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21 जून योग दिवस,

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21 जून योग दिवस,

योग भारतीय ज्ञान परम्परा की अमूल्य धरोहर है। गीता में कहा गया है —

“योगः कर्मषु कौशलम् “

अर्थात् योगाभ्यास मनुष्य को कर्म में निपुणता प्रदान करता है। योगाभ्यासी मनुष्य अपने कार्य को कुशलता पूर्वक कर सकने में सक्षम होता है।

यह एक ऐसा विज्ञान है जो मन, मस्तिष्क और आत्मा को परिष्कृत करता है। विश्व में आज भारतीय योग की धूम मची है। मानव समुदाय एक अजीब बेचैनी और मानसिक अशांति में जी रहा है। इस का कारण है वैज्ञानिक आविष्कारों ने मनुष्य को आधुनिक तो बना दिया लेकिन शान्ति और सन्तुष्टि तब भी उससे दूर ही रही।

सच तो यह है कि विज्ञान ने मनुष्य को विलासितापूर्ण जीवन दिया है। प्रतिदिन प्रयोग की जाने वाली वस्तुओं में सुधार लाकर वैज्ञानिक अनुसंधान मनुष्य को आराम दे सकते हैं। लेकिन अच्छा तन, मन एवं बुद्धि विज्ञान की किसी प्रयोगशाला में निर्मित हो सकना असंभव है।

मनुष्य विज्ञान के आविष्कारों से धन वैभव कमा सकता है। परन्तु अच्छा स्वस्थ्य, निरोगी काया के लिए विज्ञान ने ऐसा कोई गैजेट नहीं बनाया है कि उसका बटन दबाते ही मनुष्य स्वस्थ एवं निरोग हो सके। इस सच्चाई को आमजन भी अब समझने लगा है, इस लिए योगाभ्यास के प्रति लोगों की रूचि व रूझान बढ़ा है।

योग के प्रचलन से शरीर को दिशा देने वाला अनुशासन विकसित हो रहा है। योग धर्म नहीं है, यह जीवन का दर्शन है। यह मनुष्य को आत्मज्ञान, आत्म-संतोष और आत्मनियन्त्रण वाला जीवन जीने के लिए तैयार करता है।

योग मनुष्य को संतुष्ट, समन्वित और संतुलित जीवन जीने योग्य बनाता है। मन को जागृत कर योग मनुष्य को पशु- प्रवृत्तियों से दूर रखता है। योग रामबाण औषधि है। शरीर और मस्तिष्क को योगाभ्यास द्वारा स्वस्थ रखने का प्रचलन हमारे देश में आदिकाल से चला आ रहा है। इस के आश्चर्यजनक परिणाम अब पश्चिमी देशों को भी समझ में आने लगे हैं।

संयुक्त राष्ट्र संघ ने इसी कारण प्रतिवर्ष 21जून को विश्व योग दिवस घोषित कर भारतीय योग विज्ञान को एक प्रकार से दुनिया का सर्वश्रेष्ठ शरीर विज्ञान की मान्यता प्रदान की

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