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भगवान राम ने सबसे पहला कार्य यज्ञ रक्षा का किया: शंकराचार्य नरेन्द्रानन्द

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भगवान राम ने सबसे पहला कार्य यज्ञ रक्षा का किया: शंकराचार्य नरेन्द्रानन्द

असम्भव को सम्भव बनाने एवं अपने अभीष्ट की सिद्धि का माध्यम यज्ञ

यज्ञ का मन्त्र भाग ब्राह्मणों के पास है, तो हवि भाग गाय के पास

यज्ञ वह कल्पवृक्ष है, जिससे सभी कुछ प्राप्त किया जाना संभव

फतह सिंह उजाला
गुरूग्राम।  
 असम्भव को सम्भव बनाने एवं अपने अभीष्ट की सिद्धि का माध्यम यज्ञ है। यज्ञ वह कल्पवृक्ष है, जिससे सब कुछ प्राप्त किया जा सकता है।  महाराज दसरथ एक पुत्र की प्राप्ति के लिए दुखी थे, लेकिन सन्तों के मार्गदर्शन में सम्पन्न यज्ञ ने महाराज दसरथ जी को 4 पुत्र प्रदान कर दिये। भगवान श्रीराम ने सबसे पहला जो कार्य किया, वह यज्ञ रक्षा का ही कार्य था । यज्ञ का मन्त्र भाग यदि ब्राह्मणों के पास है, तो हवि भाग गाय के पास है । गाय से ही पंचगव्य प्राप्त होता है, और गाय के बिना पंचामृत की कल्पना नहीं की जा सकती । इसलिए प्रत्येक सनातनी परिवार गोब्रती बने। काशी सुमेरु पीठाधीश्वर अनन्त श्री विभूषित पूज्य जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानन्द सरस्वती जी महाराज  ने यह अध्यात्म , सनातन ज्ञानोपदेश गुजरात के राजकोट में स्वामी राम दयाल दास जी महाराज के मार्गदर्शन में आयोजित त्रिदिवसीय 108 कुण्डीय श्रीराम महायज्ञ में हजारों सनातनियों के बीच अपने आर्श्ज्ञिवर्च में कही। यह जानकारी के निजर सचिव स्वामी बृजभूषणानन्द सरस्वती के द्वारा मीडिया के साथ सांझा की गई।

गुजरात के राजकोट में पिशेष स्प से पहुंचे श्री काशी सुमेरु पीठाधीश्वर अनन्त श्री विभूषित पूज्य जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानन्द सरस्वती जी महाराज का स्वामी रामदयाल दास जी महाराज, स्वामी रामरूप दास जी महाराज एवं आयोजन से जुड़े अनेक श्रद्धालूओं लोगों ने वैदिक विधि-विधान और मंत्रोच्चारण के साथ पूजन किया ।

यज्ञ असंगठित समाज को जोड़ने में ससक्त
तदनन्तर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानन्द सरस्वती जी महाराज  ने धर्म मंच से अपना आशीर्वचन एंवं् मार्गदर्शन प्रदान करते हुए कहा कि यज्ञ असंगठित और विभाजित समाज को एकसूत्र में पिरोने का भी सबसे ससक्त माध्यम है । जिस प्रकार का चतुर्दिक आक्रमण हिन्दू समाज पर निरन्तर हो रहा है, उसका सामना हिन्दू समाज संगठित होकर ही कर सकता है ।

विधर्मियों से सावधान एवं सचेत रहें
विधर्मियों से सावधान एवं सचेत रहने की आवश्यकता है । माता-पिता का कर्तव्य है कि अपने बच्चों को प्रतिदिन अपने धर्म एवं् संस्कृति का ज्ञान और सामाजिक शिक्षा अनिवार्य रूप से दें । इस अवसर पर धर्म मंच पर स्वामी रामदयाल दास जी महाराज, स्वामी अखण्डानन्द तीर्थ जी महाराज, स्वामी रामरुप दास जी महाराज, स्वामी बृजभूषणानन्द सरस्वती जी महाराज सहित अन्य सन्त महापुरुष एवम् विशाल पण्डाल में हजारों सनातन धर्मावलम्बी उपस्थित थे । धर्म मंच का संचालन स्वामी मधुसूदन दास केे द्वारा किया गया।

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