मुसलमानों के लिए 4 फीसदी का आरक्षण, राज्यपाल ने राष्ट्रपति को भेजा विधेयक
मुसलमानों के लिए 4 फीसदी का आरक्षण, राज्यपाल ने राष्ट्रपति को भेजा विधेयक
बेंगलुरु: कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने बुधवार को राज्य की कांग्रेस सरकार द्वारा लाए गए एक विधेयक को राष्ट्रपति की सहमति के लिए भेज दिया. यह विधेयक सरकारी अनुबंधों में मुसलमानों के लिए 4 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान करता है. राज्यपाल ने इस विधेयक में “संवैधानिक प्रतिबंध” होने का दावा किया है.
बुधवार को राज्य सरकार को भेजे गए पत्र में, राज्यपाल गहलोत ने सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि भारतीय संविधान धर्म के आधार पर आरक्षण की अनुमति नहीं देता है. उन्होंने तर्क दिया कि ऐसा प्रावधान सार्वजनिक रोजगार में समानता, गैर-भेदभाव और समान अवसर के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है.
राज्यपाल ने अपने पत्र में कहा, “चूंकि संविधान में धर्म आधारित आरक्षण की अनुमति नहीं है, इसलिए मेरा मानना है कि विधेयक को मंजूरी देने के बजाय, मैं इस विधेयक को राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित रखना उचित समझूंगा, ताकि अधिक संवैधानिक जटिलताओं से बचा जा सके, क्योंकि इसमें (विधेयक में) संवैधानिक प्रतिबंध शामिल हैं.”
गहलोत ने अपने इस निर्णय के बचाव में तर्क दिया कि सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार यह फैसला दिया है कि किसी भी समुदाय को आरक्षण देने का फैसला सामाजिक और शैक्षणिक पिछड़ेपन के आधार पर होना चाहिए, न कि धर्म के आधार पर. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आरक्षण का आधार संविधान के अनुरूप होना चाहिए.
उल्लेखनीय है कि कर्नाटक सार्वजनिक खरीद में पारदर्शिता (संशोधन) विधेयक पिछले महीने राज्य विधानमंडल के दोनों सदनों में पारित किया गया था. यह विधेयक बजट सत्र के दौरान पारित हुआ था और फिर राज्यपाल की मंजूरी के लिए राजभवन भेजा गया था.
विधेयक में 2 करोड़ रुपये तक के सिविल कार्यों और 1 करोड़ रुपये तक के माल और सेवा अनुबंधों में मुसलमानों के लिए 4% अनुबंध आरक्षित करने की मांग की गई है. सरकार का तर्क है कि यह कदम मुस्लिम समुदाय को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने और उन्हें समान अवसर प्रदान करने के लिए आवश्यक है.
विधेयक पर विवाद: यह विधेयक अपनी शुरुआत से ही विवादों में रहा है। विपक्षी दलों ने इस विधेयक की आलोचना करते हुए इसे वोट बैंक की राजनीति से प्रेरित बताया है. उनका तर्क है कि धर्म के आधार पर आरक्षण संविधान के खिलाफ है और इससे समाज में विभाजन बढ़ेगा.