8 सितम्बर साक्षरता दिवस
8 सितम्बर साक्षरता दिवस
सन 1966 में पहला विश्व साक्षरता दिवस मनाया गया था और वर्ष 2009-2010 को संयुक्त राष्ट्र साक्षरता दशक घोषित किया गया.तभी से लेकर आज तक पूरे विश्व में 8 सितंबर को विश्व साक्षरता दिवस के रूप में मनाया जाता है.
आओ हम सब मिलकर साक्षरता दिवस पर एक प्रण करते हैं, उस यज्ञ में आहुति देने का, जो शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए बरसों से किया जा रहा है, लेकिन उसकी ज्वाला उतनी तीव्रता से धधक नहीं पा रही है.
आवश्यक नहीं है, कि इसके लिए हमें कोई बड़े काम से शुरूआत करनी हो. आहुतियां छोटी ही होती है, लेकिन यज्ञ का महत्व और उद्देश्य बड़ा होता है. ठीक वैसे ही हमारी छोटी-छोटी कोशिशें भी कई बार बड़ा आकार लेने में सक्षम होती हैं.
यदि आप घर पर किसी गरीब बच्चे को न पढ़ा पाएं, तो अपने क्षेत्र के लोगों के साथ मिलकर कोई छोटा सा समूह बनाकर, उसके स्कूल जाने की व्यवस्था अवश्य कर सकते हैं. आप कुछ समय निकालकर, उन पिछड़े क्षेत्रों व लोगों के बीच शिक्षा के महत्व को समझा सकते हैं, जहां शिक्षा से आवश्यक मजदूरी और ज्ञान से आवश्यक भोजन होता है.
आप ज्ञान के प्रकाश से वन्चित तबके को इस बात का आभास करा सकते हैं, कि शिक्षा प्राप्त करने की कोई आयु नहीं होती. आप कम से कम सरकार की शिक्षा सम्बन्धी योजनाओं की जानकारी तो बांट सकते हैं, जो आपके छोटे से प्रयास से अंधकारमय जीवन में एक नया दीपक जला सकती है.क्योंकि शिक्षा रोजगार या पैसे से अधिक स्वयं के विकास के लिए आवश्यक है.
जिस देश और सभ्यता ने ज्ञान को अपनाया है, उसका विकास अद्भुत गति से हुआ है और इतिहास इस बात का साक्षी है.
निरक्षरता अंधेरे के समान है और साक्षरता प्रकाश के समान है. इसलिए व्यक्ति का साक्षर होना अति आवश्यक है, जिससे व्यक्ति को अपने मौलिक अधिकारों और कर्तव्यों का ज्ञान और वह समाज के प्रति अपने अधिकारों और दायित्व का निर्वाहन भली-भाँति कर सके. एक सभ्य समाज के लिए लोगों का शिक्षित होना अत्यंत आवश्यक है.
एक शिक्षित व्यक्ति में वो क्षमता है जो परिवार और देश की प्रतिष्ठा को बढ़ा सके और ये दिन शिक्षा को प्राप्त करने और लोगों को शिक्षा के प्रति जागरूक करने के लिए मनाया जाता है.
हम सभी को व्यक्तिगत स्वार्थ की भावना का परित्याग कर राष्ट्र के नव निर्माण में अपना सर्वोत्तम कर्त्तव्य कर्म करने का यत्न करना चाहिए।
मैं अपने कृतित्व और व्यक्तित्व से समाज की भावी पीढ़ी को संस्कारित करके अपने मानव होने की जिम्मेदारी ईमानदारीपूर्वक निभा रहा हूँ ।
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