जंगल काटने मामले में चीफ सेक्रेटरी बोलीं- वो वन क्षेत्र नहीं, परमिशन के बाद शुरू हुआ विकास कार्य
तेलंगाना: जंगल काटने मामले में चीफ सेक्रेटरी बोलीं- वो वन क्षेत्र नहीं, परमिशन के बाद शुरू हुआ विकास कार्य
हैदराबाद: तेलंगाना की मुख्य सचिव शांति कुमारी ने स्पष्ट किया है कि कांचा गच्चीबौली में 400 एकड़ जमीन बंजर भूमि है न कि ये वन भूमि है. सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में उन्होंने कहा कि इन जमीनों पर विकास कार्य आवश्यक अनुमतियां प्राप्त करने के बाद ही शुरू हुआ.
कानूनी विवादों के कारण लगभग दो दशकों तक यह जमीन बेकार पड़ी रही और इस दौरान यहां पेड़ पौधे उग गए. अब 50,000 करोड़ रुपये के निवेश से विकास गतिविधियां चल रही हैं.
हलफनामे में मुख्य बिंदु हैं…
भूमि की स्थिति और इतिहास
कांचा गाचीबोवली में सर्वेक्षण संख्या 25 में 2,374.02 एकड़ भूमि शामिल है, जिसमें पांच जल निकाय शामिल हैं. इस क्षेत्र को आधिकारिक तौर पर ‘कांचा पोरामबोकू सरकारी भूमि’ के रूप में दर्ज किया गया है. 1975 में सरकार ने हैदराबाद विश्वविद्यालय (HCU) को 2,324.05 एकड़ भूमि आवंटित की थी, लेकिन कोई अंतिम अलगाव आदेश जारी नहीं किया गया था. राजस्व अभिलेखों में भूमि सरकारी स्वामित्व में है.
हालांकि विश्वविद्यालय के पास खाली पड़ी जमीन का एक बड़ा हिस्सा है, लेकिन इसकी मौजूदा 400 एकड़ के बीच कोई बाड़ नहीं है. नतीजतन, हिरण, मोर और विश्वविद्यालय परिसर से पक्षी जैसे वन्यजीव अक्सर इन जमीनों पर भटकते रहते हैं.
जमीन आवंटन की जानकारी
9 अगस्त, 2003 को सरकार ने खेल अवसंरचना के लिए 400 एकड़ भूमि विकसित करने के लिए आईएमजी अकादमी भारत प्राइवेट लिमिटेड के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए. इसके अनुसार भूमि हैदराबाद विश्वविद्यालय से ली गई और 3 फरवरी, 2004 को आंध्र प्रदेश खेल प्राधिकरण (एसएपी) को सौंप दी गई. इसके अतिरिक्त, 134.28 एकड़ भूमि टीएनजीओ हाउसिंग सोसाइटी को आवंटित की गई.
इसके बाद खेल प्राधिकरण ने 400 एकड़ जमीन आईएमजी को हस्तांतरित कर दी. बदले में हैदराबाद विश्वविद्यालय को उसी दिन सर्वेक्षण संख्या 36 में 191.36 एकड़ और सर्वेक्षण संख्या 37 में 205.20 एकड़ जमीन दी गई.
हालांकि विवादों के कारण 21 नवंबर, 2006 को सरकार ने आईएमजी के साथ समझौता रद्द कर दिया था. कानूनी लड़ाई के बाद 7 मार्च 2023 को उच्च न्यायालय ने सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया. बाद में 3 मई 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने आईएमजी की एसएलपी को खारिज कर दिया.
आईटी विस्तार के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्र
हैदराबाद एक प्रमुख आईटी हब के रूप में विकसित हुआ है जहां 1,400 से अधिक कंपनियां लाखों पेशेवरों को रोजगार देती है. विवादित 400 एकड़ का प्लॉट माधापुर, गाचीबोवली, रायदुर्गम और वित्तीय जिले जैसे स्थापित तकनीकी क्षेत्रों के करीब है. भविष्य में आईटी विस्तार को समायोजित करने के उद्देश्य से, टीजीआईआईसी (TGIIC) ने नई परियोजनाओं के विकास के लिए 15 जनवरी को 122.63 एकड़ के लेआउट को अंतिम रूप दिया.
सभी प्रक्रियाओं का पालन किया गया: टीजीआईआईसी
भूमि विवाद के निपटारे के बाद टीजीआईआईसी ने पर्यावरण नियमों का सख्ती से पालन करते हुए विकास कार्य शुरू किया. एक पर्यावरण संरक्षण योजना तैयार की गई. 20 जनवरी को तेलंगाना प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) से स्थापना के लिए सहमति मांगी गई और उसके बाद उसे मंजूरी दे दी गई.
टीजीआईआईसी ने 17 मार्च को तहसीलदार से वृक्ष स्वामित्व प्रमाण पत्र प्राप्त किया और उसे शमशाबाद वन प्रभागीय अधिकारी के साथ साझा किया. इन स्वीकृतियों के बाद ही विकास कार्य शुरू किया गया. इस भूमि के किसी भी खरीदार को अभी भी अलग से पर्यावरणीय मंजूरी प्राप्त करने की आवश्यकता होगी.
दिशा-निर्देशों के अनुसार 50 हेक्टेयर या 1.5 लाख वर्ग फीट से अधिक के प्रोजेक्ट के लिए राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण से मंजूरी की आवश्यकता होती है टीजीआईआईसी ने अपने पीसीबी आवेदन में स्पष्ट किया है कि विकास 50 हेक्टेयर के भीतर ही सीमित है. इसने 3 मार्च को एक पर्यावरण प्रबंधन योजना प्रस्तुत की.
पेड़ों को हटाना और फिर से लगाना
साइट से कुल 1,524 पेड़ हटाए गए. इनमें से 1,399 पेड़ों को आधिकारिक नियमों के अनुसार हटा दिया गया. 3 मार्च को चिलकुर वन रेंज अधिकारी द्वारा किए गए निरीक्षण के दौरान पाया गया कि 125 पेड़ों को उचित मंजूरी के बिना काटा गया था. मामला दर्ज किया गया और उन पेड़ों को जब्त कर लिया गया. हालाँकि नियम के अनुसार हटाए गए प्रत्येक पेड़ के बदले कम से कम दो पौधे लगाना अनिवार्य है, लेकिन सरकार ने प्रत्येक काटे गए पेड़ के बदले पांच नए पौधे लगाने का वादा किया है.
फर्जी अभियान और सरकारी प्रतिक्रिया
सरकार ने इस बात के पुख्ता सबूत जुटाए हैं कि कुछ लोग फर्जी तस्वीरों और डिजिटल रूप से बदले गए वीडियो का इस्तेमाल कर लोगों को गुमराह कर रहे हैं. 3 अप्रैल को हाईकोर्ट के आदेशों के अनुपालन में उस दिन साइट पर कोई गतिविधि नहीं की गई. इसके अलावा, सरकार ने रंगारेड्डी जिला कलेक्टर को हरित क्षेत्र की सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है और साइबराबाद कमिश्नर को क्षेत्र में निरंतर सुरक्षा बनाए रखने का निर्देश दिया है
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