Publisher Theme
I’m a gamer, always have been.

पंचक क्या है ?

21

पंचक क्या है ?

पांच समूह, पांच नक्षत्रों के समूह को पंचक कहा गया है :— धनिष्ठा नक्षत्र का उत्तरार्द्ध, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती।

इन पांचों नक्षत्रों को ज्योतिष में पंचक की संज्ञा दी गई है। इस आशय को सरलता से समझना हो तो, जब कुंभ और मीन राशि में चंद्रमा हों, उस समय को पंचक कहते हैं। पंचक को प्रमाणित देखना हो तो, सुदर्शन सूत्रावली के एक सूत्र अनुसार यदि पंचक में कोई कार्य करोगे तो, उस कार्य को 5 बार करना पड़ेगा।

पंचक में यदि कोई शुभ कार्य किया हो तो, ऐसे शुभ कार्य जीवन में 5 बार करने होंगे, यदि पंचक में किसी की मृत्यु हो जाती है तो, परिवार में 5 व्यक्तियों की मृत्यु या मृत्यु तुल्य कष्ट जरूर होता है।

पंचक के पांचों नक्षत्रों को मुहूर्त शास्त्र में शुभ माना है, सगाई विवाह में धनिष्ठा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद और रेवती ये 4 नक्षत्र शुभ माने गए हैं।
गृहारंभ और कुंभ स्थान, वास्तु प्रवेश में धनिष्ठा, शतभिषा, उत्तराभाद्रपद और रेवती ये 4 नक्षत्र स्वीकार हैं।
उक्त नक्षत्र में जो कोई सगाई-विवाह हो तो, उस परिवार में दूसरे भाई-बहन जो शादी के लायक हैं, उनकी भी सगाई, ब्याह जल्दी होते हैं और मंगल कार्य बारम्बार होते हैं।

अगर किसी जातक की पंचक में मृत्यु हो जाती है तो, ऐसे जातक की आत्मा भटकती रहती है, ऐसे जातक को 5 बार फिर जन्म लेना पड़ेगा, 5 जन्म लेने के बाद जातक का मोक्ष होता है।

ब्रह्मवैवर्त पुराण में लिखा है—-
न तस्य उध्वैगति:दृष्टा। पंचक में मरने से ऊर्ध्वगति होती है, स्वर्ग आदि दिव्यलोक में गति नहीं होती है।

गरुड़ पुराण और अनेक शास्त्रों में पंचक में शरीर का दाह-संस्कार निषेध बताया है, पंचक में मृतक का दाह-संस्कार होता है तो, परिवार में 5 बार ऐसा होता है, परन्तु परिवार में सभी दीर्घायु हों तो, इस शंका का समाधान है कि- पुत्राणां गौत्रिय चांचपि काशिद विघ्र: प्रजापते। ऐसे योग में भाई-बंधुओं, संतान को कोई विघ्न आता है, जो मृत्यु तुल्य कष्ट होता है।

शास्त्र कहते हैं कि, पंचक उतरने पर ही दाह-संस्कार करना चाहिए, परन्तु 5 दिन तक कोई लाश घर में नहीं रखता, क्योंकि देह में कीड़े पड़ जाते हैं, शरीर से बदबू आने लगती है। ऐसी स्थिति में क्या करना चाहिए ?

पंचक में दाह-संस्कार करना हो तो, पहले प्रथम पुत्तल विधि करनी चाहिए, फिर दाह-संस्कार करें, पंचक उतरने के बाद में पंचक शांति करनी चाहिए।

पुत्तल विधि का मतलब है कुश के 5 पुतले बनाएं, उन पर ऊन बांधकर जौ के आटे से लेप करें, पुतलों को नक्षत्रों के नाम से अभिमंत्रित करें।
पांचों पुतलों के नाम – 1. प्रेतवाह, 2. प्रेतसम:, 3. प्रेतप:, 4. प्रेतभूमिप:, 5. प्रेतहर्ता – रखें।

इन पांचों पुतलों का पहले दाह-संस्कार करें, फिर मृतक के शरीर का दाह-संस्कार करें। द्वादशी क्रिया पूर्ण होने पर सूतक उतर जाता है। सूतक निवृत्त करने के बाद पंचक शांति करने का विधान शास्त्रों में है जो निम्नलिखित है :

5 नक्षत्रों के देवता और अघोर महामृत्युंजय स्थापना पूजन और श्री सूक्त के पाठ करना, नक्षत्रों के देवता क्रमश: रक्षोहण सूक्त, सूर्य सूक्त, इन्द्र सूक्त, रुद्र सूक्त और शांति सूक्त के पाठ करने के बाद कुशोदक यमराज का अभिषेक करने के बाद दान की विधि है।

दूध देने वाली गाय, भैंस सप्तधान्य सुवर्ण, काले तिल, घी का यथा क्षमता दान कर, छाया पात्र दान करना चाहिए। स्नान करने के बाद वस्त्रों का त्याग कर विद्वान ब्राह्मणों द्वारा शिवजी पर पंचामृत से अभिषेक करना चाहिए। पंचक शांति करने से सद्गति और परिवार का कल्याण होता है।

पुत्तल दाह और पंचक शांति की स्पष्टता :—

एक खास बात ध्यान में रखना जरूरी है कि, पंचक में मृत्यु के बाद पुनर्जन्म लेना पड़ता है, यह उसके परिवार के लिए अशुभ होता है, इसी अशुभता के निवारण के लिए पंचक शांति करना जरूरी होता है।

पंचक में अग्निदाह करने से मृतक के परिवार के लिए अशुभ होता है, अत: जातक के अग्निदाह के पहले पुत्तल दाह करना जरूरी है।

इसकी 3 परिस्थितियां हैं और तीनों का विचार अलग है :—

पंचक के पहले मृत्यु हो जाए या पंचक बैठ जाए तो, पहले दाह-संस्कार पीछे पुत्तल दाह विधि करनी चाहिए, अशौच निवृत्त होने के बाद पंचक शांति आवश्यक नहीं है।

पंचक में मृत्यु हो, पंचक में ही दाह-संस्कार करना पड़े तो, पुत्तल दाह विधि करने के बाद अशौच निवृत्ति के बाद पंचक शांति करनी चाहिए।

पंचक में मृत्यु हो, रेवती नक्षत्र में मृत्यु हो, पंचक पूरा होने पर पुत्तल दाह विधि करना जरूरी नहीं है, परन्तु अशौच निवृत्ति के बाद पंचक शांति करना जरूर चाहिए।

पंचक में अन्य निषिद्ध कार्य :—

मृत शरीर का दाह निषिद्ध है।
दक्षिण दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए।
मकान का रंग-रोगन, प्लास्टर नहीं करना चाहिए।
घास एवं लकड़ी का संग्रह नहीं करना चाहिए, कुर्सी-टेबल आदि भी नहीं खरीदने चाहिएं।
खाट का कार्य वगैरह भी निषिद्ध है।

Comments are closed.

Discover more from Theliveindia.co.in

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading