलेस: धूम्रपान को रीयल टाइम में पहचानता है और उपयोगकर्ता को याद दिलाने के लिए बाइब्रेट करता है।

– AI-संचालित क्विटबॉट्स: व्यक्तिगत संदेश, ट्रिगर और 24×7 सहायता प्रदान करते हैं।

– स्मार्टवॉच संकेत: कलाई से मुंह की ओर होने वाली हरकतों का पता लगाता है और संभावित पुनः धूम्रपान से पहले सतर्क करता है।

डॉ. मनोज गोयल, प्रिंसिपल डायरेक्टर एवं यूनिट हेड, पल्मोनोलॉजी, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम ने कहा, “वेपिंग को अक्सर एक ‘सुरक्षित’ विकल्प के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, लेकिन प्रमाण इसके विपरीत हैं। जब वेपिंग और स्मोकिंग दोनों साथ में की जाती हैं, तो यह फेफड़ों के कैंसर का जोखिम चार गुना तक बढ़ा देती है।  इसके अलावा गुरुग्राम में तेजी से हो रहा शहरीकरण वायु प्रदूषण को बढ़ा रहा है, जिसमें खासकर PM2.5 कणों की अधिकता ने श्वसन रोगों के लिए एक खतरनाक स्थिति पैदा कर दी है ।”

जानकारों के अनुसार  “हमें सबसे अधिक चिंता किशोर लड़कियों और युवतियों के वेपिंग व प्रदूषित हवा के संपर्क में आने की है। ये विषैले तत्व न केवल फेफड़ों को प्रभावित करते हैं, बल्कि प्रजनन स्वास्थ्य, भ्रूण विकास और हार्मोन संतुलन पर भी असर डालते हैं। इसके अलावा, धूम्रपान के कारण महिलाओं में समय से पहले मेनोपॉज़ होने की संभावना बढ़ जाती है, जो सामान्यतः गैर-धूम्रपान करने वाली महिलाओं की तुलना में 1 से 4 साल पहले हो सकता है। हमारे अनुभव के आधार पर, 100 युवा महिला तंबाकू उपयोगकर्ताओं में से लगभग 60–70% को माहवारी से जुड़ी समस्याएं होती हैं, जैसे अनियमित पीरियड्स या तेज़ दर्द। वहीं, करीब 30–40% महिलाएं प्रजनन संबंधी समस्याओं का सामना करती हैं, जिनमें गर्भधारण में कठिनाई या जल्दी मेनोपॉज़ शामिल है। आज की रोकथाम आने वाली पीढ़ियों की सुरक्षा है।”

फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम के फैसिलिटी डायरेक्टर और वाइस प्रेसिडेंट श्री यश रावत ने कहा, “फोर्टिस में हम मानते हैं कि तंबाकू-मुक्त जीवन की ओर उठाया गया हर कदम बेहतर स्वास्थ्य और उज्जवल भविष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। नो टोबैको डे के अवसर पर हम यह संकल्प दोहराते हैं कि हम जागरूकता फैलाने, तंबाकू छोड़ने में सहयोग देने और एक स्वस्थ, धूम्रपान-मुक्त समाज के निर्माण के लिए लगातार प्रयासरत रहेंगे।”

कार्यक्रम में डॉ. अंकुर बहल, सीनियर डायरेक्टर, मेडिकल ऑन्कोलॉजी सहित, डॉ. विनायक अग्रवाल, वरिष्ठ निदेशक और प्रमुख, नॉन-इनवेसिव कार्डियोलॉजी, डॉ. वेदांत काबरा, प्रिंसिपल डायरेक्टर, सर्जिकल ऑन्कोलॉजी, डॉ. मुक्ता कपिला, निदेशक एवं प्रमुख, प्रसूति एवं न्यूनतम इनवेसिव गायनोकोलॉजी, डॉ. संजात चिवाने, निदेशक, कार्डियोलॉजी, डॉ. प्रवीण गुप्ता, प्रिंसिपल डायरेक्टर और प्रमुख, न्यूरोलॉजी, डॉ. मनोज गोयल, प्रिंसिपल डायरेक्टर एवं यूनिट हेड, पल्मोनोलॉजी, डॉ. समीर पारिख, डायरेक्टर मेंटल हेल्थ एंड बिहेवियरल साइंस और श्री यश रावत, फैसिलिटी डायरेक्टर और वाइस प्रेसिडेंट, फोर्टिस अस्पताल, गुरुग्राम शामिल रहे

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