Publisher Theme
I’m a gamer, always have been.

ठंडी नींबू शिकंजी और भंडारे में भोजन खिलाकर कमाया पुण्य

22

ठंडी नींबू शिकंजी और भंडारे में भोजन खिलाकर कमाया पुण्य

निर्जला एकादशी के उपलक्ष्य पर जगह जगह लगाई गई छबीले

42 से 45 डिग्री तापमान के बीच शीतल जल ने दिलाया सुकून

फतह सिंह उजाला
पटौदी । 
भारतीय सनातन संस्कृति और संस्कार सहित विभिन्न त्योहार के पीछे अनादि काल से आयोजन किया जाने में धार्मिक महत्व समाहित है । वैसे भी धर्म और कर्म भारतीय सनातन संस्कृति की मजबूत पहचान और आधार स्तंभ भी है ।

गंगा दशहरा और इसके बाद में निर्जला एकादशी के उपवास का भारतीय सनातन संस्कृति में धर्म कर्म करते हुए पुण्य अर्जित करने का विशेष महत्व है । इस दिन शीतल मीठा जल पिलाने सहित भंडारे के रूप में भोजन का प्रसाद वितरण करने की परंपरा चली आ रही है ं। एकादशी व्रत के पीछे महाभारत कालीन प्रसंग का भी उदाहरण दिया जाता है । इसी कड़ी में पटौदी और हेली मंडी शहरों में विभिन्न स्थानों पर समाज के प्रबुद्ध नागरिकों बिजनेसमैन के द्वारा साधन संपन्न लोगों के द्वारा और विभिन्न संस्थाओं संगठनों के द्वारा 42 से 45 डिग्री सेल्सियस तापमान के बीच आम जनमानस को मीठा शीतल जल का वितरण किया गया । अनेक स्थानों पर साधन संपन्न  लोगों के द्वारा शीतल पेय भी  पिलाया गया।

भारतीय सनातन संस्कृति में धन जल वस्त्र और भोजन का वितरण अथवा दान सर्वश्रेष्ठ माना गया। गर्मियों के मौसम में वैसे भी विभिन्न स्थानों पर आम जनमानस सहित राहगीरों की प्यास बुझाने के लिए मटके रखने की परंपरा चली आ रही है । पहले बीच रास्ते प्याउ बनाने खोलने पानी पिलाने का काम किया जाता था,  लेकिन समय बदलने के साथ ही अब वाटर कूलर लगने आरंभ हो चुके हैं । फिर भी जब भारतीय सनातन संस्कृति के मुताबिक पुण्य अर्जित करने के त्योहार अथवा दिवस आते हैं तो आम जनमानस अनादि काल से चली आ रही उसी परंपरा का ही निर्वहन करते हैं । इसी कड़ी में अब स्वच्छता और स्वास्थ्य को भी प्राथमिकता दी जाने लगी है । नींबू शिकंजी भी का आम जनमानस को सेवन कराने के साथ ही अनेक लोगों के द्वारा भंडारे का प्रसाद भी वितरित किया गया।  निर्जला एकादशी के उपलक्ष में शीतल जल नींबू शिकंजी पिलाना से लेकर भंडारे में भोजन का प्रसाद वितरण करने का कार्य शुक्रवार और शनिवार को भी जारी रहा।

Comments are closed.

Discover more from Theliveindia.co.in

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading