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लड़कियों को ठंड कम क्यों लगती है?

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ठंड का अपना ही मजा है। लेकिन उन महिलाओं के लिए यह थोड़ा टेंशन वाला हो जाता है जो अपने फिगर को कपड़ों में कैद नहीं करना चाहती। खुद को स्टाइलिश दिखाने के लिए वह ठंड को भी मात दे देती हैं। ज्यादातर सिर्फ दिखावे के लिए गर्म कपड़े इस्तेमाल नहीं करती है। ऐसी महिलाओं का अकसर कहना होता है कि वह बहुत हॉट है इसलिए उन्हें ठंड नहीं लगती। ऑफिस में काम करने वाली महिलाओं को ठंड को लेकर बहुत ध्यान रखने की जरुरत है क्योंकि ऐसी महिलाएं भागदौड़ वाला काम कम करती हैं जिससे उनका मेटाबोलिक रेट पुरुषों की तुलना में 35 प्रतिशत कम होता है।

जिन महिलाओं का मेटाबोलिक रेट कम होता है उन्हें ठंड ज्यादा लगती है। इसलिए उन्हें अपने खान पान का खास ध्यान रखने की जरुरत होती है, जिससे की उनके शरीर में गर्मी बनी रहे। समय पर खाना न खाने से और खाने में लापरवाही से भी महिलाओं को ठंड ज्यादा लगती है। ऐसे में जहां लड़के अभी से मोटे-मोटे कपड़े पहनकर शाम को घर से निकल रहे हैं, वहीं लड़कियां आज भी शॉर्ट्स और छोटे कपड़ों में मजे से चिल कर रही हैं। कई बार तो कड़ाके की ठंड भी लड़कियां कम कपड़ों में काट देती हैं। ये सब देखकर आपके मन में भी जरूर सवाल उठता होगा, क्या इन्हें ठंड नहीं लगती? हालांकि अब इस यूनिवर्सल सवाल का जवाब मिल गया हैउन्हें तो बिल्कुल नहीं लगती।

औरतों को ठंड ना लगने पर सर्दियों में शादियों में स्त्रियों के स्वेटर न पहनने पर खूब बात होती है। चुटकुले बनते हैं। वजह तो पता होगी..न पता हो तो मैं बता देती हूँ ..थेथर होती हैं औरतें। बाकी कुछ लड़कियां ज्यादा हॉट होती हैं उन्हें ठंड कम लगती होगी। मोटी लडकियो को चर्बी ज्यादा होती है तो ठंड कम लगती है । पतली लड़कियां अपने सुंदर शरीर को दिखाने के लिए कम कपड़े पहनती है और आप भ्रमित हो जाते है कि लडकियो को ठंड कम लगती है।

नए शोध में रिसर्चर्स ने उन महिलाओं से बात की तो 4 से 10 डिग्री के तापमान में भी कम कपड़ों में क्लब पहुंची थीं। हैरानी की बात है कि इतने कम तापमान में भी उन्हें ठंड का एहसास नहीं हो रहा था। रिसर्च के अंत में वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुंचे कि ठंड तभी तक लगती है जब आप मानसिक रूप से अपने स्किन के जुड़े रहते हैं।
महिलाओं पर होने वाले शोध तो यही बताते हैं कि महिलाओं को पुरुषों की अपेक्षा ज्यादा ठंड लगती है, परंतु फैशन और खुद को एट्रेक्टिव दिखाने के लिए महिलाएं ठंड में गर्मी का अहसास कराती है। कभी सर्दी की ठण्ड सुबह जब आप रजाई में दुबके होते हो..तब नहा कर चैके में जाकर आपके लिए नाश्ता बनाती हैं।


ब्रिटिश जर्नल ऑफ सोशल साइकोलॉजी में इसे लेकर एक स्टडी प्रकाशित हुई है। जिसमें इस सवाल का जवाब खोजा गया है. स्टडी की एक ऑथर रौक्सै फेलिग ने बताया कि जब भी कोई खुद को बाहर से अच्छा दिखाने पर फोकस करता है तब उसके रोजमर्रा की जरुरतें इतनी ज्यादा मायने नहीं रखती हैं. वह आगे बताती हैं कि उन्होंने साल 2014 में कार्डी बी के दावे की पड़ताल करते हुए इस सवाल का जवाब खोजा है.
फेलिग ने बताया कि कार्डी ने कहा था कि वह अच्छा दिखने पर फोकस करती थी और ऐसे में उसने खुद को सर्द अहसास दिलाने वाले कपड़ों में रखा था. जब कोई महिला ऑब्जेक्ट की हालत में आ जाती है तो ऐसे में उसकी हार्ट बीट से लेकर भूख-प्यार सब अपना महत्व खोने लगती है. इस हालत में वह अपनी आतंरिक स्थिति को पहचानने की कोशिश ही नहीं करती.। जब वहां का टेंपरेचर सिर्फ 4 से 10 डिग्री के बीच था। इस रिसर्च में सामने आया कि जिस महिला ने सेल्फ ऑब्जेक्टिफिकेशन पर ज्यादा ध्यान लगा रखा था उसे सर्दी का बिल्कुल भी अहसास नहीं था।

आखिर में वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुंचे कि जिन महिलाओं ने खुद को ऑब्जेक्ट के तौर पर कम प्रोजेक्ट किया उनका अपनी स्किन के साथ रिलेशनशिप ज्यादा मजबूत दिखा साथ ही उन्हें सर्दी का अहसास भी था। लेकिन इसके उलट जो महिलाएं अपने लुक और दिखावे पर ज्यादा फोकस रहीं, उन्हें कम कपड़ों में भी सर्दी का बिल्कुल भी अहसास नहीं था.
कभी किसी स्त्री को रसोई में काम करते देखिये अधिकांश समय वो चिमटे की मदद के बिना काम करती है उसकी कोमल उंगलिओं के पोर अधिक उष्म सहिष्णु होते। हमारी भाषा में इसे कहते है थेथर होना। हाँ औरतें थेथर होती हैं परिवार को ताजा गर्म और स्वास्थ्यवर्धक खाना मिले इसके लिए उन्हें गर्मी सर्दी की परवाह करना अलाउड नहीं है ।
सामान्य मध्य वर्ग और निम्न वर्ग की महिलाओं को शादी में मायके ससुराल से साड़ियां मिलती हैं महंगी भारी भरकम काम वाली (औकात के अनुसार)उनके पास शादी ब्याह के अतिरिक्त कोई जगह नही होती उन्हें पहनने की। और ज्यादातर घरों में साड़ी के अतिरिक्त कोई परिधान अलाउड भी नही होता । ससुर जेठ के सामने पल्ला करना होता है मगर उन साड़ियों के साथ स्वेटर शाल बनाने की जरूरत बाजार ने भी नही महसूस की। बाजार भी अब तक समाज के इस उपेक्षित वर्ग की जरूरत को कैश करने के मूड में नही दिखता । बाजार जानता है अभी भी इस क्षेत्र में कोई स्कोप नही है । यदि बहुत कम संख्या में उपलब्ध है तो परिवार और स्वयम स्त्रियां भी उसे खरीदने में हिचकती हैं। एक ही रात की तो बात है बिना स्वेटर के भी चला लेंगी काम ..उन्हें तो वैसे ही कम लगती है ठंड..

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