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हरियाणा में 14 हजार स्कूल और टीचर के 39 हजार खाली पद

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हरियाणा में 14 हजार स्कूल और टीचर के 39 हजार खाली पद

हरियाणा के सरकारी स्कूलों में टीजीटी के तो 55 प्रतिशत पद खाली

कैसे पढ़ेगा हरियाणाा का बचपन और फिर कैसे आगे बढ़ेगा बचपन

फतह सिंह उजाला
गुरुग्राम। 
हरियाणा में शिक्षा का स्तर ऊंचा उठाने की बात तो सरकार कह रही है कि लेकिन एक कड़वी सच्चाई यह है कि यहां के 14 हजार 500 सरकारी स्कूलों में टीचर के 46459 पद खाली पड़े हैं। जिनमें 39 हजार से अधिक शिक्षकों के पद शामिल हैं।  ऐसी बदहाल स्थिति में यहां बच्चों के आगे बढऩे की उम्मीद करना बेमानी है। ऐसे में लाख टके का सवाल यही है कि हरियाणा में कैसे पढ़ेगा हरियाणाा का बचपन और फिर कैसे आगे बढ़ेगा बचपन।

आम आदमी पार्टी कार्यकर्ता अभय जैन एडवोकेट व आप के दक्षिण हरियाणा लीगल हेड अशोक वर्मा एडवोकेट के मुताबिक हरियाणा में सरकारी एवं निजी स्कूल मिलाकर कुल 25 हजार स्कूल हैं। जिसमें से 14 हजार 500 सरकारी व करीब 10 हजार 500 निजी स्कूल हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश के सरकारी स्कूलों में खाली पड़े 32 प्रतिशत पदों में सबसे अधिक टीजीटी (ट्रेंड ग्रेजुएट टीचर) और पीजीटी (पोस्ट ग्रेजुएट टीचर) के पद खाली हैं। इनमें टीजीटी के तो 55 प्रतिशत पद खाली हैं। हकीकत यह भी है कि यहां शिक्षकों के मंजूर पदों की तुलना में खाली पदों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। नियमित शिक्षकों की भर्तियां नहीं होने के कारण अब स्कूलों से सेवानिवृत होने वाले शिक्षकों के बाद शैक्षणिक ढांचे की स्थिति बदहाल होती जा रही है। पहले जहां शिक्षकों की भर्ती कर्मचारी चयन आयोग के माध्यम से नियमित तौर पर होती थी, अब सरकार अपनी कंपनी रोजगार कौशल निगम के माध्यम से करना चाह रही है। मतलब अब सरकार शिक्षक जैसे महत्वपूर्ण पदों पर भी नियमित भर्ती करने से कदम पीछे हटा रही है।

स्कूला में खाली पदों का ब्यौरा
प्रदेश के स्कूलों में टीचिंग, नॉन टीचिंग के 1 लाख 37 हजार 895 पद हैं, इसमें से 46 हजार 459 पद खाली पड़े हैं। अतिथि अध्यापकों के 12 हजार 156 पद शामिल हैं। खाली पदों में प्राचार्यों के 398, मुख्य अध्यापकों के 112, पीजीटी शिक्षकों के 13974, टीजीटी के 20467, पीआरटी के 4846, गु्रप डी (सफाईकर्मी, माली, चौकीदार आदि) के 6662 पद खाली हैं। इस तरह से हरियाणा के स्कूलों में कुल 46459 पद खाली पड़े हैं। आप कार्यकर्ता रुस्तम चौहान, भूपेंद्र पहलवान, धीरेंद्र डागर, प्रमोद कटारिया, गौरव टांक, सतीश प्रधान, दिनेश वर्मा, चरण सिंह देवा (प्रधान) आदि ने सरकार की शिक्षा नीति और शिक्षा ढांचे को मजबूत बनाने के दावों पर कहा है कि यह आंकड़े हरियाणा में शिक्षा नीति की हकीकत को बयां करते है। सरकार के सभी दावे हवा-हवाई हैं। जमीनी स्तर पर कुछ नहीं किया जा रहा है। सरकार को चाहिए कि दिल्ली की शिक्षा नीति पर सवाल खड़े करने से पहले अपने शैक्षणिक ढांचे को सुधारे।

बीए पास भी नहीं हरियाणा के शिक्षा मंत्री
एडवोकेट अभय जैन ने बताया कि हरियाणा के शिक्षा मंत्री दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनकी नीतियों पर सवाल खड़ा करते हैं। हरियाणा में शैक्षिक ढांचे की बदहाल स्थिति को बढ़ा-चढ़ाकर बताते हैं। यहां तक कि वे स्वयं बीए पास भी नहीं हैं। उन्होंने अपने बायोडाटा में बीए सेकेंड ईयर तक ही खुद को शिक्षित बताया हुआ है। 

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